नागालैंड में 6 महीने के लिए बढ़ाया गया AFSPA, गृह मंत्रालय ने जारी किए आदेश

Edited By Updated: 30 Dec, 2021 01:35 PM

controversial law afspa extended for 6 months in nagaland

भारी विरोध और तनाव के बीच नागालैंड में विवादित कानून सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम (AFSPA) को 6 महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। ​​​​​​​यह कानून सेना को उन क्षेत्रों में कहीं भी स्वतंत्र रूप से ऑपरेशन करने के...

नेशनल डेस्क: भारी विरोध और तनाव के बीच नागालैंड में विवादित कानून सशस्त्र बल (विशेष) अधिकार अधिनियम (AFSPA) को 6 महीनों के लिए बढ़ा दिया गया है। गृह मंत्रालय ने इसकी जानकारी दी है। यह कानून सेना को उन क्षेत्रों में कहीं भी स्वतंत्र रूप से ऑपरेशन करने के लिए व्यापक अधिकार शक्ति देता है जिन्हें "अशांत क्षेत्र" घोषित किया गया है। जिन क्षेत्रों में एएफएसपीए (AFSPA) लागू है, वहां किसी भी सैन्यकर्मी को केंद्र की मंजूरी के बिना हटाया या परेशान नहीं किया जा सकता। अफस्पा नागालैंड में दशकों से लागू है। 

अफस्पा को वापस लेने के लिए विरोध प्रदर्शन
एएफएसपीए (AFSPA) कानून की मियाद ऐसे समय में बढ़ रही है जब 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोध अभियान के दौरान 'गलती' से आम नागरिकों की मौत के मामले में आर्मी कोर्ट ऑफ इंक्वायरी कर रही है। बता दें कि नागालैंड के मोन जिले में 4 दिसंबर को उग्रवाद विरोधी अभियान के दौरान ‘गड़बड़ी' हो गई। आर्मी के पैरा स्पेशल फोर्सेज के जवानों की गोलाबारी में खदान से काम करके लौट रहे 13 आम नागरिकों की मौत हो गई। इसके जवाब में ग्रामीणों की ओर से हमला किया गया, जिसमें एक सेना के जवान की मौत हो गई। नागिरकों की मौत होने के बाद अफस्पा कानून को वापस लेने की मांग जोर पकड़ रही है। अफस्पा को वापस लेने के लिए नागालैंड  की राजधानी कोहिमा समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन भी हुए। इसमें AFSPA को बैन करने की मांग की गई। 

गृह मंत्रालय की अधिसूचना
गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘केंद्र सरकार की राय है कि पूरे नागालैंड राज्य का क्षेत्र इतनी अशांत और खतरनाक स्थिति में है कि नागरिक प्रशासन की सहायता के लिए सशस्त्र बलों का उपयोग आवश्यक है।'' अधिसूचना के अनुसार, ‘‘इसलिए सशस्त्र बल (विशेषाधिकार) अधिनियम, 1958 (1958 की संख्या 28) की धारा तीन द्वारा प्रदत्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए केंद्र सरकार 30 दिसंबर, 2021 से छह महीने की अवधि के लिए पूरे नगालैंड राज्य को ‘अशांत क्षेत्र' घोषित करती है।''

अधिसूचना गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव पीयूष गोयल द्वारा जारी की गई, जिन्हें अफस्पा को वापस लेने की संभावना की जांच के लिए गठित समिति में सदस्य सचिव नामित किया गया था। समिति के अध्यक्ष सचिव स्तर के अधिकारी विवेक जोशी हैं। नागालैंड में 14 आम नागरिकों की हत्या को लेकर बढ़े तनाव को शांत करने के लिए इस उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया था

कानून हटाने को उच्च स्तरीय समिति का गठन
आम लोगों की मौत के बाद बढ़ते तनाव को कम करने के मकसद से केंद्र ने अफस्पा को हटाने की संभावना पर गौर करने के लिए एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा क्रमश नागालैंड और असम के मुख्यमंत्रियों नेफ्यू रियो और हिमंत बिस्वा सरमा के साथ बैठक करने के बाद समिति का गठन किया गया।

सुरक्षबलों के मिलते हैं ये अधिकार 
इस कानून के तहत सैनिकों को कई विशेषाधिकार प्राप्त होते हैं, जैसे- किसी को बिना वॉरेंट के गिरफ्तार करना और संदिग्ध के घर में घुसकर जांच करने का अधिकार, पहली चेतावनी के बाद अगर संदिग्घ नहीं मानता है तो उसपर गोली चलाने का अधिकार। गोली चलाने के लिए किसी के भी आदेश का इंतजार नहीं करना, उस गोली से किसी की मौत होती है तो सैनिक पर हत्या का मुकदमा भी नहीं चलाया जा सकता। अगर राज्य सरकार या पुलिस प्रशासन, किसी सौनिक या सेना की टुकड़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करती है तो कोर्ट में उसके अभियोग के लिए केंद्र सरकार की इजाजत जरूरी होती है।

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