Edited By Anu Malhotra,Updated: 11 Dec, 2025 08:34 AM

पश्चिम बंगाल के स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के लिए इस साल का शैक्षणिक कैलेंडर बड़ी तरह से बदलने वाला है। गर्मियों की छुट्टियों से लेकर बोर्ड परीक्षाओं के नियमों तक—West Bengal Board of Secondary Education (WBBSE) ने कई अहम निर्णय लिए हैं,...
नेशनल डेस्क: पश्चिम बंगाल के स्कूलों में पढ़ने वाले लाखों छात्रों के लिए इस साल का शैक्षणिक कैलेंडर बड़ी तरह से बदलने वाला है। गर्मियों की छुट्टियों से लेकर बोर्ड परीक्षाओं के नियमों तक—West Bengal Board of Secondary Education (WBBSE) ने कई अहम निर्णय लिए हैं, जो सीधे तौर पर बच्चों, अभिभावकों और स्कूलों को प्रभावित करेंगे।
समर वेकेशन अब सिर्फ 6 दिन
पहले जहां मई–जून में छात्रों को लंबी गर्मी की छुट्टियां मिलती थीं, वहीं अब बोर्ड ने इस अवधि को काफ़ी कम कर दिया है। नए कैलेंडर के मुताबिक गर्मियों की छुट्टी 11 मई से 17 मई तक ही रहेगी—यानी सिर्फ 6 दिन। बोर्ड का तर्क है कि कम समय का ब्रेक रखने से शैक्षणिक सत्र अधिक संतुलित रहेगा और पढ़ाई का बोझ छात्रों पर अचानक नहीं बढ़ेगा। यह नियम राज्यभर के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों में लागू होगा।
त्योहारों पर मिलेगा 25 दिनों का बड़ा ब्रेक
गर्मी की छुट्टियों में कटौती के बावजूद छात्रों के लिए राहत की एक और खबर है। इस साल दुर्गा पूजा, काली पूजा और भाईफोंटा के दौरान लगातार 25 दिन की लंबी छुट्टी मिलेगी। इस बड़े त्योहार अवकाश से छात्रों और शिक्षकों को मानसिक राहत मिलेगी और परिवार के साथ समय बिताने का अच्छा मौका भी मिलेगा।
12वीं बोर्ड में सप्लीमेंट शीट पर रोक
2026 में होने वाली 12वीं की परीक्षाओं के लिए एक सख्त बदलाव किया गया है—
अब परीक्षार्थियों को कोई अतिरिक्त सप्लीमेंट्री शीट नहीं मिलेगी।
जो उत्तर पुस्तिका परीक्षा शुरू होते ही दी जाएगी, उसी में पूरे उत्तर लिखने होंगे।
इस कदम का उद्देश्य परीक्षा को अधिक सुव्यवस्थित और पारदर्शी बनाना है।
कॉपी के अंतिम पेज पर सिग्नेचर अनिवार्य
परीक्षा प्रक्रिया को और सुरक्षित बनाने के लिए बोर्ड ने एक और नियम लागू किया है— हर विद्यार्थी की उत्तर पुस्तिका के आखिरी पन्ने पर परीक्षक या इनविजिलेटर के हस्ताक्षर अनिवार्य होंगे। अगर किसी कॉपी पर यह हस्ताक्षर नहीं मिलता, तो उसे अमान्य माना जा सकता है। इस नियम से कॉपी बदलने, पन्ने जोड़ने या जांच में गड़बड़ी जैसी संभावनाएँ कम होंगी, जिससे छात्रों को निष्पक्ष रूप से अंक मिल सकेंगे।