ChatGPT ने भारत को दिया बड़ा बूस्ट! इस सेक्टर के एक्सपोर्ट में हुई रिकॉर्ड बढ़ोतरी

Edited By Updated: 06 Oct, 2025 07:06 PM

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चैटजीपीटी के लॉन्च के बाद भारत के कंप्यूटर सर्विसेज एक्सपोर्ट में तेज़ी आई है। अप्रैल-जून 2025 तिमाही में सॉफ्टवेयर एक्सपोर्ट 47.32 बिलियन डॉलर पहुंचा, जो पिछले साल से 13% अधिक है। BPO सेक्टर में AI स्किल्स की मांग बढ़ी है। हालांकि, प्राइवेट निवेश...

नेशनल डेस्क: चैटजीपीटी के लॉन्च के बाद भारत के कंप्यूटर सर्विसेज सेक्टर के एक्सपोर्ट में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। विश्व बैंक की साउथ एशिया चीफ इकोनॉमिस्ट फ्रांजिस्का ओह्नसोर्गे के अनुसार, चैटजीपीटी ने भारतीय सर्विस सेक्टर को मजबूती दी है और इसके एक्सपोर्ट को बूस्ट किया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लेटेस्ट आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून 2025 तिमाही में सॉफ्टवेयर सर्विसेज का एक्सपोर्ट 47.32 बिलियन डॉलर रहा, जो पिछले साल की इसी तिमाही से 13% अधिक है।

चैटजीपीटी से पहले के आंकड़े
जुलाई-सितंबर 2022 में भारत के सॉफ्टवेयर सर्विसेज एक्सपोर्ट 36.23 बिलियन डॉलर थे। ओह्नसोर्गे का कहना है कि भारत AI टेक्नोलॉजी अपनाने के मामले में अच्छी स्थिति में है, खासकर बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) इंडस्ट्री में, जो AI स्किल्स को तेजी से अपना रही है।

AI स्किल्स की मांग बढ़ी
चैटजीपीटी के आने के बाद BPO सेक्टर में AI स्किल्स की मांग 12% बढ़ गई है, जो पहले की तुलना में दोगुनी है और दूसरे सेक्टर्स की तुलना में तीन गुना ज्यादा है। ऑक्सफोर्ड इनसाइट्स के गवर्नमेंट AI रेडीनेस इंडेक्स में भारत 46वें स्थान पर है, जो अन्य उभरते बाजारों से बेहतर और विकसित देशों के स्तर के करीब है।

सर्विसेज एक्सपोर्ट का महत्व
सर्विसेज का एक्सपोर्ट भारत के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे देश को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सरप्लस मिलता है। कॉमर्स मिनिस्ट्री के आंकड़ों के अनुसार, 2025-26 के अप्रैल-अगस्त में भारत का गुड्स ट्रेड डेफिसिट 122 बिलियन डॉलर रहा, जबकि सर्विस ट्रेड सरप्लस 81 बिलियन डॉलर था। पिछले साल 2024-25 में गुड्स ट्रेड डेफिसिट 121 बिलियन डॉलर और सर्विस ट्रेड सरप्लस 68 बिलियन डॉलर रहा था।

निजी निवेश और FDI की स्थिति
ओह्नसोर्गे ने कहा कि AI से निजी निवेश को बढ़ावा मिलेगा, लेकिन कुल निवेश में वृद्धि के लिए यह पर्याप्त नहीं हो सकता। कोरोना महामारी के बाद प्राइवेट कैपिटल खर्च धीमा रहा है। पब्लिक निवेश में वृद्धि हुई है, लेकिन नेट FDI अभी भी अंतरराष्ट्रीय स्तर से कमजोर है। RBI के आंकड़ों के मुताबिक, जुलाई 2025 में भारत का ग्रॉस FDI 50 महीने के हाई 11.11 बिलियन डॉलर तक पहुंचा, लेकिन नेट FDI सिर्फ 5.05 बिलियन डॉलर रही। 2024-25 में नेट FDI में भारी गिरावट आई, जो 2023-24 में 10.15 बिलियन डॉलर से घटकर 959 मिलियन डॉलर रह गई। ग्रॉस निवेश बढ़कर 80.62 बिलियन डॉलर तक पहुंचा।

यह आंकड़े दर्शाते हैं कि AI टेक्नोलॉजी और चैटजीपीटी ने भारतीय कंप्यूटर सर्विसेज सेक्टर को नई दिशा दी है, लेकिन निवेश और FDI में सुधार अभी भी जरूरी है।

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