Indian Army में बड़ा बदलाव: अग्निवीरों को लेकर हुआ अहम फैसला

Edited By Updated: 26 Nov, 2025 08:25 AM

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सेना में इस समय करीब 1.8 लाख पद खाली हैं। इसी भारी कमी को भरने के लिए भारतीय थलसेना अग्निवीर भर्ती की सालाना संख्या को 45–50 हजार से बढ़ाकर एक लाख के पार ले जाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। कोविड के दो वर्षों (2020–2021) में सभी नियमित भर्तियाँ...

नेशनल डेस्क: देश की सबसे बड़ी वर्दी को पहनने का सपना देख रहे युवाओं के लिए बड़ा मोड़ आ गया है। भारतीय सेना अब एक ऐसे फैसले की ओर बढ़ रही है, जो न सिर्फ भर्ती प्रक्रिया को पटरी पर लौटाएगा बल्कि आने वाले वर्षों में फोर्स की ताकत भी कई गुना बढ़ाएगा। लंबे समय से खाली पड़े पद, कोविड काल में रुकी नियुक्तियां और अग्निपथ योजना के शुरू होने के बाद उत्पन्न गैप—इन सभी को देखते हुए सेना अब भर्ती का पैमाना बदलने की तैयारी में है।

अग्निवीर भर्ती में बड़ा इजाफा संभव

सेना में इस समय करीब 1.8 लाख पद खाली हैं। इसी भारी कमी को भरने के लिए भारतीय थलसेना अग्निवीर भर्ती की सालाना संख्या को 45–50 हजार से बढ़ाकर एक लाख के पार ले जाने पर गंभीरता से विचार कर रही है। कोविड के दो वर्षों (2020–2021) में सभी नियमित भर्तियाँ रोक दी गई थीं, जबकि हर साल लगभग 60–65 हजार सैनिक रिटायर होते रहे। इससे फोर्स में एक बड़ा अंतर पैदा हो गया।

अग्निपथ स्कीम के बाद की स्थिति

अग्निपथ योजना लागू होने के साथ 2022 में भरती की शुरुआत बेहद सीमित संख्या में हुई—कुल 46 हजार पद, जिनमें से 40 हजार सेना को मिले। जबकि योजना के शुरुआती चार वर्षों में लक्ष्य था कि धीरे-धीरे भर्ती को बढ़ाकर 1.75 लाख अग्निवीर तक पहुंचाया जाए। लेकिन रिटायरमेंट की दर कम नहीं हुई। हर साल निकलने वाले 60–65 हजार जवानों की तुलना में भर्ती की संख्या काफी कम रही, जिससे गैप हर वर्ष 20–25 हजार तक बढ़ता गया।

कमी बढ़ी, समाधान की नई रणनीति तैयार

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सेना अब नए सिरे से प्लान बना रही है।

  • हर साल करीब एक लाख अतिरिक्त पद अग्निवीरों के लिए खोले जा सकते हैं।

  • दिसंबर 2026 के बाद पहला अग्निवीर बैच रिटायर होना शुरू होगा, जिससे और रिक्तियाँ बनेंगी।

  • इसलिए प्लान यह है कि अगले 3–5 वर्षों में भर्ती का दायरा बढ़ाकर मौजूदा कमी को संतुलन में लाया जाए।

सेना का कहना है कि भर्ती उसी हिसाब से बढ़ाई जाएगी, जिससे ट्रेनिंग सेंटरों पर बोझ न बढ़े और हर रेजिमेंटल सेंटर की क्षमता के अनुसार ही वैकेंसी निकाली जाए।

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