दिल्ली कार ब्लास्ट: “अब मैं कैसे जीवित रहूंगा…” इकलौते बेटे की मौत से टूटा पिता का दिल

Edited By Updated: 13 Nov, 2025 10:32 PM

father s heart broken by the death of his only son

राष्ट्रीय राजधानी में लाल किला के निकट सोमवार शाम को हुए विस्फोट में अपने इकलौते बेटे पंकज साहनी को खोने वाले राम बालक साहनी पूरी तरह से टूट गए हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को आतंकवाद के पीड़ित रहे लोगों की एक सभा में कहा, ‘‘अब मैं कैसे जिंदा रहूंगा।'...

नई दिल्लीः राष्ट्रीय राजधानी में लाल किला के निकट सोमवार शाम को हुए विस्फोट में अपने इकलौते बेटे पंकज साहनी को खोने वाले राम बालक साहनी पूरी तरह से टूट गए हैं। उन्होंने बृहस्पतिवार को आतंकवाद के पीड़ित रहे लोगों की एक सभा में कहा, ‘‘अब मैं कैसे जिंदा रहूंगा।'' यह सभा 2005 के सरोजिनी नगर विस्फोट के पीड़ितों द्वारा लाल किला विस्फोट के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त करने के लिए आयोजित की गई थी। 

रामबालक ने कहा, ‘‘मेरी दो बेटियां अब भी पढ़ाई कर रही हैं और मैं लंबे समय से बीमार हूं। मेरा बेटा परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था।'' रामबालक का बेटा ऑटो चलाता था। वह हादसे वाले दिन शाम करीब 4.45 बजे एक यात्री को पुरानी दिल्ली छोड़ने गया था। उन्होंने कहा, ‘‘हमे लगा कि वहां उसे कोई और सवारी मिल गई होगी। हमें जरा भी अंदाजा नहीं था कि ऐसा कुछ हो सकता है।'' 

राम बालक के अनुसार, उन्हें सोमवार रात लगभग साढ़े आठ बजे इस घटना के बारे में फोन आया। अपने बेटे की क्षतिग्रस्त ऑटो को देखकर उनकी उम्मीदें धूमिल हो गईं। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने सबसे पहले उसका ऑटो देखा वह बहुत बुरी हालत में था। मुझे पता था कि उसे बहुत चोटें आई होंगी, लेकिन मैंने कभी नहीं सोचा था कि वह इस दुनिया में नहीं रहा। मैंने उसका बेजान शरीर देखा, उनके चेहरे के बाईं ओर एक लाल निशान था।'' 

सरोजिनी नगर मिनी मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष और 2005 के हमले में जीवित बच गए अशोक रंधावा ने कहा कि वह जानते हैं कि विस्फोट का शिकार होने पर कैसा महसूस होता है। उन्होंने कहा, ‘‘हमने 2005 में हुई उस भयावह घटना को देखा है और जानते हैं कि परिवारों के लिए यह कैसी स्थिति रही होगी।'' 

रंधावा ने कहा, ‘‘हम सोमवार को जान गंवाने वालों को श्रद्धांजलि देने और सरकार से ऐसे विस्फोटों के पीड़ितों को सरकारी नौकरियों में कम से कम दो प्रतिशत आरक्षण देने का आग्रह करने आए हैं।'' सोमवार शाम लाल किले के पास हुए शक्तिशाली विस्फोट में 13 लोगों की मौत हो गई और कई घायल हो गए। 

पुलिस और फोरेंसिक टीम विस्फोटक की प्रकृति और पिछले हमलों से उसके संभावित संबंधों की जांच कर रही हैं। सरोजिनी नगर में 29 अक्टूबर 2005 को विस्फोट हुआ था, दिवाली की पूर्व संध्या पर दिल्ली के भीड़भाड़ वाले बाजारों में हुए सिलसिलेवार धमाकों में से एक था। इन धमाकों में करीब 60 लोग मारे गए थे और 200 से अधिक घायल हुए थे। 

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