Edited By Radhika,Updated: 16 Jul, 2025 12:44 PM
यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया के लिए भारत के ग्रैंड मुफ़्ती शेख़ अबू बकर कंथापुरम एक फरिश्ता बनकर सामने आए हैं। शेख़ अबू बकर की पहल के बाद यमन सरकार ने निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को टाल दिया है। निमिषा को आज ही...
नेशनल डेस्क: यमन में मौत की सज़ा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया के लिए भारत के ग्रैंड मुफ़्ती शेख़ अबू बकर कंथापुरम एक फरिश्ता बनकर सामने आए हैं। शेख़ अबू बकर की पहल के बाद यमन सरकार ने निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा को टाल दिया है। निमिषा को आज ही सज़ा-ए-मौत दी जानी थी।
क्या है निमिषा प्रिया का मामला?
34 वर्षीय भारतीय नर्स निमिषा प्रिया यमन की राजधानी सना की केंद्रीय जेल में बंद हैं। उन पर अपने बिज़नेस पार्टनर की हत्या करने और फिर शव के टुकड़े करने का संगीन आरोप है। यह घटना 2017 की है जब निमिषा ने अपने यमनी पार्टनर तलल अब्दो महदी को कथित तौर पर बेहोश करने के लिए ड्रग दिया था, लेकिन ज़्यादा मात्रा के कारण उसकी मौत हो गई थी।
'ब्लड मनी' की कोशिशें असफल
निमिषा प्रिया के परिवार ने उसे बचाने के लिए कई कोशिशें की थीं, जिसमें 'ब्लड मनी' (मृतक के परिवार को दिया जाने वाला मुआवज़ा, जिससे सज़ा माफ़ हो सके) का भुगतान भी शामिल था। उनकी ये कोशिशें अब तक सफल नहीं हो पाई थीं और मामला बेहद जटिल बना हुआ था।

शेख़ अबू बकर कंथापुरम की मानवीय पहल
इस गंभीर मामले में मध्यस्थता के लिए सुन्नी मुस्लिम धर्मगुरु शेख़ अबू बकर कंथापुरम से अपील की गई। मंगलवार को एएनआई से बात करते हुए सुन्नी धर्मगुरु शेख़ अबू बकर कंथापुरम ने बताया कि उन्होंने यमन के इस्लामिक विद्वानों से संपर्क किया। उन्होंने कहा, "इस्लाम में अलग तरह का कानून है. अगर हत्यारे को मौत की सज़ा सुनाई जाती है, तो पीड़ित के परिवार को माफ़ी का हक़ है।"
कंथापुरम ने आगे कहा, "मुझे नहीं पता कि यह परिवार कौन है, लेकिन मैंने दूर से ही यमन के ज़िम्मेदार विद्वानों से संपर्क किया। मैंने उन्हें मामले को समझाया. इस्लाम एक ऐसा धर्म है जो मानवता को बहुत महत्व देता है। जब मैंने उनसे हस्तक्षेप करने और कार्रवाई करने का अनुरोध किया, तो विद्वानों ने मुलाक़ात की, चर्चा की और कहा कि वे जो कर सकते हैं। इसके बाद उन्होंने हमें आधिकारिक तौर पर सूचित किया है और एक दस्तावेज़ भेजा है जिसमें कहा गया है कि मौत की सज़ा की तारीख़ स्थगित कर दी गई है। अब इस बातचीत को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी।"
अबू बकर कंथापुरम ने यह भी बताया कि उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय को भी इस चर्चा और प्रक्रिया के बारे में सूचित कर दिया है। उन्होंने कहा, "हम सार्वजनिक मुद्दों में धर्म या जाति नहीं देखते. आप सभी यह जानते हैं।"
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'दीया' स्वीकार करने की अपील
अंतरधार्मिक संवाद के लिए प्रसिद्ध 94 वर्षीय अबू बकर कंथापुरम ने इस्लाम के सिद्धांतों को समझाते हुए कहा कि इस्लाम में क़त्ल के बदले 'दीया' (मुआवज़ा) देने का भी रिवाज़ है। उन्होंने यमन के विद्वानों से 'दीया' स्वीकार करने की गुज़ारिश की है, क्योंकि भारत में निमिषा के लिए लोग इसके लिए तैयार हैं। इस पर अभी बातचीत चल रही है कि उनकी गुज़ारिश मानी गई है या नहीं। उन्होंने ज़ोर दिया कि यह मांग इंसानियत के नाते की गई है।
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कौन हैं सुन्नी मुफ़्ती अबू बकर कंथापुरम?
इस्लामिक इंफ़ोसेंटर के अनुसार शेख़ अबू बकर अहमद, जिन्हें कंथापुरम ए.पी. अबूबकर मुस्लियार के नाम से भी जाना जाता है, भारत के दसवें और वर्तमान ग्रैंड मुफ़्ती हैं। 22 मार्च 1931 को केरल के कोझिकोड में जन्मे एक प्रमुख सूफी विद्वान और सामाजिक कार्यकर्ता हैं। वे ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलमा के महासचिव हैं। उन्होंने 2014 में आईएसआईएस के ख़िलाफ़ पहला फ़तवा जारी किया और अंतरधार्मिक संवाद को बढ़ावा दिया। उनकी शैक्षिक और कल्याणकारी पहलें जैसे मरकज़ नॉलेज सिटी, लाखों लोगों को लाभ पहुँचाती हैं। वे संयम, सहिष्णुता और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व पर ज़ोर देते हैं।
केरल के मुख्यमंत्री ने जताई उम्मीद
केरल के मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने निमिषा प्रिया की मौत की सज़ा टलने की ख़बर पर राहत और उम्मीद जताई है। उन्होंने कहा कि इससे निमिषा को अपनी सज़ा ख़त्म करवाने के लिए और समय मिल गया है। उन्होंने एपी अबू बकर मुसलियार की पहल और हस्तक्षेप को इस सफलता का श्रेय दिया। मुख्यमंत्री ने कंथापुरम और एक्शन काउंसिल सहित उन सभी लोगों को बधाई दी जो निमिषा प्रिया के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।