प्रदर्शन के दौरान हिरासत में लिए गए नेता कितनी देर तक रखे जाते हैं? जानिए कानून क्या कहता है

Edited By Updated: 11 Aug, 2025 05:00 PM

how long can leaders be detained during protests

देश की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर से प्रदर्शन और हिरासत का मुद्दा गरमा गया है। विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेता बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित वोट चोरी के विरोध में सोमवार को सड़क पर उतरे। उनका आरोप है कि चुनाव आयोग...

नेशनल डेस्क: देश की राजनीति में इन दिनों एक बार फिर से प्रदर्शन और हिरासत का मुद्दा गरमा गया है। विपक्षी इंडिया गठबंधन के नेता बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) और कथित वोट चोरी के विरोध में सोमवार को सड़क पर उतरे। उनका आरोप है कि चुनाव आयोग केंद्र सरकार के इशारे पर काम कर रहा है और बड़ी संख्या में लोगों के वोटिंग अधिकार छीने जा रहे हैं। इस विरोध के दौरान राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत कई अन्य विपक्षी नेताओं को दिल्ली पुलिस ने हिरासत में ले लिया। अब सवाल यह उठता है कि जब किसी प्रदर्शनकारी नेता को हिरासत में लिया जाता है, तो उसे कितनी देर तक पुलिस अपने पास रख सकती है? क्या इसके लिए कोई कानूनी सीमा तय है? चलिए जानते हैं हिरासत से जुड़े कानूनों और नियमों को...

प्रदर्शन का कारण क्या था?

सोमवार को विपक्षी सांसदों और नेताओं ने संसद भवन से लेकर निर्वाचन आयोग के मुख्यालय तक मार्च किया। यह मार्च SIR यानी Special Intensive Revision और कथित वोट चोरी के खिलाफ था। विपक्ष का कहना है कि बिहार में मतदाता सूची से लाखों लोगों के नाम बिना सूचना के हटा दिए गए हैं, जिससे उनके वोटिंग अधिकार छिन गए हैं। जब पुलिस ने उन्हें मार्च से रोका तो मौके पर हंगामा हुआ, जिसके बाद कई नेताओं को हिरासत में लिया गया। यह कार्रवाई कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए की गई थी।

नेताओं को कब और क्यों हिरासत में लिया जाता है?

जब किसी सार्वजनिक स्थान पर विरोध प्रदर्शन होता है और उससे कानून व्यवस्था को खतरा होता है, तो पुलिस को अधिकार है कि वह प्रदर्शनकारियों को "डिटेन" यानी अस्थायी रूप से हिरासत में ले सकती है। यह हिरासत गिरफ्तारी नहीं मानी जाती, बल्कि एक सावधानीपूर्ण कदम होता है ताकि माहौल बिगड़े नहीं। राजनीतिक नेताओं को अक्सर इसलिए हिरासत में लिया जाता है क्योंकि उनका विरोध प्रदर्शन आम जनता पर असर डाल सकता है। ऐसे मामलों में पुलिस उन्हें कुछ घंटों के लिए हिरासत में लेती है और स्थिति सामान्य होने पर छोड़ देती है।

पुलिस हिरासत के क्या हैं कानूनी नियम?

  1. 24 घंटे से अधिक नहीं रख सकते हिरासत में
    भारतीय कानून के तहत, किसी भी व्यक्ति को पुलिस 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में नहीं रख सकती। अगर पुलिस को जरूरत लगती है तो 24 घंटे के भीतर उस व्यक्ति को मजिस्ट्रेट के सामने पेश करना होता है।

  2. गिरफ्तारी तभी मानी जाएगी जब कानूनी प्रक्रिया पूरी हो
    अगर किसी को 24 घंटे से अधिक हिरासत में रखना है, तो यह तभी संभव है जब उसे विधिवत रूप से गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया जाए और अदालत से अनुमति ली जाए।

  3. वकील से मिलने का अधिकार
    हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अपने वकील से मिलने का पूरा अधिकार होता है। यह उनका मौलिक अधिकार है।

  4. हिरासत में सुविधाएं देना अनिवार्य
    पुलिस को हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उचित भोजन, पानी, शौचालय और बुनियादी सुविधाएं देना अनिवार्य होता है।

क्या नेताओं के लिए नियम अलग हैं?

नहीं, नेता और आम आदमी दोनों के लिए एक जैसे कानून लागू होते हैं। लेकिन नेताओं को कभी-कभी सुरक्षा कारणों से हिरासत में लिया जाता है। ऐसे मामलों में यह गिरफ्तारी नहीं मानी जाती बल्कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने का तरीका होता है। जैसे ही हालात सामान्य होते हैं, उन्हें छोड़ दिया जाता है।

क्या गंभीर मामलों में हिरासत बढ़ाई जा सकती है?

अगर मामला गंभीर है और पुलिस को जांच के लिए अधिक समय चाहिए, तो वह अदालत से 15 दिनों की रिमांड मांग सकती है। यह रिमांड मजिस्ट्रेट की अनुमति से ही दी जाती है और इसकी अवधि 90 दिन (गंभीर अपराधों में 180 दिन) तक बढ़ाई जा सकती है। लेकिन प्रदर्शन जैसे मामलों में, आमतौर पर हिरासत कुछ घंटों की होती है और आरोप तय न होने की स्थिति में प्रदर्शनकारियों को छोड़ दिया जाता है।

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