Edited By Shubham Anand,Updated: 24 Jul, 2025 02:55 PM

भारत और ब्रिटेन के बीच बहुप्रतीक्षित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को भारत सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस डील के तहत दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूती मिलेगी और तमाम उत्पादों पर लगने वाला निर्यात शुल्क खत्म हो जाएगा।
नेशनल डेस्क : भारत और ब्रिटेन के बीच बहुप्रतीक्षित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को भारत सरकार की कैबिनेट से मंजूरी मिल गई है। इस डील के तहत दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूती मिलेगी और तमाम उत्पादों पर लगने वाला निर्यात शुल्क खत्म हो जाएगा। इससे दोनों देशों के कारोबारियों और ग्राहकों को सीधा फायदा पहुंचेगा।
क्या है फ्री ट्रेड डील का मतलब?
इस समझौते के तहत भारत और ब्रिटेन एक-दूसरे के उत्पादों पर आयात-निर्यात शुल्क को कम करेंगे या पूरी तरह खत्म कर देंगे। इससे ब्रिटेन से भारत आने वाले उत्पाद सस्ते हो जाएंगे, जिससे कारोबारियों की लागत घटेगी और ग्राहकों को ये उत्पाद कम दाम में मिल सकेंगे।
ब्रिटेन से कौन-कौन सी शराब आती है भारत?
भारत में ब्रिटेन से मुख्य रूप से स्कॉच व्हिस्की, जिन और कुछ बीयर ब्रांड का आयात होता है। स्कॉच व्हिस्की भारत में बेहद लोकप्रिय है और इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है। लोकप्रिय स्कॉच ब्रांड्स में Laphroaig और Sipsmith शामिल हैं। इसके अलावा London Dry Gin जैसी ब्रिटिश जिन और कुछ प्रमुख बीयर ब्रांड्स भी भारत में आयात होते हैं।
देसी शराब निर्माताओं में नाराजगी क्यों?
इस ट्रेड डील से भारतीय शराब निर्माताओं में नाराजगी देखी जा रही है। उनका मानना है कि जब ब्रिटेन की महंगी शराब भारत में सस्ती होकर बिकेगी, तो स्थानीय कंपनियों को कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। खासतौर पर स्कॉच व्हिस्की के सस्ते होने से भारतीय व्हिस्की ब्रांड्स पर दबाव बढ़ सकता है।
ट्रेड डील के बाद क्या होगा असर?
समझौते के मुताबिक, ब्रिटेन से आयात होने वाली शराब पर भारत में लगने वाली ड्यूटी को चरणबद्ध तरीके से घटाया जाएगा। फिलहाल इस पर लगभग 150% शुल्क लगता है, जिसे पहले चरण में 75% किया जाएगा और अगले 10 वर्षों में इसे घटाकर 40% तक लाया जाएगा। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का शराब बाजार दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा मार्केट है और यहां की घरेलू मांग इतनी ज्यादा है कि विदेशी शराब से सीधा खतरा नहीं है। इसके बावजूद देसी निर्माताओं को ब्रिटिश ब्रांड्स की बढ़ती उपस्थिति से सतर्क रहने की जरूरत है।