भारत में तबाही मचा रहे कोरोना वैरिएंट की पहली तस्वीर जारी, पिन की नोक से भी एक लाख गुना छोटा

Edited By Updated: 05 May, 2021 08:47 AM

first picture of corona variant

देश में काेरोना वायरस की दूसरी लहर कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा मौतों का आंकड़ा देखकर लगाया जा सकता है।  दूसरी लहर में ज्यादा मौतों की वजह गंभीर रूप से बीमार संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए अपर्याप्त आधारभूत संरचना और आवश्यक दवाओं की जमाखोरी मानी जा...

नेशनल डेस्क: देश में काेरोना वायरस की दूसरी लहर कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा मौतों का आंकड़ा देखकर लगाया जा सकता है।  दूसरी लहर में ज्यादा मौतों की वजह गंभीर रूप से बीमार संक्रमित मरीजों के इलाज के लिए अपर्याप्त आधारभूत संरचना और आवश्यक दवाओं की जमाखोरी मानी जा रही है।  इसी बीच कोरोना के वेरिएंट B.1.1.7 (यूके वेरिएंट) की पहली तस्वीर सामने आई है, इसमें स्पष्ट दिख रहा है कि  यह कोरोना शरीर की कोशिकाओं से चिपकता है। इस स्ट्रेन की वजह से ही कई देशों में कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर आई। 


 भारत और कनाडा में हुआ इसका असर
कनाडा के शोधकर्ताओं ने वायरस के बी.1.1.7 प्रकार में उत्परिवर्तन की पहली संरचनात्मक तस्वीर को प्रकाशित किया है,  जिससे पता चला कि यह पिछले स्ट्रेन की तुलना में अधिक संक्रामक  है। ब्रिटेन में खोजा गया ये वेरिएंट वहां पर तो तेजी से संक्रमण की वजह बना ही भारत और कनाडा में भी इसका असर हुआ। याद हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने पिछले साल दिसंबर मध्य में कोरोना वायरस के B.1.1.7 वैरिएंट के बारे में सार्वजनिक रूप से घोषणा की थी। 


तस्वीर से कई अहम जानकारियां आई सामने 
यूनिवर्सिटी ऑफ ब्रिटिश कोलंबिया (यूबीसी) की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि एटोमिक रेजलूशन से ली गई तस्वीर से इस वेरिएंट के बारे में कई अहम जानकारियां सामने आएंगी। UBC में शोधकर्ताओं की टीम के लीडर डॉ. श्रीराम सुब्रमण्यम ने B.1.1.7 कोरोना वैरिएंट के अंदर एक खास तरह के म्यूटेशन देखा। इसे  N501Y कहा जाता है, इसी के जरिए वायरस मानव सेल से जुड़कर संक्रमित करता है।


बेहद छोटा ह वायरस
शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना वायरस पिन की नोक से एक लाख गुना छोटा है और आम माइक्रोस्कोप से नहीं देखा जा सकता है। वायरस के शेप और प्रोटीन को देखने के लिए रिसर्च टीम ने क्रायो-इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल किया जिसे क्रायो-EM कहा जाता है और 12 फीट ऊंचा हो सकता है। इमेजिंग टेक्नॉलजी में इलेक्ट्रोन्स बीम्स का इस्तेमाल किया गया। 


संक्रमण को काबू करने के लिए रास्ता दिखाएगी तस्वीर
शोधकर्ताओं  का कहा कि इन नए वेरिएंट्स के स्ट्रक्चर को देखना इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पता चलेगा कि मौजूदा इलाज और वैक्सीन इन पर प्रभावी होगा या नहीं। यह संक्रमण को काबू करने के लिए रास्ता दिखाएगा। भारत में तेजी से फैल रहे वायरस के बी.1.617 वेरिएंट में दो महत्वपूर्ण म्यूटेशन ई484क्यू और एल452आर पाए गए हैं जिसके चलते इस वायरस डबल म्यूटेंट वेरिएंट भी कहा जा रहा है।

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