Edited By Radhika,Updated: 18 Dec, 2025 05:26 PM

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक आयुष डॉक्टर के हिजाब को सार्वजनिक मंच पर खींचने का वीडियो वायरल होने के बाद कानूनी शिकंजा कसता दिख रहा है। 15 दिसंबर 2024 को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई इस घटना ने न केवल राजनीतिक बवाल मचाया है,...
नेशनल डेस्क: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक आयुष डॉक्टर के हिजाब को सार्वजनिक मंच पर खींचने का वीडियो वायरल होने के बाद कानूनी शिकंजा कसता दिख रहा है। 15 दिसंबर 2024 को पटना में आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हुई इस घटना ने न केवल राजनीतिक बवाल मचाया है, बल्कि अब BNS के तहत मुख्यमंत्री की मुश्किलों को भी बढ़ा दिया है।
कानून की नज़र में 'मर्यादा' का उल्लंघन :
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार यह मामला मुख्य रूप से BNS की निम्नलिखित धाराओं के इर्द-गिर्द घूमता है:
BNS की धारा 74 (महिला की गरिमा को ठेस पहुँचाना): यह धारा किसी महिला की लज्जा भंग करने के इरादे से उस पर हमला करने या 'आपराधिक बल' के प्रयोग से संबंधित है। बिना सहमति के किसी महिला के हिजाब को खींचना या हटाना इस धारा के दायरे में आ सकता है। दोष सिद्ध होने पर 1 से 5 साल की जेल और जुर्माना। यह एक गैर-जमानती (Non-Bailable) और संज्ञेय अपराध है।

BNS की धारा 79 (शब्द या हाव-भाव से अपमान): अगर यह साबित होता है कि इस कृत्य का उद्देश्य महिला की निजता या गरिमा का अपमान करना था, तो यह धारा लागू होगी।
BNS की धारा 299 (धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाना): चूंकि हिजाब एक धार्मिक पहचान है, इसे जबरन हटाना धार्मिक भावनाओं को आहत करने की श्रेणी में आ सकता है।
क्या मुख्यमंत्री को मिलती है कोई छूट?
भारतीय कानून के तहत "कोई भी कानून से ऊपर नहीं है।" हालांकि, एक मुख्यमंत्री (लोक सेवक) पर मुकदमा चलाने के लिए अक्सर सरकार की पूर्व अनुमति की आवश्यकता होती है, लेकिन यदि कोई संज्ञेय (Cognizable) अपराध हुआ है, तो जांच शुरू करने में पद कोई बाधा नहीं बनता। कई कार्यकर्ताओं ने इस मामले में 'जीरो एफआईआर' की मांग की है।
Article 21 & 25: कानून के साथ-साथ यह मामला संवैधानिक अधिकारों का भी है। अनुच्छेद 21 में हर नागरिक को अपनी शारीरिक स्वायत्तता (Bodily Autonomy) और गरिमा के साथ जीने का अधिकार देता है। अनुच्छेद 25 में अपनी पसंद के धार्मिक प्रतीकों को पहनने और पालन करने की स्वतंत्रता देता है।