1964 में सुनामी से तबाह हुआ था धनुष्कोटि रेलवे स्टेशन, 58 साल बाद फिर होगा तैयार, लोग नहीं कर पा रहे यकीन

Edited By Updated: 01 Jun, 2022 08:58 PM

dhanushkoti railway station was destroyed by tsunami in 1964

रेल मंत्रालय तमिलनाडु में रामेश्वरम द्वीप पर धनुष्कोटि में 58 साल पहले सुनामी की चपेट में आकर तबाह हुए रेलवे स्टेशन को फिर से बनाने की तैयारी शुरू कर दी है लेकिन स्थानीय निवासियों को इस बात का कतई यकीन नहीं है कि इस धरती पर फिर कभी रेलगाड़ी...

नेशनल डेस्कः रेल मंत्रालय तमिलनाडु में रामेश्वरम द्वीप पर धनुष्कोटि में 58 साल पहले सुनामी की चपेट में आकर तबाह हुए रेलवे स्टेशन को फिर से बनाने की तैयारी शुरू कर दी है लेकिन स्थानीय निवासियों को इस बात का कतई यकीन नहीं है कि इस धरती पर फिर कभी रेलगाड़ी आएगी। धनुष्कोटि में रहने वाले 75 वर्षीय पुरुषोत्तम को 23 दिसंबर 1964 की तारीख याद है जब सुनामी की लहरों ने करीब 110 यात्रियों से भरी पूरी ट्रेन को लील लिया और पटरियों को ना जाने कहां बहा ले गईं।

पत्थरों से बनीं इमारत हो गई खंडहर
पत्थरों से बनी स्टेशन की मजबूत इमारत के खंडहर ही बचे रह गये जो आज भी गवाही दे रहे हैं कि यहीं वो रेलवे स्टेशन था जहां से श्रीलंका के लिए फेरी सेवा लेने वाले यात्रियों को लेकर चेन्नई से बोट एक्सप्रेस आया करती थी। पुरुषोत्तम को वो भयावह द्दश्य याद है कि वह कैसे लाशों के बीच पांव रखते हुए सुरक्षित निकल पाए। करीब 58 वर्षों बाद दक्षिण रेलवे के मुख्यालय ने धनुष्कोटि रेलवे स्टेशन और रामेश्वरम से धनुष्कोटि तक करीब 15-16 किलोमीटर लंबी रेलवे लाइन को बिछाने की लगभग 760 करोड़ रुपए की लागत वाली योजना बना कर रेलवे बोर्ड की स्वीकृति के लिए भेजी है। एक समय धनुष्कोटि से उत्तरी श्रीलंका के जाफना प्रायद्वीप के तलई मन्नार के लिए फेरी सेवाएं चला करतीं थीं जो धनुष्कोटि से महज़ 18 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

रामसेतु के मौजूद हैं सबूत
धनुष्कोटि से हिन्द महासागर में पाक जल डमरू मध्य पार करके तलई मन्नार के बीच समुद्री मार्ग रामसेतु के अवशेषों के साथ ही है और फेरी से यात्रा में रामसेतु के अवशेष देखे जा सकते हैं। पुरुषोत्तम और उसके जैसे 300 परिवार रेलवे की उस ज़मीन पर काबिज हैं जहां 1964 के पहले धनुष्कोटि स्टेशन स्थित था और वहां नये स्टेशन का विकास किया जाना है। दक्षिण रेलवे के मदुरै मंडल के अभियंता हृदयेश कुमार के मुताबिक नये धनुष्कोटि यार्ड के सीमांकन का कार्य पूरा कर लिया गया है जो लाइट हाउस के समीप है। 

टूरिस्ट का बड़ा केंद्र
अधिकारियों के अनुसार 40 साल से अतिक्रमण करके रहने वाले ये लोग बिना बिजली और बुनियादी सुविधाओं के बावजूद यहां बसे हुए हैं। 62 वर्षीय काली अम्मा से जब पूछा गया कि यहां नया स्टेशन बनेगा तो कहां जाओगी, काली अम्मा ने मुस्कराते हुए जवाब दिया, ‘‘यहां 40 साल से बिजली नहीं आयी तो रेलवे लाइन कैसे आ पाएगी।'' काली अम्मा पुराने स्टेशन के खंडहरों के सामने शंख सीपियों आदि की एक दुकान चलाती है और उसके मंदिर में एक पानी की टंकी में ‘तैरता हुआ राम का पत्थर' सैलानियों के आकर्षण का केन्द्र है। पुरुषोत्तम को भी यकीन नहीं है कि यहां दोबारा रेल लाइन आएगी।

क्या है सरकार की योजना
रेलवे के प्रस्ताव के मुताबिक रामेश्वरम से धनुष्कोटि तक रेलवे लाइन में पहली पांच किलोमीटर तक लाइन भूतल पर और बाकी 10 -11 किलोमीटर एलिवेटेड ट्रैक बनाने की योजना है। यह इकहरी ब्रॉडगेज लाइन विद्युतीकृत होगी। धनुष्कोटि का नया स्टेशन 900 मीटर लंबा और 80 मीटर चौड़ा होगा। स्टेशन बनाने की लागत 733 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। इस मार्ग में तीन हॉल्ट स्टेशन एवं एक टर्मिनल स्टेशन होगा। नई रेल लाइन के लिए कुछ ज़मीन का अधिग्रहण करना पड़ेगा जिसमें से 28.6 हेक्टेयर वनभूमि, 43.81 हेक्टेयर राज्य सरकार की भूमि और 3.66 हेक्टेयर निजी भूमि शामिल है। रेल अधिकारियों के मुताबिक इस समय रामेश्वरम में करीब बीस हजार यात्री रोज़ाना आते हैं जो धनुष्कोटि भी घूमने आते हैं। अनुमान है कि अगले 20 साल में यह संख्या करीब सवा दो गुनी यानी लगभग 45 हजार यात्री प्रतिदिन हो जाएगी। धनुष्कोटि रेलवे स्टेशन बनने के बाद वहां स्थानीय लोगों के बच्चों के लिए एक स्कूल भी राज्य सरकार द्वारा बनाया जाएगा। 

108 पुराने पंबन ब्रिज के बराबर में बन रहा नया पुल
धनुष्कोटि की परियोजना भले ही रेल मंत्रालय की बाट जोह रही हो लेकिन तमिलनाडु की मुख्यभूमि से दो किलोमीटर दूर रामेश्वरम द्वीप को जोड़ने वाले 108 साल पुराने पाम्बन पुल के बगल में नये पुल का निर्माण ज़ोरों पर चल रहा है जिसके इसी साल दिसंबर में पूरा होने की संभावना है।  भारतीय रेलवे के उपक्रम रेल विकास निगम लिमिटेड को 560 करोड़ रुपये की लागत की यह परियोजना सौंपी गई है। पुराने पांबन पुल के ठीक बगल में नया पुल बनाया जा रहा है। करीब 2.057 किलोमीटर लंबे पुराने पुल में जहाजों की आवाजाही के लिए पुल के बैराज ऊपर उठ जाते हैं और जहाजों के निकल जाने के बाद पुन: आपस में जुड़ जाते हैं।

कैसा होगा नया ब्रिज
नए पुल में बैराज प्रणाली की जगह लिफ्ट प्रणाली लगाई गई है यानी जहाज के आने पर पर 72.5 मीटर का हिस्सा करीब 17 मीटर ऊंचा उठ जायेगा। यह प्रणाली पहली बार प्रयोग की जाएगी। पुल पर 146 स्पैन बने हैं। रेल विकास निगम लिमिटेड के अधिकारियों ने बताया कि कैंटीलीवर विधि से बन रहा नया पांबन पुल दोहरी लाइन के हिसाब से स्तंभ बनाये गये हैं, लेकिन अभी केवल एक लाइन के लिए गडर्र डाले जा रहे हैं। यही नहीं, नये पांबन पुल पर रेल लाइन के विद्युतीकरण भी किया जा सकेगा।  

अधिकारियों के अनुसार मौजूदा पांबन पुल पर केवल यात्री गाड़ी गुजरती है और 58 किलोमीटर प्रति घंटा से कम गति से हवा बहने पर ही 10 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ट्रेन पुल से चलती है। नये पुल पर हवा की रफ्तार 75 किलोमीटर प्रति घंटा तक होने पर 80 किलोमीटर प्रति घंटा की गति से ट्रेन गुजर सकेगी। हालांकि रेललाइन की क्षमता 160 किलोमीटर प्रतिघंटा की गति की होगी।  अधिकारियों के अनुसार मौजूदा पुल दिसम्बर 1913 में बन कर तैयार हुआ था और फरवरी में औपचारिक रूप से इसका उद्घाटन हुआ था।

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