शादी का वादा तोड़ लड़की को किया प्रेग्नेंट तो जानिए इस धोखे के लिए कितनी मिलती है सज़ा? जानें क्या कहता है कानून

Edited By Updated: 01 Oct, 2025 02:01 PM

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जब कोई पुरुष शादी का झूठा वादा करके किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है और वह महिला गर्भवती हो जाती है तो यह मामला केवल सामाजिक धोखे का नहीं बल्कि एक गंभीर आपराधिक कृत्य बन जाता है। हालाँकि किसी भी व्यक्ति को ज़बरदस्ती शादी के लिए मजबूर नहीं...

नेशनल डेस्क। जब कोई पुरुष शादी का झूठा वादा करके किसी महिला के साथ शारीरिक संबंध बनाता है और वह महिला गर्भवती हो जाती है तो यह मामला केवल सामाजिक धोखे का नहीं बल्कि एक गंभीर आपराधिक कृत्य बन जाता है। हालाँकि किसी भी व्यक्ति को ज़बरदस्ती शादी के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता लेकिन कानून इस तरह के धोखे के खिलाफ कड़े प्रावधान रखता है। आइए सरल भाषा में समझते हैं कि ऐसे मामलों में आरोपी को क्या सज़ा मिल सकती है किन धाराओं के तहत केस दर्ज होता है और महिला तथा बच्चे को क्या कानूनी अधिकार मिलते हैं।

मुख्य कानूनी प्रावधान: भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 69

ऐसे मामलों में सबसे महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान भारतीय न्याय संहिता (BNS) का सेक्शन 69 है।

यह धारा उन मामलों को कवर करती है जहाँ कोई व्यक्ति धोखाधड़ी करके या शादी का झूठा वादा करके किसी महिला से शारीरिक संबंध बनाता है।

अन्य लागू होने वाले प्रावधान और कानूनी राहत

आपराधिक कार्रवाई के अलावा कानून महिला और बच्चे के अधिकारों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण उपाय प्रदान करता है:

1. भरण-पोषण (आर्थिक सहायता) का अधिकार:

महिला और बच्चे को आर्थिक रूप से परेशान होने से बचाने के लिए महिला कानूनी कार्रवाई करके भरण-पोषण (Maintenance) की मांग कर सकती है।

  • लिव-इन रिलेशनशिप को मान्यता: अदालतें अक्सर भरण-पोषण के मामलों में लिव-इन रिलेशनशिप को भी शादी के बराबर ही मान सकती हैं, ताकि महिला और बच्चे को आरोपी से आर्थिक मदद मिल सके।

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2. गर्भपात से जुड़ी धाराएँ (यदि लागू हो):

अगर इन परिस्थितियों के कारण महिला को गर्भपात कराना पड़ता है तो मामले की प्रकृति के आधार पर भारतीय न्याय संहिता के सेक्शन 88 या 89 जैसे अन्य संबंधित प्रावधान भी लागू किए जा सकते हैं।

3. बच्चे का कानूनी अधिकार:

बच्चे को अपने जैविक पिता से संपत्ति और भरण-पोषण का पूरा कानूनी अधिकार मिलता है भले ही माता-पिता की शादी न हुई हो।

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कानूनी प्रक्रिया क्या होती है?

  1. FIR दर्ज करना: यह प्रक्रिया महिला द्वारा संबंधित पुलिस स्टेशन में शिकायत (FIR) दर्ज कराने से शुरू होती है।

  2. आपराधिक जाँच: शिकायत के आधार पर पुलिस आपराधिक जाँच शुरू करती है।

  3. आपराधिक सज़ा: यदि जाँच और ट्रायल में आरोपी दोषी पाया जाता है तो उसे सेक्शन 69 और लागू होने वाले अन्य प्रावधानों के आधार पर सज़ा दी जा सकती है।

  4. सिविल केस (मुआवज़ा): आपराधिक केस के अलावा महिला सिविल कोर्ट में भी जा सकती है। यहाँ वह अपने और बच्चे के लिए आर्थिक मदद और इस धोखाधड़ी से हुए मानसिक व भावनात्मक नुकसान के लिए मुआवज़े (Compensation) की मांग कर सकती है।

कानून स्पष्ट है कि झूठे वादे पर संबंध बनाना न केवल विश्वासघात है बल्कि एक गंभीर अपराध है जिसके लिए दोषी को कड़ी सज़ा और महिला व बच्चे को कानूनी राहत मिलती है।

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