‘हिंदू दर्शन यह नहीं कहता कि इस्लाम नहीं रहेगा’, मोहन भागवत बोले- संघ किसी पर हमले में विश्वास नहीं रखता

Edited By Updated: 29 Aug, 2025 12:32 AM

hindu philosophy does not say that islam will not exist

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में इस्लाम का हमेशा एक स्थान रहेगा। उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच आपसी विश्वास बनाए रखने की पुरज़ोर वकालत की।

नेशनल डेस्कः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने बृहस्पतिवार को कहा कि भारत में इस्लाम का हमेशा एक स्थान रहेगा। उन्होंने हिंदुओं और मुसलमानों के बीच आपसी विश्वास बनाए रखने की पुरज़ोर वकालत की। 

आरएसएस के शताब्दी समारोह के अवसर पर आयोजित प्रश्नोत्तर सत्र में भागवत ने कहा कि संघ किसी पर भी, धार्मिक आधार पर भी, हमला करने में विश्वास नहीं रखता है और केरल बाढ़ और गुजरात भूकंप जैसी आपदाओं के दौरान हमेशा सभी की मदद के लिए आगे आया है। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उनका मानना ​​है कि धर्म व्यक्तिगत पसंद का मामला है और इस मामले में किसी भी तरह का प्रलोभन या ज़ोर-ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए। 

भागवत ने पूछा, ‘‘हिंदू और मुसलमान एक ही हैं... इसलिए उनके बीच एकता को लेकर कोई सवाल ही नहीं है; सिर्फ उनकी पूजा पद्धति बदल गई है। हम पहले से ही एक हैं। एकजुट करने वाली बात कहां से आई? बदला ही क्या है? सिर्फ़ पूजा पद्धति बदल गई है; क्या इससे वाकई कोई फ़र्क़ पड़ता है?'' उन्होंने कहा कि इस्लाम पुरातन काल से भारत में रहा है और आज तक कायम है, और भविष्य में भी रहेगा। भागवत ने कहा, ‘‘यह विचार कि इस्लाम नहीं रहेगा, हिंदू दर्शन नहीं है। हिंदू और मुसलमान दोनों को एक-दूसरे पर परस्पर विश्वास रखने की ज़रूरत है।'' 

भागवत ने यह भी कहा कि सड़कों और जगहों का नाम ‘आक्रांताओं' के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘उनका नाम आक्रांताओं के नाम पर नहीं रखा जाना चाहिए। मैंने यह नहीं कहा कि मुस्लिम नाम नहीं होना चाहिए। एपीजे अब्दुल कलाम, अब्दुल हमीद का नाम वहां होना चाहिए।'' आरएसएस प्रमुख ने देश में जनसांख्यिकीय असंतुलन के प्रमुख कारणों के रूप में धर्मांतरण और अवैध प्रवासन का हवाला दिया और कहा कि सरकार घुसपैठ को रोकने की कोशिश कर रही है और समाज से भी अपनी भूमिका निभानी होगी। 

भागवत ने कहा कि नौकरियां अवैध प्रवासियों को नहीं, बल्कि ‘‘हमारे लोगों को मिलनी चाहिए जिनमें मुसलमान भी हैं।'' भागवत ने कहा कि वह इस तर्क से सहमत हैं कि बांग्लादेश और भारत के लोगों का ‘डीएनए' एक जैसा है, लेकिन हर देश के अपने नियम-कानून होते हैं और प्रवास के इच्छुक लोगों को इन नियमों का पालन करना चाहिए। भागवत ने उन आरोपों को भी खारिज कर दिया कि आरएसएस हिंसा में शामिल रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हिंसा में लिप्त कोई भी संगठन भारत में 75 लाख जगहों तक नहीं पहुंच सकता या इतना समर्थन हासिल नहीं कर सकता। अगर हम ऐसे होते, तो क्या हम ऐसे कार्यक्रम आयोजित करते? हम कहीं भूमिगत होते।'' 

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