गृह मंत्री जी परमेश्वर बोले- अगर खड़गे कर्नाटक की राजनीति में लौटना चाहते हैं तो इसमें कुछ भी गलत नहीं

Edited By Updated: 29 Jul, 2025 06:04 PM

g parameshwara if kharge wants to return to karnataka politics nothing wrong

कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मंगलवार को कहा कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राज्य की राजनीति में लौटना चाहते हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। परमेश्वर ने यह टिप्पणी खरगे के उस बयान जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष ने याद दिलाया था कि कैसे...

नेशनल डेस्क: कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने मंगलवार को कहा कि अगर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे राज्य की राजनीति में लौटना चाहते हैं, तो इसमें कुछ भी गलत नहीं है। परमेश्वर ने यह टिप्पणी खरगे के उस बयान जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष ने याद दिलाया था कि कैसे 1999 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों के बाद उन्होंने एसएम कृष्णा के हाथों मुख्यमंत्री पद गंवा दिया था, को लेकर पूछे गए एक सवाल पर की।

वरिष्ठ कांग्रेस नेता परमेश्वर ने कहा कि खरगे की टिप्पणी की गलत व्याख्या करना ठीक नहीं है। खरगे की टिप्पणी ने कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन और कर्नाटक की राजनीति में उनकी वापसी की अटकलों को तेज कर दिया है। उनकी टिप्पणी से कांग्रेस में “दलित मुख्यमंत्री” की चर्चा को भी फिर से हवा मिल गई है, जिसके बारे में पार्टी के वरिष्ठ नेता परमेश्वर और एचसी महादेवप्पा पहले ही खुलकर बोल चुके हैं। कर्नाटक से ताल्लुक रखने वाले खरगे अनुसूचित जाति (एससी) से आते हैं। परमेश्वर ने संवाददाताओं से कहा, “खरगे न सिर्फ हमारी पार्टी के, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति में भी एक वरिष्ठ नेता हैं। उन पर टिप्पणी करना उचित नहीं है।

खरगे हर तरह के पद संभालने के लिए सक्षम हैं; उनके पास अनुभव है और वह लगभग 50 साल से राजनीति में सक्रिय हैं। अगर वह कुछ कहते हैं, तो उसकी गलत व्याख्या करना ठीक नहीं है।” यह पूछे जाने पर कि कुछ लोग खरगे के कर्नाटक की राजनीति में वापसी करने की चर्चा कर रहे हैं, परमेश्वर ने कहा, “इसमें कुछ भी गलत नहीं है। वह हमारी पार्टी में निर्णायक पद पर हैं। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) का अध्यक्ष होने के नाते खरगे ही तय करते हैं कि मुख्यमंत्री कौन होना चाहिए। इसलिए, अगर वह राज्य की राजनीति में लौटना चाहते हैं, तो किसी को भी इसका गलत मतलब नहीं निकालना चाहिए।” खरगे ने रविवार को विजयपुरा में आयोजित एक कार्यक्रम में 1999 के उस घटनाक्रम को याद किया था, जब कांग्रेस के कर्नाटक में सत्ता में आने के बाद उन्हें एसएस कृष्णा के हाथों मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ा था।

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा था, “(1999 के विधानसभा चुनावों से पहले) सीएलपी (कांग्रेस विधायक दल) के नेता के रूप में मैंने कांग्रेस को सत्ता में लाने की कोशिश की, पार्टी ने सरकार बनाई और एसएम कृष्णा मुख्यमंत्री नियुक्त किए गए। वह कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस कमेटी (केपीसीसी) के अध्यक्ष के रूप में (चुनावों से) चार महीने पहले ही आए थे... मेरी सारी मेहनत पानी में बह गई। मुझे लगा कि मैंने पांच साल मेहनत की, लेकिन जो व्यक्ति चार महीने पहले आया था, उसे मुख्यमंत्री बना दिया गया।” खरगे ने कहा था, “मैं यह कहना चाह रहा हूं कि हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन हमें बिना लालच के काम करते रहना चाहिए। अगर आप लालची हैं, तो आपको कुछ नहीं मिलेगा, साथ ही आप वो नहीं कर पाएंगे, जो आपके मन में है। मैं इन सब चीजों से गुजरते हुए आज एक ब्लॉक अध्यक्ष से एआईसीसी अध्यक्ष बन गया हूं। मैं कभी पद के पीछे नहीं भागा।”

महादेवप्पा ने भी सोमवार को कांग्रेस अध्यक्ष के बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा था, “खरगे देश के वरिष्ठ नेताओं में से एक हैं और उनमें किसी भी संवैधानिक पद पर आसीन होने के लिए सभी आवश्यक गुण हैं। हमारी इच्छा है कि उन्हें ऐसा अवसर जरूर मिलना चाहिए।” महादेवप्पा ने कांग्रेस के दलित मुख्यमंत्रियों दामोदरम संजीवय्या, सुशील कुमार शिंदे, जगन्नाथ पहाड़िया और राम सुंदर दास का नाम लेते हुए कहा था, “पार्टी समय आने पर उचित निर्णय लेगी और सभी उसका पालन करेंगे।” हालांकि, खरगे के बेटे और कर्नाटक के आईटी मंत्री प्रियंक खरगे ने सोमवार को अटकलों को कम करने की कोशिश करते हुए कहा था कि उनके पिता बस अपने राजनीतिक जीवन के उतार-चढ़ावों को साझा कर रहे थे और उनके भाषण को समग्र रूप में देखा जाना चाहिए। प्रियंक ने यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें कोई पछतावा नहीं है।

उन्होंने कहा, “कलबुर्गी और कर्नाटक के लोगों के आशीर्वाद से वह उस पद पर हैं, जिस पर सुभाष चंद्र बोस और गांधीजी बैठे थे... उन्हें अपने राजनीतिक भविष्य के बारे में जो भी फैसला करना है, वह खुद करेंगे। उन्होंने वह सम्मान और प्रतिष्ठा अर्जित की है। उनका आलाकमान के साथ अच्छा रिश्ता है। वह जो भी फैसला करेंगे, राहुल गांधी, सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी उसे स्वतः स्वीकार कर लेंगे।”

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