Edited By Utsav Singh,Updated: 26 Nov, 2024 07:59 PM
भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था, और इस दिन को हर साल "गणतंत्र दिवस" के रूप में मनाया जाता है। लेकिन फिर भी संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का कारण और महत्व क्या है, इसे समझना ज़रूरी है। आइए जानते है विस्तार से...
नेशनल डेस्क : भारत का संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ था, और इस दिन को हर साल "गणतंत्र दिवस" के रूप में मनाया जाता है। लेकिन फिर भी संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का कारण और महत्व क्या है, इसे समझना ज़रूरी है।
1. संविधान दिवस का इतिहास
संविधान निर्माण और संविधान सभा की भूमिका
भारत का संविधान बनाने के लिए संविधान सभा का गठन 1946 में किया गया था, जिसमें विभिन्न प्रकार के प्रतिनिधि और विशेषज्ञ शामिल थे। संविधान सभा ने कई वर्षों तक चर्चा, विमर्श और संशोधन के बाद भारतीय संविधान को तैयार किया।
इसकी अंतिम रूपरेखा 26 नवम्बर, 1949 को तैयार की गई और उस दिन संविधान सभा ने भारतीय संविधान को अपनाया। हालांकि, संविधान 26 जनवरी, 1950 को लागू हुआ, लेकिन 26 नवंबर को संविधान सभा ने इसे मंजूरी दी थी। यही कारण है कि 26 नवंबर को संविधान दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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2. 26 नवंबर का महत्व
संविधान सभा द्वारा संविधान की स्वीकृति
26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान को संविधान सभा द्वारा अपनाया गया था। यह वह दिन था जब भारत ने अपने सम्राट ब्रिटिश साम्राज्य से पूरी तरह से स्वतंत्र होकर एक लोकतांत्रिक गणराज्य बनने की प्रक्रिया पूरी की थी। संविधान की स्वीकृति ने भारत को एक मजबूत कानूनी और राजनीतिक ढांचे में ढालने का काम किया।
भारतीय संविधान का उद्देश्य एक लोकतांत्रिक और समाजवादी राष्ट्र का निर्माण करना था, जिसमें समानता, स्वतंत्रता और न्याय की गारंटी हो। इसे भारतीय लोकतंत्र और उसके अधिकारों की रक्षा करने के लिए तैयार किया गया था।
3. संविधान दिवस की शुरुआत
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2015 में पीएम मोदी की पहल
संविधान दिवस को आधिकारिक रूप से मनाने की शुरुआत 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा की गई थी। उन्होंने इस दिन को मनाने की घोषणा की थी ताकि भारतीय नागरिकों को अपने संविधान के प्रति जागरूक किया जा सके। यह दिन संविधान के महत्व और भारतीय लोकतंत्र की स्थिरता को बनाए रखने के लिए प्रेरणा देने का दिन बन गया है।
4. 26 जनवरी और 26 नवंबर में अंतर
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी) और संविधान दिवस (26 नवंबर)
गणतंत्र दिवस (26 जनवरी): 26 जनवरी, 1950 को भारत का संविधान लागू हुआ था, और इसी दिन भारत गणराज्य के रूप में स्वतंत्र हुआ। यह दिन भारत के गणराज्य बनने का प्रतीक है।
संविधान दिवस (26 नवंबर): 26 नवंबर, 1949 को भारतीय संविधान को संविधान सभा ने स्वीकृति दी थी। यह दिन संविधान की स्वीकृति और भारतीय नागरिकों के अधिकारों की पहचान का दिन है।
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5. संविधान दिवस के महत्व को बढ़ावा
संविधान और नागरिकों के अधिकार
संविधान दिवस का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के बारे में जागरूक करना है। यह दिन संविधान की शिक्षा और इसके महत्व को हर एक नागरिक तक पहुंचाने का अवसर है। संविधान दिवस पर भारत सरकार और अन्य संस्थाएं विविध कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं, जैसे:
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संविधान की शपथ लेना: इस दिन प्रधानमंत्री और अन्य नेता संविधान की शपथ लेते हैं।
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शिक्षा और जागरूकता: स्कूलों और कॉलेजों में संविधान के बारे में चर्चा होती है। छात्रों को इसके महत्व और इतिहास के बारे में बताया जाता है।
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संविधान से जुड़ी गतिविधियाँ: विभिन्न साहित्यिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जो संविधान की भावना को आगे बढ़ाते हैं।
संविधान दिवस 26 नवंबर को मनाने का मुख्य उद्देश्य भारतीय नागरिकों को उनके अधिकारों, कर्तव्यों और संविधान के महत्व के बारे में जागरूक करना है। जबकि 26 जनवरी को संविधान लागू हुआ, 26 नवंबर को संविधान को स्वीकृति मिली, और इसी कारण से संविधान दिवस इस दिन मनाया जाता है। यह दिन भारतीय लोकतंत्र की मजबूती और उसके आदर्शों की रक्षा के लिए प्रेरणा देने का अवसर है।