Edited By Shubham Anand,Updated: 07 Dec, 2025 05:19 PM

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने स्पष्ट किया है कि कर्मचारी अपनी सैलरी का 12% कटौती सीमा पार कर स्वैच्छिक योगदान कर सकते हैं। इस अतिरिक्त योगदान से रिटायरमेंट फंड तेजी से बढ़ता है और कंपाउंडिंग ब्याज भी लागू होता है। हालांकि, नियोक्ता केवल...
नेशनल डेस्क : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की स्कीम को लेकर एक बड़ी राहत भरी खबर सामने आई है। अब कर्मचारी अपनी मर्जी से तयशुदा 12% की सीमा से कहीं अधिक राशि अपने पीएफ खाते में जमा कर सकेंगे। यह सुविधा लंबे समय से उन कर्मचारियों की मांग थी जो रिटायरमेंट के लिए ज्यादा बचत करना चाहते हैं। EPFO ने स्पष्ट कर दिया है कि स्वैच्छिक योगदान (Voluntary Contribution) के जरिए कोई भी कर्मचारी बेसिक सैलरी + डीए का 12% से ज्यादा पैसा अपने पीएफ खाते में डलवा सकता है।
वेतन सीमा और वास्तविक सैलरी पर योगदान
अब तक ज्यादातर कर्मचारियों का मानना था कि पीएफ में सैलरी का सिर्फ 12% ही कट सकता है और इसे बढ़ाया नहीं जा सकता। लेकिन EPFO के मौजूदा प्रावधानों के अनुसार कर्मचारी अपनी इच्छा से 12%, 15%, 20%, 50% या फिर 100% तक बेसिक सैलरी का योगदान कर सकता है। सबसे बड़ी बात यह है कि इस अतिरिक्त राशि पर भी पूरी तरह से ईपीएफओ का कंपाउंड ब्याज मिलता रहेगा, जिससे रिटायरमेंट कॉर्पस में भारी इजाफा होगा।
कंपनी का योगदान सिर्फ 12% तक ही सीमित
हालांकि इस सुविधा में एक महत्वपूर्ण शर्त है। अगर कर्मचारी 12% से अधिक योगदान करता है तो उस अतिरिक्त राशि पर कंपनी की ओर से कोई मैचिंग योगदान नहीं मिलेगा। नियम के मुताबिक, नियोक्ता का दायित्व सिर्फ 12% (या वैकल्पिक रूप से पूरी सैलरी पर 12%) तक ही है। यानी अतिरिक्त राशि पूरी तरह कर्मचारी की जेब से जाएगी।
15,000 रुपये से ज्यादा सैलरी वालों के लिए विशेष प्रावधान
जिन कर्मचारियों की बेसिक सैलरी + डीए 15,000 रुपये महीने से अधिक है, उनके लिए भी पूरी सैलरी पर पीएफ कटवाने का विकल्प मौजूद है। लेकिन इसके लिए सिर्फ फॉर्म भरने से काम नहीं चलेगा। ईपीएफ स्कीम के पैरा 26(6) के तहत कर्मचारी और नियोक्ता दोनों को संयुक्त रूप से असिस्टेंट प्रोविडेंट फंड कमिश्नर (APFC) या रीजनल प्रोविडेंट फंड कमिश्नर (RPFC) से लिखित अनुमति लेनी अनिवार्य है। अनुमति मिलने के बाद ही पूरी वास्तविक सैलरी पर पीएफ कटौती शुरू हो सकती है।