Edited By Mansa Devi,Updated: 09 Nov, 2025 08:25 PM

देश के हस्तशिल्प उद्योग में सरकार द्वारा की गई GST कटौती का असर साफ तौर पर दिखने लगा है। केंद्रीय सरकार ने 22 सितंबर को कई हस्तशिल्प उत्पादों पर GST दर घटाकर 12% से 5% कर दी थी। इसका फायदा सबसे ज्यादा मूर्तिकला, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की कलाकृतियां...
नेशनल डेस्क: देश के हस्तशिल्प उद्योग में सरकार द्वारा की गई GST कटौती का असर साफ तौर पर दिखने लगा है। केंद्रीय सरकार ने 22 सितंबर को कई हस्तशिल्प उत्पादों पर GST दर घटाकर 12% से 5% कर दी थी। इसका फायदा सबसे ज्यादा मूर्तिकला, मिट्टी के बर्तन, लकड़ी की कलाकृतियां और हाथ से बनी अन्य चीजों की बिक्री में नजर आ रहा है।
मूर्तियों और सजावटी वस्तुओं की बिक्री में उछाल
त्योहारों के सीजन में इन वस्तुओं की बिक्री में लगभग 20 से 25 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। इसमें पेंटिंग, हस्तनिर्मित मोमबत्तियां, लकड़ी की नक्काशीदार वस्तुएं, मिट्टी और टेराकोटा के रसोई के बर्तन जैसी चीजें शामिल हैं। कारीगरों और छोटे उद्यमियों के लिए यह बड़ी राहत है, क्योंकि पहले बढ़े हुए टैक्स बोझ के कारण वे परेशान थे।
सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को भी मिलेगा लाभ
सरकार का कहना है कि GST कटौती का लक्ष्य केवल कारीगरों को आर्थिक सहारा देना ही नहीं, बल्कि भारत की सांस्कृतिक अर्थव्यवस्था को भी बढ़ावा देना है। कपास और जूट से बने हैंडबैग पर भी GST दर 12% से घटाकर 5% कर दी गई है। इस कदम से ग्रामीण आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा और सदियों पुरानी शिल्प परंपराओं का संरक्षण सुनिश्चित होगा।
नई गति से बढ़ रहा हस्तशिल्प उद्योग
GST कटौती से देश के पारंपरिक हस्तशिल्प उद्योग को नई गति मिली है। इससे न केवल कारीगरों की आमदनी बढ़ेगी, बल्कि भारत की पारंपरिक कला और संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान भी मिलेगी। सरकार का प्रयास है कि हस्तशिल्प उद्योग को मजबूत बनाकर ग्रामीण रोजगार और सांस्कृतिक विरासत को सुरक्षित किया जा सके।