Edited By Parveen Kumar,Updated: 04 Sep, 2025 09:26 PM

हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी और चंबा में आई बाढ़ के दौरान नदियों में बड़ी मात्रा में बहती लकड़ियों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से जवाब तलब किया।
नेशनल डेस्क: हिमाचल प्रदेश के कुल्लू, मंडी और चंबा में आई बाढ़ के दौरान नदियों में बड़ी मात्रा में बहती लकड़ियों के मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञान लिया है। गुरुवार को इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश की सुक्खू सरकार से जवाब तलब किया।
अवैध कटान का सीधा संकेत
मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के. विनोद चंद्रन की पीठ ने इस मामले को बेहद गंभीर बताया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "हमने उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और पंजाब में अभूतपूर्व भूस्खलन और बाढ़ देखी है। मीडिया रिपोर्टों में भी यह बात सामने आई है कि बाढ़ में बड़ी संख्या में लकड़ी के लट्ठे बहते देखे गए। यह साफ तौर पर दिखाता है कि पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर अवैध पेड़ों की कटाई हो रही है।" यह टिप्पणी हिमालयी क्षेत्र में पर्यावरण को हो रहे नुकसान पर दायर एक जनहित याचिका (PIL) पर सुनवाई के दौरान की गई।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, 25 जून को कुल्लू के सैंज में बादल फटने के बाद नदी में बड़े-बड़े पेड़ों के तने और लकड़ियां बहती हुई नज़र आईं। यह सैलाब इतना ज़्यादा था कि आगे चलकर मंडी के पंडोह में ब्यास नदी पर बना बाँध पूरी तरह से लकड़ियों से भर गया। जब इसके वीडियो और फोटो वायरल हुए, तो बड़ा हंगामा मच गया। हालाँकि, वन विभाग के उपाध्यक्ष कहर सिंह खाची ने इसे जंगल का कचरा बताया और अवैध कटाई से इनकार किया था। इसके बाद, सुक्खू सरकार ने मामले की जाँच CID को सौंप दी है। इसके अलावा, कांगड़ा के पौंग बाँध और 25 अगस्त को चंबा के सुल्तानपुर में भी इसी तरह से लकड़ियां बाढ़ के पानी में बहती हुई दिखाई दी थीं, जिस पर पूरे प्रदेश में बहस छिड़ी हुई है। अब इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने खुद सरकार से जवाब मांगा है।