Edited By Rohini Oberoi,Updated: 08 Sep, 2025 03:50 PM

भारत में रेलवे का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है। आज के समय में हाइड्रोजन ट्रेन, मेट्रो, रैपिड रेल (नमो भारत) और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसे आधुनिक विकल्प यात्रियों को तेज और आरामदायक यात्रा का अनुभव दे रहे हैं लेकिन अगर बात रफ्तार की हो तो इनमें से कौन...
नेशनल डेस्क। भारत में रेलवे का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है। आज के समय में हाइड्रोजन ट्रेन, मेट्रो, रैपिड रेल (नमो भारत) और वंदे भारत एक्सप्रेस जैसे आधुनिक विकल्प यात्रियों को तेज और आरामदायक यात्रा का अनुभव दे रहे हैं लेकिन अगर बात रफ्तार की हो तो इनमें से कौन सबसे तेज है? आइए इन सभी ट्रेनों की गति और खासियत के बारे में विस्तार से जानते हैं।
हाइड्रोजन ट्रेन
भारत जल्द ही अपनी पहली हाइड्रोजन ट्रेन शुरू करने जा रहा है जो हरियाणा के जींद से सोनीपत के बीच चलेगी। यह ट्रेन 110 से 140 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेगी। इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पर्यावरण के लिए बेहद अनुकूल है क्योंकि यह डीजल इंजनों की तुलना में लगभग शून्य प्रदूषण करती है।

मेट्रो
मेट्रो को अक्सर बड़े शहरों की जीवनरेखा कहा जाता है। ये छोटी दूरी और शहरी क्षेत्रों में परिवहन की रीढ़ हैं। दिल्ली मेट्रो देश की सबसे बड़ी मेट्रो प्रणाली है जिसकी अधिकतम गति 80 किलोमीटर प्रति घंटा है। चूंकि मेट्रो को बार-बार रुकना होता है इसकी औसत गति लगभग 50 किमी/घंटा रहती है।
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रैपिड रेल (नमो भारत)
रैपिड रेल जिसे अब 'नमो भारत' के नाम से जाना जाता है दिल्ली-मेरठ जैसे रूट्स के लिए बनाई गई है। यह 82 किलोमीटर की दूरी को सिर्फ 50 मिनट में पूरा कर सकती है। इसकी अधिकतम गति 180 किलोमीटर प्रति घंटा है जो इसे भारत की सबसे तेज ट्रेनों में से एक बनाती है।

वंदे भारत एक्सप्रेस
भारत की सेमी-हाई-स्पीड ट्रेन वंदे भारत एक्सप्रेस की अधिकतम गति भी 180 किलोमीटर प्रति घंटा है। हालांकि ज्यादातर रूट्स पर यह 160 किमी/घंटा की रफ्तार से ही दौड़ती है क्योंकि इसकी गति रेलवे ट्रैक की स्थिति पर निर्भर करती है।

कौन है सबसे तेज?
अगर हम अधिकतम गति की तुलना करें तो रैपिड रेल (नमो भारत) और वंदे भारत एक्सप्रेस दोनों ही सबसे तेज हैं जिनकी टॉप स्पीड 180 किमी/घंटा है। इन दोनों में मुख्य अंतर यह है कि वंदे भारत लंबी दूरी की यात्राओं के लिए है जबकि रैपिड रेल का उपयोग मध्यम दूरी की यात्राओं के लिए किया जाता है खासकर मेट्रो शहरों को जोड़ने के लिए।