Edited By Shubham Anand,Updated: 24 Aug, 2025 11:17 AM

भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश की वायु सुरक्षा को और अधिक मजबूत करते हुए स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर लिया है। DRDO ने 23 अगस्त 2025 को दोपहर लगभग 12:30 बजे ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला...
नेशनल डेस्क : भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) ने देश की वायु सुरक्षा को और अधिक मजबूत करते हुए स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम तैयार कर लिया है। DRDO ने 23 अगस्त 2025 को दोपहर लगभग 12:30 बजे ओडिशा के तट पर एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली (IADWS) का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक किया। इस परीक्षण के दौरान मिसाइलों को अपने लक्ष्य का पीछा करते हुए हवा में ही उन्हें मार गिराने में सफलता मिली।
एकीकृत वायु रक्षा हथियार प्रणाली एक बहुस्तरीय (Multi-layered) वायु रक्षा प्रणाली है, जिसमें पूरी तरह से स्वदेशी रूप से विकसित त्वरित प्रतिक्रिया सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें शामिल हैं। इस प्रणाली में कुल तीन तरह की अत्याधुनिक तकनीक से लैस मिसाइलें हैं—QRSAM (Quick Reaction Surface to Air Missile), VSHORADS (Very Short Range Air Defence System) और एक उच्च शक्ति वाली लेजर आधारित निर्देशित ऊर्जा हथियार प्रणाली (DEW)। ये तीनों मिलकर भारत की वायु रक्षा को और अधिक अभेद्य बनाती हैं।
कितना मजबूत है भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम?
भारतीय वायु रक्षा प्रणाली को दुनिया की सबसे उन्नत और भरोसेमंद प्रणालियों में गिना जाता है। यह प्रणाली बैलिस्टिक मिसाइलों, क्रूज मिसाइलों, लड़ाकू विमानों, ड्रोनों और हेलिकॉप्टरों जैसे विभिन्न प्रकार के हवाई खतरों से देश की सुरक्षा करने में पूरी तरह सक्षम है। यह मल्टी-लेयर्ड सिस्टम विशेष रूप से पाकिस्तान और चीन जैसे पड़ोसी देशों से उत्पन्न खतरों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है।
भारत की यह वायु रक्षा प्रणाली एक एकीकृत नेटवर्क पर आधारित है, जिसमें उन्नत रडार, आधुनिक मिसाइल सिस्टम और कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर शामिल हैं। यह तकनीकी समन्वय इसे अत्यंत प्रभावी और तेज़ प्रतिक्रिया वाली प्रणाली बनाता है, जो युद्ध की स्थिति में त्वरित और निर्णायक कार्रवाई करने में सक्षम है।