गणेश चतुर्थी और छठ के शुभ अवसर पर करें ये उपाय, मिलेगा महावरदान

Edited By Niyati Bhandari,Updated: 31 Oct, 2019 07:57 AM

ganesh chaturthi and chhath puja 2019

आज गणेश चतुर्थी का शुभ अवसर है और साथ में छठ पूजा का महापर्व भी मनाया जा रहा है। प्रथम पूज्य और धरती के साक्षात देव सूर्य नारायण की आराधना का ये खास मौका है। वैसे तो गणपति जी की उपासना सदैव कल्याणकारी मानी गई है लेकिन

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आज गणेश चतुर्थी का शुभ अवसर है और साथ में छठ पूजा का महापर्व भी मनाया जा रहा है। प्रथम पूज्य और धरती के साक्षात देव सूर्य नारायण की आराधना का ये खास मौका है। वैसे तो गणपति जी की उपासना सदैव कल्याणकारी मानी गई है लेकिन गणेश चतुर्थी के दिन ये विशेष फलदायी होती है। पुराणों में कहा गया है जो व्यक्ति श्रद्धा और भक्ति से विघ्नहर्ता की उपासना करता है उसकी सभी तरह की परेशानियों का नाश हो जाता है। नवग्रह के दोष भी इनकी कृपा से समाप्त हो जाते हैं। आज के दिन गणेश जी को मोदक और घी का भोग लगाने से सुख-सौभाग्य बढ़ता है और सभी तरह की रुकावटें खत्म होती हैं। किसी भी तरह का वरदान नहीं बल्कि महावरदान चाहते हैं तो गणेश जी के इस मंत्र का जाप करें- 
नमस्ते योगरूपाय संप्रज्ञातशरीरिणे। असंप्रज्ञातमूध्र्रे ते तयोर्योगमयाय च।
अर्थात- हे गणेश्वर सम्प्रज्ञात समाधि आपका शरीर तथा असम्प्रज्ञात समाधि आपका मस्तक है।

आप दोनों के योगमय होने के कारण योगस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है।

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वामाङ्गे भ्रान्तिरूपा ते सिद्धि: सर्वप्रदा प्रभो। भ्रांतिधारकरूपा वै बुद्धिस्ते दक्षिणाङ्गके।।
अर्थात-
प्रभो आपके वामांग में भ्रांतिरूपा सिद्धि विराजमान हैं, जो सब कुछ देने वाली हैं तथा आपके दाहिने अंग में भ्रान्तिधारक रूपवाली बुद्धि देवी स्थित है।

मायासिद्धिस्तथा देवो मायिको बुद्धिसंज्ञित:। तयोर्योगे गणेशान त्वं स्थितो ऽ सि नमो स्तु ते।।
अर्थात-
भ्रांति अथवा माया सिद्धि है और उसे धारण करने वाले  गणेश देव मायिक हैं। बुद्धि संज्ञा भी उन्हीं की है। हे गणेश्वर! आप सिद्धि और बुद्धि दोनों के योग में स्थित हैं। आपको बारंबार नमस्कार है।

जगद्रूयों गकारश्च णकारो ब्रह्मवाचक:। तयोर्योगे गणेशाय नाम तुभ्यं नमो नम:।।
अर्थात-
गकार जगत्स्वरूप है और णकार ब्रह्म का वाचक है। उन दोनों के योग में विद्यमान आप गणेश-देवता को बारम्बार नमस्कार है।

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गणेश चतुर्थी और छठ के शुभ अवसर पर करें ये उपाय- यदि आपके कार्य सहजता से सफल नहीं होते या कार्य करने में परेशानियां अधिक या बार-बार आती हैं तो निम्र प्रयोग करें : 

प्रात:काल 7 से 9 बजे के बीच (बुधवार अधिक उपयुक्त) कच्चा सूत लेकर सूर्य देव के सामने मुंह करके खड़े हो जाएं। फिर सूर्य देव को नमस्कार करके ऊं ह्रीं  घृणि सूर्य आदित्य श्री’ मंत्र बोलते हुए सूर्य को जल चढ़ाएं। जल में रोली, चावल, चीनी तथा लाल पुष्प डाल लें। इसके बाद कच्चे सूत को सूर्य देव की तरफ करते हुए गणेश जी का स्मरण करते हुए, सात गांठें लगाएं। 

ध्यान रहे कि एक गांठ पर दूसरी गांठ न आए। इसके बाद इस सूत को किसी ताबीज में रखकर अथवा प्लास्टिक में लपेटकर, अपनी कमीज की जेब में रख लें, या गले में धारण करें। आपके बिगड़े काम बनने लगेंगे। अधिक अनुकूलता हेतु उपर दिए सूर्य मंत्र का जप 1 माला रोज 42 दिन तक करें।

सूर्य संबंधित वस्तुओं का दान करें- गेहूं, मसूर की दाल, गुड़, लाल वस्त्र, तांबा और स्वर्ण का दान दिया जाए। यदि कोई व्यक्ति स्वर्ण-माणिक्य पहनने की शक्ति नहीं रखता है तो तांबे की अंगूठी पर सूर्य देव का चिन्ह बनवा कर दाहिने हाथ की अनामिका उंगली में रविवार के दिन पूजा आदि करके धारण करें।

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