Edited By Anu Malhotra,Updated: 10 Sep, 2025 11:39 AM

अगर आप सोचते हैं कि दुबई में घर खरीदना सिर्फ अमीरों का खेल है, तो ज़रा रुकिए - अब वही कहानी भारत के एक बड़े शहर में भी दोहराई जा रही है। महंगाई की रफ्तार और रियल एस्टेट की आसमान छूती कीमतों ने इस शहर को इतना महंगा बना दिया है कि यहां एक घर खरीदने का...
नेशनल डेस्क: अगर आप सोचते हैं कि दुबई में घर खरीदना सिर्फ अमीरों का खेल है, तो ज़रा रुकिए - अब वही कहानी भारत के एक बड़े शहर में भी दोहराई जा रही है। महंगाई की रफ्तार और रियल एस्टेट की आसमान छूती कीमतों ने इस शहर को इतना महंगा बना दिया है कि यहां एक घर खरीदने का सपना, सालों की नहीं बल्कि पीढ़ियों की मेहनत मांगता है। ताज़ा रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस शहर में प्रॉपर्टी के रेट अब सीधे-सीधे दुबई को टक्कर दे रहे हैं।
मुंबई के घरों की कीमतें दुबई को दे रही टक्कर
दरअसल, हाल ही में राष्ट्रीय आवास बोर्ड (NHB) द्वारा जारी एक रिपोर्ट में इस सच्चाई को सामने रखा गया है कि मुंबई भारत का सबसे महंगा रियल एस्टेट बाजार बन चुका है। यहां घरों की कीमतें अब दुबई जैसी इंटरनेशनल मार्केट को टक्कर देने लगी हैं। मार्च 2025 तक मुंबई में औसतन प्रति वर्ग फुट प्रॉपर्टी की कीमत 29,911 रुपये तक पहुंच गई है, जबकि दुबई में यह दर 27,884 रुपए प्रति वर्ग फुट के आसपास रही।
मुंबई की महंगाई का अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि महाराष्ट्र के शहरी क्षेत्र में शामिल टॉप 5% आय वर्ग के परिवारों की भी हालत ऐसी है कि उन्हें मुंबई में घर खरीदने के लिए 100 साल से ज़्यादा तक बचत करनी पड़ेगी।
रिपोर्ट के मुताबिक, इन टॉप 5% परिवारों की प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय 22,352 रुपये है। अगर एक औसत परिवार चार सदस्यों का मान लिया जाए, तो कुल मासिक आय करीब 89,408 रुपए और सालाना करीब 10.7 लाख रुपए बनती है। अब यदि इस आय में से अनुमानित 30.2% की बचत दर को लागू करें, तो सालाना बचत लगभग 3.2 लाख रुपये के आसपास होगी। मुंबई में यदि कोई 1,184 स्क्वायर फीट का फ्लैट खरीदना चाहता है, तो उसकी कीमत औसतन 3.5 करोड़ रुपये से अधिक बैठती है। इस अमाउंट को सालाना 3.2 लाख रुपये की बचत से पूरा करने के लिए परिवार को लगभग 109 साल तक लगातार बचत करनी होगी - बिना किसी खर्च, निवेश में घाटा या जीवन की दूसरी प्राथमिकताओं को देखे।
गुरुग्राम में भी घर खरीदना आसान नहीं
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि गुरुग्राम और हरियाणा जैसे इलाकों में भी घर खरीदना आसान नहीं है। यहां भी एक औसत परिवार को 50 साल से ज्यादा की बचत करनी पड़ सकती है। लेकिन राहत की बात ये है कि चंडीगढ़ जैसे कुछ शहर अभी भी किफायती विकल्प बने हुए हैं, जहां घर खरीदने के लिए औसतन 15 साल की बचत काफी हो सकती है।
रियल एस्टेट विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यही ट्रेंड जारी रहा, तो आने वाले समय में भारत के मेट्रो शहरों में खुद का घर खरीदना सिर्फ हाई इनकम ग्रुप या इन्वेस्टर्स तक ही सीमित रह जाएगा।