आंध्र की नई राजधानी पर विवाद जारी, क्या विशाखापट्टनम हो पाएगी शिफ्ट !

Edited By SS Thakur,Updated: 15 Feb, 2023 06:45 PM

controversy continues over the new capital of andhra

2014 के आंध्र प्रदेश पुनर्गनठन एक्ट के मुताबिक़ हैदराबाद ही इन दोनों राज्यों की राजधानी बनी रही, लेकिन एक्ट के मुताबिक़ हैदराबाद अधिकतम 10 साल तक ही आंध्र प्रदेश की राजधानी रहेगा।

जालंधर, नैशनल डैस्क: आंध्र प्रदेश में मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) सुप्रीमो वाईएस जगन मोहन रेड्डी के राज्य की राजधानी को विशाखापट्टनम में स्थानांतरित करने के फैसले को उनके विरोधी कानूनी और राजनीतिक चुनौती दे सकते हैं। चूंकि अमरावती के राजधानी नाम पर वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएससीपी) के नेतृत्व वाली आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा 2019 में एपी कैपिटल रीजन डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीसीआरडीए) के माध्यम से विभिन्न बैंकों से 3,013 करोड़ रुपये का ऋण जुटाया गया था। इस बात का जिक्र 31 मार्च 2020 को समाप्त वर्ष के लिए राज्य वित्त लेखापरीक्षा रिपोर्ट पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने भी किया है।

क्या है विवाद की जड़
2014 में आंध्र प्रदेश का बंटवारा दो हिस्सों में हुआ था। इससे बना दूसरा राज्य तेलंगाना था। 2014 के आंध्र प्रदेश पुनर्गनठन एक्ट के मुताबिक़ हैदराबाद ही इन दोनों राज्यों की राजधानी बनी रही, लेकिन एक्ट के मुताबिक़ हैदराबाद अधिकतम 10 साल तक ही आंध्र प्रदेश की राजधानी रहेगा। इसके बाद आंध्र को अपनी नई राजधानी बनानी पड़ेगी, यानी यह समय 2024 में पूरा हो जाएगा।

सीएम जगन ने की थी नई राजधानी की घोषणा
31 जनवरी को नई दिल्ली में इंटरनेशनल डिप्लोमैटिक एलायंस मीट में निवेशकों को संबोधित करते हुए सीएम जगन ने घोषणा की थी कि आने वाले दिनों में विशाखापट्टनम आंध्र प्रदेश की राजधानी होगी। उन्होंने कहा था कि मैं खुद आने वाले महीनों में वहां शिफ्ट हो जाऊंगा। एपीसीआरडीए की स्थापना पिछली एन चंद्रबाबू नायडू के नेतृत्व वाली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार द्वारा प्रस्तावित अमरावती राजधानी क्षेत्र के विकास के लिए की गई थी। एपीसीआरडीए के माध्यम से लिए गए ऋणों ने जगन सरकार को बैंकों के साथ मुश्किल में डाल दिया है, उनकी घोषणा को देखते हुए कि राजधानी चंद्रबाबू नायडू द्वारा प्रस्तावित अमरावती से विशाखापत्तनम में स्थानांतरित की जाएगी। टीडीपी, जन सेना और भाजपा सहित विपक्षी दल अब ऋणों को लेकर वाईएसआरसीपी की व्यवस्था के खिलाफ जा रहे हैं।

क्या कहती है जगन सरकार
जगन सरकार के सार्वजनिक मामलों के सलाहकार वाईएसआरसीपी नेता सज्जला रामकृष्ण रेड्डी ने विपक्ष की चिंताओं को खारिज करते हुए कहा हे कि केंद्र ने सहमति व्यक्त की है कि राज्यों को अपने राजधानी शहरों पर निर्णय लेने का अधिकार है। अमरावती विधायी राजधानी होगी और अमरावती के लिए प्राप्त ऋण और धन का उपयोग वहीं किया जा रहा है। विपक्षी नेता केवल अस्पष्ट आरोपों के साथ सरकार की विकेंद्रीकरण योजना को रोकने की कोशिश कर रहे हैं।

क्या हैं विपक्ष के आरोप
तेदेपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता कोमारेड्डी पट्टाभिराम ने हालांकि कहा कि वाईएसआरसीपी सरकार ने अमरावती की राजधानी शहर के लिए 3,013 करोड़ रुपये का बैंक ऋण लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि जानबूझकर बैंकों को गुमराह किया जा रहा है। ये कर्ज राज्य सरकार ने पंजाब नेशनल बैंक, इंडियन बैंक और यूनियन बैंक सहित कई बैंकों से लिए हैं। उधर भाजपा एपी इकाई के प्रमुख सोमू वीरराजू ने कहा कि केंद्र ने अमरावती के विकास के लिए हजारों करोड़ दिए हैं और वर्तमान राज्य सरकार ने अमरावती के नाम पर ऋण लिया है, लेकिन धन खर्च नहीं कर रही है। हम मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के तीन-राजधानी प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं। ।

केंद्र से मिली है 2500 की सहायता
आंध्र प्रदेश पुनर्गठन अधिनियम की धारा 94 के प्रावधान के अनुसार केंद्र सरकार ने राजधानी के निर्माण के लिए आंध्र को कुल 2,500 करोड़ रुपये की सहायता दी है। इसमें विधानसभा और उच्च न्यायालय जैसे भवनों के निर्माण के लिए 1,500 करोड़ रुपये और 1,000 करोड़ रुपये भी शामिल हैं। वीरराजू ने कहा कि विजयवाड़ा और गुंटूर नगर निगमों और स्मार्ट शहरों के विकास के लिए केंद्र द्वारा 1,000 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं।

क्या चाहती है भाजपा
भाजपा के राज्यसभा सांसद जीवीएल नरसिम्हा राव ने कहा कि उनकी पार्टी चाहती है कि अमरावती राजधानी बनी रही।विशाखापट्टनम एक अच्छी जगह हो सकती है लेकिन अमरावती में राजधानी स्थापित करने का निर्णय पहले ही लिया जा चुका है और इसे ऐसा ही रहना चाहिए। उन्होंने सवाल किया कि अगर राजधानी को कहीं और स्थानांतरित कर दिया गया तो अमरावती का क्या होगा? 2014 में राज्य के विभाजन के मद्देनजर आंध्र प्रदेश के लिए एक नया राजधानी शहर चुनने का निर्णय तब से कानूनी, राजनीतिक, विधायी और प्रशासनिक मोर्चों पर कई मोड़ से गुजरा है, जो अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।

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