कांग्रेस ने उदयपुर में ‘पहली बार' हिंदी में किया चिंतन

Edited By Updated: 19 May, 2022 06:47 PM

congress contemplated in hindi  for the first time  in udaipur

राजस्थान के उदयपुर में आयोजित कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में हिंदी का इस कदर बोलबाला रहा कि पार्टी का यह पहला चिंतन शिविर बना जहां हिंदी में सोचा गया, हिंदी में चिंतन हुआ, हिंदी में ही प्रस्ताव लिखा और पढ़ा गया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने...

नई दिल्लीः राजस्थान के उदयपुर में आयोजित कांग्रेस के तीन दिवसीय चिंतन शिविर में हिंदी का इस कदर बोलबाला रहा कि पार्टी का यह पहला चिंतन शिविर बना जहां हिंदी में सोचा गया, हिंदी में चिंतन हुआ, हिंदी में ही प्रस्ताव लिखा और पढ़ा गया। कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा ‘‘आजाद भारत के इतिहास में कांग्रेस के चिंतन शिविर में यह पहला अवसर था जहां सारे काम हिंदी में हुए। शिविर में पूरे देश से आये कांग्रेस प्रतिनिधियों ने इसका स्वागत किया।

चिंतन शिविर का आयोजन हिंदी भाषी राज्य में हुआ इसलिए शिविर के दौरान प्रतिनिधि भी ज्यादातर हिंदी में ही बात कर रहे थे और माहौल पूरी तरह से हिंदीमय था।'' इस नेता का कहना था कि इससे पहले कांग्रेस ने इतने बड़े मंच पर चिंतन में कभी हिंदी का इस्तेमालन नहीं किया था। शिविर में हिस्सा लेने वाले ज्यादातर प्रतिनिधियों ने भी हिंदी में ही विचार व्यक्त किये और पूरे अधिवेशन में तीन दिन तक हिंदी ही पूरी तरह से प्रयोग की भाषा बनी रही। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उदघाटन समारोह में तथा पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने समापन समारोह में अंग्रेजी के साथ ही हिंदी में अपनी बात रखी।

यह पूछने पर कि कांग्रेस का हिंदी प्रेम अचानक क्यों जागृत हुआ, कांग्रेस नेता ने कहा कि हिंदी भाषी क्षेत्र के 200 से 250 लोकसभा सीटों की अनदेखी नहीं की जा सकती है। इस सवाल पर कि ये सीटें तब भी थीं जब कांग्रेस अपने घोषणा पत्र अंग्रेजी में तैयार करती थी, तो उनका कहना था समय बदला है तो कांग्रेस में भी बदलाव आ रहा है और समय के अनुसार उसे भी बदलना ही पड़ेगा। पार्टी नेता ने कहा कि इससे पहले कांग्रेस के किसी भी अधिवेशन में हिंदी में न सोचा गया, न चिंतन हुआ, न प्रस्ताव हिंदी में लिखा गया और ना ही हिंदी में पढा गया। यह पहला मौका था जब कांग्रेस ने अखिल भारतीय स्तर पर आयोजित इसने बड़े सम्मेलन में हिंदी को इस तरह से महत्व दिया है।

सम्मेलन में हिंदी के प्रयोग पर कुछ अंग्रेजी अखबारों के पत्रकारों ने उनसे कहा था कि उनको दिक्कत हो रही है। उन्होंने शिकायत भी कि उन्हें प्रस्ताव की कापी का अंग्रेजी अनुवाद देर से मिला है। कांग्रेस नेता ने कहा कि इससे 1950 में नाशिक अधिवेशन हिंदुस्तानी का प्रयोग किया हुआ था। उस सम्मेलन में पंडित जवाहर लाल नेहरू भी मौजूद थे लेकिन वहां हिंदी नहीं बल्कि हिंदुस्तान भाषा को ही महत्व दिया गया था। उसके बाद जो भी अधिवेशन कांग्रेस के हुए उन सबमें अंग्रेजी का ही बोलबाला रहा।

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