Ratan Tata के निधन पर राजकीय शोक घोषित, आधा झुका रहेगा तिरंगा, जानें क्या-क्या रहेगा बंद....

Edited By Updated: 10 Oct, 2024 03:04 PM

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प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का बीते दिन निधन हो गया, जिससे देश और विदेश में उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई। उन्हें न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखा जाता है। रतन टाटा के निधन के बाद, महाराष्ट्र और झारखंड...

नेशनल डेस्क:  प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा का बीते दिन निधन हो गया, जिससे देश और विदेश में उनके चाहने वालों में शोक की लहर दौड़ गई। उन्हें न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में एक प्रेरणास्त्रोत के रूप में देखा जाता है। रतन टाटा के निधन के बाद, महाराष्ट्र और झारखंड सरकार ने उनके सम्मान में राजकीय शोक का ऐलान किया है। आइए जानते हैं, राजकीय शोक का क्या मतलब होता है, इसे कौन घोषित करता है, और इसके दौरान क्या-क्या होता है।

कहां किया गया राजकीय शोक का ऐलान?
रतन टाटा के निधन पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उनके लिए राजकीय शोक की घोषणा की। यह शोक उनके सम्मान में किया गया है और उनके अंतिम संस्कार से पहले मुंबई के वर्ली में सभी अंतिम दर्शन किए जा रहे हैं। महाराष्ट्र के साथ ही झारखंड सरकार ने भी राजकीय शोक का ऐलान किया है।

राजकीय शोक क्या होता है?
राजकीय शोक तब घोषित किया जाता है जब किसी ऐसी महत्वपूर्ण हस्ती का निधन होता है, जिसने देश के सम्मान को बढ़ाया हो। यह सम्मान राजनीति, विज्ञान, साहित्य, कला, कानून, या किसी अन्य क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले लोगों के लिए होता है।

 भारतीय ध्वज को आधा झुका कर रखा जाता
राजकीय शोक के दौरान भारतीय ध्वज को आधा झुका कर रखा जाता है, और कोई बड़ा सरकारी या सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित नहीं होता है। हालांकि, इस दौरान सार्वजनिक अवकाश का ऐलान अनिवार्य नहीं होता। कई बार सरकारी कार्यालय खुले रहते हैं, लेकिन आधिकारिक समारोह और आयोजन नहीं होते।

राजकीय शोक और राजकीय अवकाश में अंतर
राजकीय शोक और राजकीय अवकाश दोनों अलग-अलग होते हैं। राजकीय शोक के दौरान तिरंगा आधा झुका रहता है, लेकिन सार्वजनिक अवकाश का ऐलान करना अनिवार्य नहीं है। हालांकि, कभी-कभी राजकीय शोक के साथ-साथ सार्वजनिक अवकाश भी घोषित किया जा सकता है, ताकि सरकारी दफ्तरों और अन्य स्थानों पर कामकाज स्थगित रहे।

राजकीय शोक की घोषणा कौन करता है?
पहले, राजकीय शोक की घोषणा राष्ट्रपति की अनुमति से होती थी, लेकिन अब यह राज्य सरकार की अधिकारिता में आता है। राज्य का मुख्यमंत्री राजकीय शोक की घोषणा कर सकता है। पहले यह सम्मान केवल प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, या मुख्यमंत्री के लिए था, लेकिन अब यह किसी भी प्रतिष्ठित व्यक्ति के लिए किया जा सकता है, जिसने देश के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया हो।

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित 
राजकीय शोक की अवधि राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की जाती है। उदाहरण के लिए, मुलायम सिंह यादव के निधन पर 3 दिन का शोक घोषित किया गया था, जबकि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर 7 दिन का राजकीय शोक घोषित हुआ था। यह अवधि राज्य सरकार की नीतियों और स्थिति के आधार पर तय की जाती है।
 
रतन टाटा का योगदान न केवल व्यापार जगत में बल्कि समाजसेवा और देश के विकास में भी बहुत बड़ा था। उनके निधन पर महाराष्ट्र और झारखंड में राजकीय शोक की घोषणा उनके प्रति गहरी श्रद्धांजलि का प्रतीक है।
 

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