जानिए हमारे देश में किस जगह छपता है नोट और कैसे पहुंचते है हम तक

Edited By Updated: 09 Nov, 2016 08:14 PM

here in our country  which place is published notes and see how far we

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार काले धन और भारत में चल रही जाली करंसी पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 के नोटों को पूरी...

जालंधर: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा मंगलवार काले धन और भारत में चल रही जाली करंसी पर लगाम लगाने के लिए 500 और 1000 के नोटों को पूरी तरह से अवैध करार दे दिया गया। इसके साथ ही 500 और 2000 का नया नोट जारी कर दिया है जो कि कल से बैकों में मिलने लगेंगा। पीएम मोदी के इस बड़े फैसले के बाद आपके लिए यह जानना भी जरूरी है कि हमारे देश में किस तरह नोटों को छापा जाता है, कहा छापा जाता है इसके साथ ही नोट के कागज, स्याही से लेकर एक नोट को कौन कौन से पड़ावों से गुजना पड़ता है और कैसे हम तक पहुंचता है तो आज हम आपके इसके बारे में बताने जा रहे है...

इस जगह छापा जाता है नोट
देश में चार बैंक नोट प्रेस, चार टकसाल और एक पेपर मिल है। नोट प्रेस मध्य प्रदेश के देवास, नासिक, सालबोनी और मैसूर में हैं। 1000 के नोट मैसूर में छपते हैं। देवास की नोट प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट छपते हैं। देवास में तैयार स्याही का ही उपयोग किया जाता है। इनमें 20, 50, 100, 500 रुपए मूल्य के नोट शामिल हैं। मध्य प्रदेश के ही होशंगाबाद में सिक्यॉरिटी पेपर मिल है। नोट छपाई पेपर होशंगाबाद और विदेश से आते हैं। जबकि टकसाल मुंबई, हैदराबाद, कोलकाता और नोएडा में हैं। 

नोट के कागज और उस पर इस्तेमाल होने वाली स्याही 
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा नोट तैयार करने के लिए कॉटन से बने कागज और खास तरह की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। भारतीय करंसी नोट तैयार करने के लिए जिस कागज का इस्तेमाल होता है, उसमें कुछ का प्रोडक्शन महाराष्ट्र स्थित करंसी नोट प्रेस (सीएनपी) और अधिकांश का प्रोडक्शन मध्य प्रदेश के होशंगाबाद पेपर मिल में ही होता है। कुछ पेपर इम्पोर्ट भी किया जाता है। नोट छापने के लिए ऑफसेट स्याही का निर्माण मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंकनोट प्रेस में होता है। जबकि नोट पर जो उभरी हुई छपाई नजर आती है, उसकी स्याही सिक्कम में स्थित स्वीस फर्म की यूनिट सिक्पा (एसआईसीपीए) में बनाई जाती है।

इस तरह छपते है नोट और अंकित किया जाता है नंबर
विदेश या होशंगाबाद से आई पेपर शीट एक खास मशीन में डाली जाती है। फिर एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहते हैं उससे कलर किया जाता है। यानी कि शीट पर नोट छप जाते हैं। इसके बाद अच्छे और खराब नोट की छटनी हो जाती है। एक शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं। खराब को निकालकर अलग करते हैं शीट पर छप गए नोटों पर नंबर डाले जाते हैं। फिर शीट से नोटों को काटने के बाद एक-एक नोट की जांच की जाती है। फिर इन्हें पैक किया जाता है। पैकिंग के बाद बंडलों को विशेष सुरक्षा में ट्रेन से भारतीय रिजर्व बैंक तक भेजा जाता है।

क्या खासियत होती है इनमें
बैंक नोट की संख्या चमकीली स्याही से मुद्रित होती है। बैंक नोट में चमकीले रेशे होते हैं। अल्ट्रावायलेट रोशनी में देखे जा सकते हैं। कॉटन और कॉटन के रेशे मिश्रित एक वॉटरमार्क पेपर पर नोट मुद्रित किया जाता है। नोट का कागज इतना मजबूत होता है कि नए नोट को दोनों सिरों से खींचकर अगर आप फाडऩा भी चाहें, तो यह नहीं फटेगा।

हम तक ऐसे पहुंचती है करेंसी
रिजर्व बैंक के देशभर में 18 इश्यू ऑफिस हैं। ये अहमदाबाद, बेंगलुरू, बेलापुर, भोपाल, भुवनेश्वर, चंडीगढ़, चेन्नई, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, जम्मू, कानपुर, कोलकाता, मुंबई, नागपुर, नई दिल्ली, पटना व थिरुवनंतपुरम में स्थित हैं। इसके अलावा एक सब-ऑफिस लखनऊ में है। प्रिंटिग प्रेस में छपे नोट सबसे पहले इन ऑफिसों में पहुंचते हैं। यहां से उन्हें कॉमर्शियल बैंक की शाखाओं को भेजा जाता है।

बेकार हो चुके नोटों को इस तरह किया जाता है नष्ट
नोट तैयार करते वक्त ही उनकी ‘शेल्फ लाइफ’ (सही बने रहने की अवधि) तय की जाती है। यह अवधि समाप्त होने पर या लगातार प्रचलन के चलते नोटों में खराबी आने पर रिजर्व बैंक इन्हें वापस ले लेता है। बैंक नोट व सिक्के सर्कुलेशन से वापस आने के बाद इश्यू ऑफिसों में जमा कर दिए जाते हैं। रिजर्व बैंक सबसे पहले इनके असली होने की जांच करता है। उसके बाद इन नोटों को अलग किया जाता है, जो दोबारा जारी किए जा सकते हैं। बेकार हो चुके नोटों को नष्ट कर दिया जाता है। इसी तरह सिक्कों को गलाने के लिए भमट भेज दिया जाता है।

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