चमत्कार! प्रेग्नेंसी की नई राह खुली, इंसानी त्वचा से बने अंडे, अब लैब बेबी का सपना होगा सच

Edited By Updated: 01 Oct, 2025 03:55 PM

eggs grown from human skin in the lab

ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (OHSU) के वैज्ञानिकों ने प्रजनन विज्ञान की दुनिया में एक चौंकाने वाला प्रयोग किया है। उन्होंने पहली बार मानव त्वचा कोशिकाओं से अंडाणु तैयार करने में सफलता हासिल की है। यह सफलता भविष्य में बांझपन से जूझ रहे जोड़ों और...

नेशनल डेस्क। ओरेगन हेल्थ एंड साइंस यूनिवर्सिटी (OHSU) के वैज्ञानिकों ने प्रजनन विज्ञान की दुनिया में एक चौंकाने वाला प्रयोग किया है। उन्होंने पहली बार मानव त्वचा कोशिकाओं से अंडाणु तैयार करने में सफलता हासिल की है। यह सफलता भविष्य में बांझपन से जूझ रहे जोड़ों और समलैंगिक कपल्स के लिए एक बड़ी उम्मीद है जो चाहते हैं कि उनके बच्चे दोनों पार्टनर्स से आनुवंशिक रूप से जुड़े हों।

सफलता के साथ बड़ा 'क्रोमोसोमल खतरा'

हालांकि यह उपलब्धि बहुत बड़ी है लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा खतरा भी सामने आया है: लैब में तैयार किए गए इन अंडाणुओं में गंभीर क्रोमोसोमल गड़बड़ी पाई गई। यही कारण है कि वैज्ञानिकों ने साफ चेतावनी दी है कि इस तकनीक को इंसानों पर आज़माने से पहले कम से कम एक दशक (10 साल) और गहन शोध की आवश्यकता होगी।

त्वचा से अंडाणु बनाने का तरीका 

OHSU टीम ने इस जटिल प्रयोग के लिए एक नई विधि अपनाई:

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नाभिक का आदान-प्रदान: उन्होंने एक मानव अंडाणु कोशिका से नाभिक को हटा दिया और उसकी जगह त्वचा कोशिका का नाभिक डाल दिया।

समस्या: त्वचा कोशिकाओं में क्रोमोसोम के दो सेट होते हैं जबकि अंडाणु (और शुक्राणु) में केवल एक सेट होना चाहिए।

नई विधि: शोधकर्ताओं ने अंडाणु जैसी दिखने वाली इन कोशिकाओं को अतिरिक्त क्रोमोसोम हटाने के लिए मजबूर किया। उन्होंने इस प्रक्रिया को 'क्रोमोसोम संख्या घटाने' का नाम दिया।

परिणाम: इसके बाद इन कोशिकाओं में डोनेटेड स्पर्म इंजेक्ट किया गया। लगभग 9% अंडाणु लैब डिश में छह दिन तक जीवित रहे और शुरुआती भ्रूण अवस्था (ब्लास्टोसिस्ट स्टेज) तक पहुंचे।

हालांकि इन असामान्यताओं के कारण वैज्ञानिकों को आगे का विकास रोकना पड़ा।

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वैज्ञानिकों की राय: 'प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट'

स्टडी के सीनियर ऑथर शौखरात मिटलिपोव ने इसे एक महत्वपूर्ण 'प्रूफ-ऑफ-कॉन्सेप्ट' बताया है। उन्होंने स्वीकार किया कि टीम ने क्रोमोसोम संख्या घटाने की एक नई प्रक्रिया तो विकसित की है लेकिन यह अभी पर्याप्त रूप से अच्छी नहीं है कि सामान्य आनुवंशिक अंडाणु या भ्रूण तैयार किया जा सके। उनकी टीम अब इस प्रक्रिया में सुधार लाने की दिशा में काम कर रही है।

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एथिकल और वैज्ञानिक चुनौतियां 

गंभीर चिंता: कोलंबिया यूनिवर्सिटी के स्टेम सेल रिसर्चर डाइटरिख एग्ली ने क्रोमोसोम की गड़बड़ियों को गंभीर चिंता का विषय बताया है। वहीं डॉ. ईव फाइनबर्ग ने इसे इस दिशा में एक बहुत बड़ा कदम बताते हुए कहा कि टीम ने यह दिखा दिया है कि क्रोमोसोम संख्या घटाई जा सकती है हालाँकि अभी इसे पूरी तरह सही करने की ज़रूरत है। यदि यह तकनीक सफलतापूर्वक विकसित हो जाती है, तो यह बांझपन के इलाज और समान-लिंग वाले जोड़ों को उनके अपने जैविक बच्चे पैदा करने में मदद करके प्रजनन स्वास्थ्य में क्रांति ला सकती है। फिलहाल क्रोमोसोम को सामान्य और स्थिर रखना ही सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है।

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