Edited By Parveen Kumar,Updated: 06 Dec, 2025 12:21 AM

भारत और रूस ने मजबूत आर्थिक साझेदारी के लिए पंचवर्षीय योजना बनाने और व्यापार घाटे पर भारत की चिंताओं को दूर करने पर सहमति जताई। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि यूक्रेन में युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से...
नेशनल डेस्क: भारत और रूस ने मजबूत आर्थिक साझेदारी के लिए पंचवर्षीय योजना बनाने और व्यापार घाटे पर भारत की चिंताओं को दूर करने पर सहमति जताई। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा कि यूक्रेन में युद्ध को शांतिपूर्ण तरीके से समाप्त किया जाना चाहिए। मोदी और पुतिन के बीच शिखर वार्ता का मुख्य बिंदु तेल और रक्षा के पारंपरिक क्षेत्रों में सहयोग से हटकर आर्थिक साझेदारी को महत्वपूर्ण रूप से व्यापक बनाना था, हालांकि पश्चिमी देशों द्वारा भारत पर रूस के साथ अपने संबंधों को कम करने के लिए दबाव बढ़ रहा था। बैठक के बाद दोनों नेताओं ने आठ दशक से अधिक पुरानी भारत-रूस मित्रता को नयी गति देने केa अपने दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया तथा प्रधानमंत्री ने कहा कि यह मित्रता ‘‘ध्रुव तारे'' की तरह अडिग बनी हुई है।
पुतिन ने कहा कि रूस भारत को ईंधन की ‘‘निरंतर आपूर्ति'' करने के लिए तैयार है। यह टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब अमेरिका भारत पर रूस से कच्चे तेल की आपूर्ति रोकने के लिए दबाव बढ़ा रहा है। दोनों पक्षों ने कुल 11 समझौतों पर हस्ताक्षर किए जिनमें भारत से रूस तक कुशल श्रमिकों की आवाजाही से संबंधित एक समझौता भी शामिल है। ये समझौते नौवहन, उर्वरक, स्वास्थ्य सेवा, वैज्ञानिक अनुसंधान, शिक्षा और लोगों के बीच आपसी आदान-प्रदान के क्षेत्रों में सहयोग प्रदान करने से संबंधित हैं।
मोदी ने द्विपक्षीय शिखर वार्ता के बाद अपने मीडिया वक्तव्य में कहा, ‘‘पिछले आठ दशकों में दुनिया ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं। मानवता को कई चुनौतियों और संकटों से गुजरना पड़ा है। इसके बावजूद भारत-रूस की मित्रता ध्रुव तारे की तरह अडिग रही है।'' उन्होंने कहा, ‘‘आपसी सम्मान और गहरे विश्वास पर आधारित यह संबंध हमेशा समय की कसौटी पर खरा उतरा है। आज हमने इस नींव को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी पहलुओं पर चर्चा की। आर्थिक सहयोग को नयी ऊंचाइयों पर ले जाना हमारी साझा प्राथमिकता है।'' संयुक्त बयान के अनुसार, दोनों नेताओं ने इस बात पर जोर दिया कि मौजूदा जटिल, चुनौतीपूर्ण और अनिश्चित भू-राजनीतिक स्थिति के बावजूद भारत-रूस संबंध मजबूत बने हुए हैं। पुतिन के साथ बातचीत में मोदी ने रूसी सेना में काम कर रहे भारतीय नागरिकों की रिहाई का भी आह्वान किया।
विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आर्थिक सहयोग ‘प्रमुख प्रेरक शक्ति' रहा है और पुतिन की यात्रा का सबसे महत्वपूर्ण केंद्र बिंदु है। उन्होंने कहा कि द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार और आर्थिक सहयोग को मजबूत करने के लिए गैर-शुल्क बाधाओं और नियामक बाधाओं को तेजी से दूर करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए फार्मास्यूटिकल्स, कृषि और समुद्री उत्पादों जैसे क्षेत्रों में रूस को भारतीय निर्यात को बढ़ाना महत्वपूर्ण है। संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों पक्ष एक समसामयिक, संतुलित, पारस्परिक रूप से लाभकारी, टिकाऊ और दीर्घकालिक साझेदारी बनाने के लिए प्रयासरत हैं। साथ ही कहा गया है कि सम्पूर्ण क्षेत्र में संबंधों का विकास एक साझा विदेश नीति प्राथमिकता है। वार्ता में यूक्रेन संघर्ष का मुद्दा भी प्रमुखता से उठा और मोदी ने कहा कि भारत ने यूक्रेन में शांति की वकालत की है।
मोदी ने कहा, ‘‘(संघर्ष की शुरुआत से ही) भारत ने यूक्रेन की स्थिति के संबंध में लगातार शांति की वकालत की है। हम इस मामले में शांतिपूर्ण और स्थायी समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं। भारत हमेशा योगदान देने के लिए तैयार रहा है और रहेगा।'' दुनिया भर की नजर मोदी और पुतिन के बीच होने वाली बातचीत पर रही जिसमें दोनों नेताओं ने आठ दशक से अधिक पुरानी भारत-रूस मित्रता को नयी गति प्रदान करने की अपनी दृढ़ इच्छा प्रदर्शित की। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भू-राजनीतिक उथल-पुथल के बावजूद यह मित्रता ‘‘ध्रुव तारे'' की तरह अडिग बनी हुई है। दोनों देशों ने 2030 के आर्थिक कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के अलावा, स्वास्थ्य, गतिशीलता, खाद्य सुरक्षा और लोगों के बीच आदान-प्रदान सहित कई क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के लिए समझौतों पर हस्ताक्षर किए।
रूसी राष्ट्रपति बृहस्पतिवार शाम नयी दिल्ली पहुंचे, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया। मोदी ने स्वयं हवाई अड्डे पर उनका स्वागत किया और बाद में उनके लिए एक निजी रात्रिभोज का आयोजन किया, जिसने 23वें भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की रूपरेखा तय कर दी। रूसी राष्ट्रपति की इस भारत यात्रा पर पश्चिमी देशों की भी नजर है क्योंकि यह यात्रा मॉस्को को आर्थिक रूप से प्रभावित करने के उनके निरंतर प्रयासों के बीच हुई है, जिसमें यूक्रेन में युद्ध समाप्त करने के लिए दबाव डालने की पहल के तहत रूसी कच्चे तेल की आपूर्ति में कटौती करना भी शामिल है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए दोनों देश 2030 तक आर्थिक सहयोग कार्यक्रम पर सहमत हुए हैं और इससे द्विपक्षीय व्यापार और निवेश विविध, संतुलित और टिकाऊ बनेंगे। मोदी ने इस अवसर पर घोषणा की कि भारत शीघ्र ही रूसी नागरिकों के लिए 30 दिन का निःशुल्क ई-पर्यटक वीजा तथा 30 दिन का समूह पर्यटक वीजा शुरू करेगा।