GST: जीएसटी तो हुआ कम लेकिन ग्राहकों की बढ़ी मुश्किलें, 1 की टॉफी 88 पैसे की, ₹2 का शैम्पू 1.77 में, कैसे करें पेमेंट?

Edited By Updated: 23 Sep, 2025 07:32 PM

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जीएसटी कटौती के बाद प्रोडक्ट्स की कीमतें घटी हैं, लेकिन अब टॉफी, बिस्किट, शैम्पू जैसे छोटे पैकों की कीमतें ₹1.77 या ₹4.45 जैसी हो गई हैं। इससे दुकानदार और ग्राहक छुट्टे पैसों को लेकर परेशान हैं। कंपनियां सरकार से पूछ रही हैं कि दाम घटाने के बजाय वजन...

नेशनल डेस्क : जहां पहले क्लासिक की बड़ी सिगरेट खुदरा बाज़ार में 19 रुपये में मिलती थी, वहीं अब जीएसटी कटौती के बाद इसकी कीमत 21.77 रुपये हो गई है। पारले-जी बिस्किट, जो पहले ₹5 में आता था, अब ₹4.45 में बिक रहा है। ₹2 वाला शैम्पू अब ₹1.77 में और ₹1 की टॉफी अब 88 पैसे में मिल रही है। लेकिन इन टूटे हुए दामों की वजह से सबसे बड़ी दिक्कत छुट्टे पैसों की हो रही है। 50 पैसे का सिक्का पहले ही चलन से बाहर हो चुका है और डिजिटल पेमेंट हर ग्राहक के लिए संभव नहीं है। ऐसे में न दुकानदारों के पास छुट्टा है और न ही ग्राहकों के पास पेमेंट करने का आसान तरीका।

बड़े पैक खरीदना बना विकल्प
कंपनियों का कहना है कि उन्होंने जीएसटी दरों में कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों को देना शुरू कर दिया है। पारले कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट मयंक शाह का कहना है कि शुरुआत में थोड़ी परेशानी ज़रूर होगी, लेकिन उम्मीद है कि ग्राहक UPI या अन्य डिजिटल माध्यमों से भुगतान करेंगे या फिर बड़े पैक खरीदेंगे, जिससे छुट्टे पैसों की दिक्कत न हो। कंपनियां अब असमंजस में हैं कि अगर वे दाम घटाने की बजाय प्रोडक्ट का वजन बढ़ा दें, तो क्या सरकार इसे ग्राहकों तक लाभ पहुंचाना मानेगी या नहीं। ऐसे में सभी कंपनियां सरकार से स्पष्ट दिशा-निर्देश की मांग कर रही हैं।

बदले गए प्रोडक्ट्स के दाम
चॉकलेट और ड्रिंक पाउडर बनाने वाली कंपनी मोंडलेज ने भी अपने उत्पादों की कीमतें घटा दी हैं। बॉर्नविटा अब ₹30 के बजाय ₹26.69 में मिल रहा है। ओरियो बिस्किट की कीमत ₹10 से घटकर ₹8.90 हो गई है, जबकि 5 स्टार चॉकलेट ₹20 की जगह अब ₹17.80 में उपलब्ध है। RSPL ग्रुप (जो साबुन और डिटर्जेंट बनाता है) ने भी अपने पुराने स्टॉक की कीमतों में करीब 13% की कटौती की है। कंपनी के प्रेसिडेंट सुशील कुमार बाजपेयी ने कहा कि यह कदम इसलिए उठाया गया है ताकि यह साफ तौर पर दिखे कि टैक्स कटौती का पूरा फायदा ग्राहकों तक पहुंचाया गया है।

छोटे पैकों में हो रही दिक्कत
भारत जैसे देश में छोटे पैकों की सबसे अधिक मांग होती है। उदाहरण के तौर पर, शैम्पू की 79% बिक्री ₹1 और ₹2 के पाउच से होती है। बिस्किट में 64% और चॉकलेट में 58% बिक्री छोटे पैक से होती है। अब जब इन पैक्स के दाम टूटे हुए पैसे (जैसे ₹1.77 या ₹4.45) में हो गए हैं, तो दुकानदारों को छुट्टा देने में दिक्कत हो रही है। ग्राहक भी समझ नहीं पा रहे कि बचे हुए पैसे का क्या करें।

उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि यह स्थिति स्थायी नहीं है। जैसे-जैसे हालात सामान्य होंगे, कंपनियां ₹1, ₹2, ₹5 और ₹10 की राउंड कीमतों पर वापस लौटेंगी। फर्क सिर्फ इतना होगा कि पहले जितना सामान मिलता था, अब उससे थोड़ा ज्यादा मिलेगा।

सरकार से मांगा गया स्पष्टीकरण
2017 में जब पहली बार जीएसटी लागू हुआ था, तब कई कंपनियों पर जुर्माना इसलिए लगाया गया था क्योंकि उन्होंने टैक्स में कटौती के बाद भी दाम कम नहीं किए थे। इस बार कंपनियां वही गलती दोहराना नहीं चाहतीं। इसी वजह से वे सरकार से स्पष्ट रूप से पूछ रही हैं कि क्या दाम घटाने की बजाय अगर वे प्रोडक्ट की मात्रा या वजन बढ़ा दें, तो क्या उसे उपभोक्ता हित में माना जाएगा?

कल्लानोवा इंडिया के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रशांत पेरेस ने स्वीकार किया कि मौजूदा समय में बाजार में भ्रम की स्थिति है। उन्होंने कहा, “अजीब दामों की वजह से ग्राहकों में बेचैनी है, लेकिन ये परेशानी ज्यादा लंबे समय तक नहीं चलेगी। जल्द ही स्थिति स्पष्ट हो जाएगी।”

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