Edited By Shubham Anand,Updated: 17 Dec, 2025 08:59 PM

गोवा स्थित INS हंसा में INAS 335 ‘ऑस्प्रे’ स्क्वाड्रन को भारतीय नौसेना प्रमुख की मौजूदगी में औपचारिक रूप से कमीशन किया गया। इसके साथ ही MH-60R मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर पश्चिमी तट पर नौसेना का पहला ऑपरेशनल स्क्वाड्रन बन गया। यह हेलिकॉप्टर समुद्री...
नेशनल डेस्क : गोवा में भारतीय नौसेना के मुख्यालय INS हंसा में भारतीय नौसेना के प्रमुख (CNS) की मौजूदगी में INAS 335 ‘ऑस्प्रे’ स्क्वाड्रन को औपचारिक रूप से कमीशन कर दिया गया। इस स्क्वाड्रन के शामिल होने के साथ ही MH-60R मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर पश्चिमी तट पर नौसेना के पहले ऑपरेशनल स्क्वाड्रन के रूप में अपनी सेवाएं देने लगा। इसे भारतीय नौसेना की समुद्री ताकत को और सशक्त बनाने वाला एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
इस अवसर पर भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा कि यह अवसर इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वर्ष 2025 में नौसेना के फ्लीट एयर आर्म के गठन को 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि फ्लीट एयर आर्म ने भारतीय नौसेना को बहुआयामी और शक्तिशाली बल बनने में अहम योगदान दिया है। नौसेना प्रमुख ने 17-18 दिसंबर 1961 को ऑपरेशन विजय के दौरान गोवा मुक्ति अभियान में नौसैनिक उड्डयन की महत्वपूर्ण भूमिका को भी याद किया।
बदलते समुद्री हालात और बढ़ती चुनौतियां
नौसेना प्रमुख ने बताया कि वर्तमान समुद्री माहौल पहले से कहीं अधिक जटिल और चुनौतीपूर्ण बन गया है। भू-राजनीतिक बदलाव, नई तकनीकें और समुद्री मार्गों पर बढ़ते खतरे भारत की समुद्री सुरक्षा की अहमियत को और बढ़ा देते हैं। उन्होंने कहा कि भारत 2047 तक विकसित राष्ट्र बनने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है, और इस दिशा में समुद्री सुरक्षा और मजबूत प्रतिरोध क्षमता अत्यंत महत्वपूर्ण है। एडमिरल त्रिपाठी ने प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री के बयानों का हवाला देते हुए कहा कि भारत समुद्र में स्थिरता और सुरक्षा का भरोसेमंद स्तंभ बनने की दिशा में अग्रसर है, और इसके लिए नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ा रही है।
MH-60R हेलिकॉप्टर की विशेषताएं
MH-60R हेलिकॉप्टर को समुद्री इलाके के लिए सबसे उपयुक्त और शक्तिशाली हेलिकॉप्टर माना जाता है। इसकी मारक क्षमता लगभग 834 किलोमीटर और वजन 689 किलो है। इसे आधुनिक और चुनौतीपूर्ण विमानन तकनीकों के साथ कई मिशनों में सहयोग देने के लिए डिजाइन किया गया है। यह हेलिकॉप्टर हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों की उपस्थिति का पता लगाने में भी सक्षम है। इसे भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है, ऐसे समय जब हिंद महासागर में चीनी पनडुब्बियों और युद्धपोतों की गतिविधियों की रिपोर्ट्स सामने आती रही हैं।
दुश्मन की सबमरीन को नष्ट करने में सक्षम
MH-60R मल्टी-रोल हेलिकॉप्टर की निगरानी और हमले की क्षमता इसे विशेष बनाती है। इसमें आधुनिक रेडार, रात में देखने वाले उपकरण, हेलिफायर मिसाइलें, टॉरपीडो और रॉकेट लगाए गए हैं, जो दुश्मन की सबमरीन को पूरी तरह बर्बाद करने में सक्षम हैं। नौसेना प्रमुख ने बताया कि भले ही INAS 335 को औपचारिक रूप से आज कमीशन किया गया हो, लेकिन MH-60R हेलिकॉप्टर पहले ही ऑपरेशन सिंदूर, TROPEX-25 और त्रि-सेवा अभ्यास 2025 में अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन कर चुके हैं। स्क्वाड्रन पहले दिन से ही पूरी तरह ऑपरेशनल है।
आत्मनिर्भरता और देशी तकनीक का योगदान
नौसेना प्रमुख ने यह भी बताया कि MH-60R हेलिकॉप्टर पर स्वदेशी हथियारों और सेंसरों का एकीकरण तेजी से जारी है। इस प्लेटफॉर्म में कम्युनिकेशन उपकरण, डेटा लिंक और डेप्थ चार्ज जैसी कई अहम प्रणालियां भारत में निर्मित हैं। हेलिकॉप्टर का रखरखाव, प्रशिक्षण और संबंधित इन्फ्रास्ट्रक्चर भी देश में ही विकसित किया गया है, जो ‘आत्मनिर्भर भारत’ के विजन के अनुरूप है।
‘ऑस्प्रे’ नाम का महत्व
नौसेना प्रमुख ने स्क्वाड्रन के नाम ‘ऑस्प्रे’ को तेज नजर, फुर्ती और सटीक वार का प्रतीक बताया। उन्होंने भरोसा जताया कि INAS 335 के ‘ऑस्प्रे’ स्क्वाड्रन भारत की समुद्री सुरक्षा को चुनौती देने वालों को कड़ा जवाब देगा और नौसेना के जहाजों पर तैनात हेलिकॉप्टरों की शक्ति को नई ऊंचाई तक ले जाएगा। अंत में उन्होंने स्क्वाड्रन के जवानों और उनके परिवारों को बधाई देते हुए कहा कि ‘ऑस्प्रे’ हर समय, हर जगह और हर हालात में भारत के समुद्री हितों की रक्षा करेगा।