सऊदी अरब में हज के दौरान बड़ा हादसा: 39 मृतकों के नामों की List आई सामने

Edited By Updated: 18 Nov, 2025 11:15 AM

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पवित्र यात्रा पर निकले भारतीय हज यात्रियों के लिए यह सफर अचानक ऐसी त्रासदी में बदल गया, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। मक्का से मदीना की ओर बढ़ रही तीर्थयात्रियों से भरी बस एक खड़े डीज़ल टैंकर से भिड़ी और चंद ही पलों में आग की भीषण लपटों ने पूरी...

नेशनल डेस्क: पवित्र यात्रा पर निकले भारतीय हज यात्रियों के लिए यह सफर अचानक ऐसी त्रासदी में बदल गया, जिसकी कल्पना किसी ने नहीं की थी। मक्का से मदीना की ओर बढ़ रही तीर्थयात्रियों से भरी बस एक खड़े डीज़ल टैंकर से भिड़ी और चंद ही पलों में आग की भीषण लपटों ने पूरी बस को अपनी चपेट में ले लिया। इस दिल दहला देने वाली दुर्घटना में 42 भारतीयों की मौत हो गई — जिनमें महिलाएँ, बच्चे और कई एक ही परिवार के सदस्य शामिल थे।

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कैसे हुआ हादसा?

मदीना से करीब 160 किलोमीटर दूर मुहरास क्षेत्र के हाईवे पर यह टक्कर इतनी तेज थी कि धमाके के साथ बस और टैंकर दोनों आग की लपटों में घिर गए। भड़कती आग से यात्रियों को बाहर निकलने का मौका तक नहीं मिला। 20 महिलाएं, 11 बच्चे और कई बुजुर्ग इस हादसे में जलकर मर गए।

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हैदराबाद के दर्जनों परिवारों में मातम

दुर्घटना में जिन 39 मृतकों की पहचान हो चुकी है, उनमें से 21 हैदराबाद के बाजार घाट इलाके के हैं। रहीमुन्निसा, रहमत बी, शहनाज़ बेगम, गौसिया बेगम, कादिर मोहम्मद, शोएब मोहम्मद और कई अन्य नाम उस सूची में शामिल हैं, जिनके घर अब हमेशा के लिए सूने हो गए।

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एक परिवार की 3 पीढ़ियों का खात्मा

सबसे अधिक दर्दनाक कहानी है हैदराबाद के विद्यानगर निवासी रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी शेख नजीरुद्दीन के परिवार की। उनके 18 परिजन — जिनमें वे खुद, उनकी पत्नी, बेटा, बेटियां और 9 मासूम बच्चे शामिल थे — सब इस आग में समा गए। सबसे छोटा बच्चा सिर्फ 5 साल का था। इस परिवार की तीन पीढ़ियाँ एक ही पल में खत्म हो गईं, और घर में केवल मातम और सवाल बाकी रह गए—आखिर गलती किसकी थी?

परिजनों का रोष—“जिम्मेदार कौन?”

विद्यानगर के शेख नजीरुद्दीन के घर पर सन्नाटा पसरा है। उनके रिश्तेदार मोहम्मद असलम ने कहा कि इतने बड़े हादसे के बाद जिम्मेदारों पर कार्रवाई होनी चाहिए। उन्होंने पूछा कि आखिर यह लापरवाही किसकी थी—बस चालक की या किसी प्रशासनिक चूक की?

मोहम्मद असलम ने पीड़ा भरी आवाज़ में कहा, “वे सभी पवित्र कार्य के लिए गए थे… उपासना का सफर उनकी आखिरी यात्रा कैसे बन गया? तीन पीढ़ियाँ मिट गईं, पूरा वंश खत्म हो गया। सच सामने आना चाहिए।”

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एकमात्र जीवित बचा 24 वर्षीय युवक

इस भयावह मंजर से सिर्फ एक 24 वर्षीय शख्स जिंदा बच पाया। कैसे उसने आग और धुएँ के बीच से निकलकर अपनी जान बचाई, यह खुद एक अलग कहानी है, जो इस पूरे हादसे में एकमात्र उम्मीद की किरण बनकर उभरी है।

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