नोटबंदी, जी.एस.टी. और कोविड से उद्यमों को 115 लाख करोड़ का नुकसान, 1.6 करोड़ लोगों की गई नौकरी

Edited By Updated: 11 Jul, 2024 08:52 AM

demonetisation gst and covid caused loss of rs 115 lakh crore to enterprises

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक 2016 के बाद से नोटबंदी, जी.एस.टी. रोलआउट और कोविड महामारी जैसे व्यापक आर्थिक झटकों के प्रभाव से अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों को 115 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जबकि 1.6 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई है।

नेशनल डेस्क: इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के मुताबिक 2016 के बाद से नोटबंदी, जी.एस.टी. रोलआउट और कोविड महामारी जैसे  व्यापक आर्थिक झटकों के प्रभाव से अनौपचारिक क्षेत्र के उद्यमों को 115 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है, जबकि 1.6 करोड़ लोगों की नौकरी चली गई है। सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ( एम.ओ.एस.पी.आई.) के आंकड़ों के अनुसार, गैर-कृषि क्षेत्र में प्रतिष्ठानों की कुल संख्या 2021-22 में 5.97 करोड़ से बढ़कर 2022-23 में 6.5 करोड़ हो गई। 2015-16 में अनौपचारिक उद्यमों की संख्या 6.34 करोड़ थी।

63 लाख अनौपचारिक प्रतिष्ठानों को नुकसान
2010-11 और 2015-16 के बीच 57 लाख उद्यमों की वृद्धि हुई, जो सालाना लगभग 11 लाख  उद्यमों की वृद्धि के बराबर है। अगर 2015-16 के बाद की अवधि में नोटबंदी, जीएसटी और कोविड-19 जैसे बड़े झटके नहीं लगे होते और उद्यमों में वृद्धि 2010-11 और 2015-16 के बीच के पैटर्न का पालन करती, तो 2022-23 में उनकी कुल संख्या 7.14 करोड़ तक पहुंच जाती। इसी तरह नियोजित श्रमिकों की संख्या 12.53 करोड़ होती। इसलिए इंडिया रेटिंग्स का कहना है कि 2015-16 से 2022-23 की अवधि के दौरान 63 लाख अनौपचारिक प्रतिष्ठानों को नुकसान हुआ है और 1.6 करोड़ नौकरियां चली गई हैं।

269 लाख करोड़ होता उद्यमों का आकार
अनौपचारिक उद्यमों का आकार 2022-23 में 154 लाख करोड़ रुपये था, जो 2015-16 और 2022-23 के बीच 4.3 प्रतिशत की कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट  (सी.ए.जी.आर.) से बढ़ रहा था। 2010-11 और 2015-16 के बीच सी.ए.जी.आर.12.9 प्रतिशत था। यदि 2015-16 से 2022-23 के दौरान विकास की गति 12.9 प्रतिशत रही होती, तो 2022-23 में अनौपचारिक उद्यमों का आकार 269 लाख करोड़ रुपए रुपये होता। इसका मतलब है कि कुल मिलाकर 115 लाख करोड़ रुपये का आर्थिक नुकसान होगा, जो वित्त वर्ष 23 के सकल घरेलू उत्पाद का 4.3 प्रतिशत है।

क्या कहते हैं अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा के हवाले से एक रिपोर्ट में कहा है कि यह अवधि अर्थव्यवस्था के औपचारिकीकरण में वृद्धि के साथ भी मेल खाती है, जिसके परिणामस्वरूप कर संग्रह में मजबूती आई है। जबकि अर्थव्यवस्था का औपचारिकीकरण आगे का रास्ता है, असंगठित क्षेत्र के कम पदचिह्न का रोजगार सृजन पर प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि अंतरिम अवधि में नीति का विवेकपूर्ण मिश्रण अपनाने की आवश्यकता है जो औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों के सह-अस्तित्व की अनुमति देता है।

विनिर्माण व्यापार और अन्य सेवाओं के सकल मूल्य वर्धित (वास्तविक) में अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 2022-23 में 18.2 प्रतिशत रही, जो 2015-16 में 25.7 प्रतिशत से काफी कम है। अन्य सेवाओं और व्यापार क्षेत्रों में संकुचन अधिक तेज रहा है। इन क्षेत्रों में अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी 2022-23 में क्रमशः 46.9 प्रतिशत और 34.3 प्रतिशत के पूर्व-झटके के स्तर से घटकर 32.3 प्रतिशत और 21.2 प्रतिशत हो गई। विनिर्माण क्षेत्र में, अनौपचारिक क्षेत्र की हिस्सेदारी इसी अवधि के दौरान 12.5 प्रतिशत से घटकर 10.2 प्रतिशत हो गई।

Related Story

IPL
Royal Challengers Bengaluru

190/9

20.0

Punjab Kings

184/7

20.0

Royal Challengers Bengaluru win by 6 runs

RR 9.50
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!