Agniveer Yojna: सैना में अब हर साल 1 लाख जवानों की होगी भर्ती, बदलेगी पूरी संरचना

Edited By Updated: 26 Nov, 2025 05:53 PM

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भारतीय सेना को 1.8 लाख सैनिकों की कमी का सामना है। कोविड काल में भर्ती बंद रहने और नियमित रिटायरमेंट के कारण रिक्तियां बढ़ गईं। अग्निपथ योजना के तहत 2026 में पहला बैच रिटायर होगा, जिसमें केवल 25% को स्थायी पद मिलेगा। सेना ने वार्षिक भर्ती बढ़ाकर 1...

नेशनल डेस्क : भारतीय सेना इस समय अपनी जनशक्ति को लेकर सबसे बड़े संकटों में से एक का सामना कर रही है। लगभग 1.8 लाख सैनिकों की कमी अब खुलकर सामने आ चुकी है। इस संकट की सबसे बड़ी वजह कोविड काल में दो साल तक भर्ती का बंद होना और हर साल हजारों सैनिकों का नियमित रिटायर होना रहा। भर्ती नहीं होने और रिटायरमेंट लगातार जारी रहने से रिक्तियां लगातार बढ़ती चली गईं और 2022 में अग्निपथ योजना लागू होने से पहले ही यह कमी खतरनाक स्तर पर पहुँच चुकी थी। इस असंतुलन ने सेना की संरचना को प्रभावित करना शुरू कर दिया।

अग्निपथ योजना और पहले चरण की भर्ती
साल 2022 में लागू हुई अग्निपथ योजना के पहले चरण में केवल 46 हजार अग्निवीरों का चयन किया गया। इनमें से लगभग 40 हजार भारतीय सेना में शामिल हुए, जबकि बाकी नौसेना और वायुसेना को स्थान दिए गए। योजना के अनुसार, कुछ वर्षों में अग्निवीरों की संख्या बढ़ाकर 1.75 लाख तक पहुंचाई गई थी, लेकिन इसी दौरान हर साल 60–65 हजार पुराने सैनिक रिटायर होते रहे। नए भर्ती होने वाले अग्निवीरों की संख्या अपेक्षाकृत कम थी और रिटायरमेंट की संख्या अधिक थी। इस वजह से सेना की कमी हर साल और बढ़ती गई और बल का संतुलन धीरे-धीरे बिगड़ने लगा।

2026 में पहला बैच रिटायर होगा
अग्निवीर मॉडल के तहत 2026 में पहला बैच चार साल की अवधि पूरी करके रिटायर होना शुरू करेगा। इनमें से केवल 25 प्रतिशत को स्थायी तौर पर सेना में शामिल किया जाएगा, जबकि बाकी पूरी संख्या बाहर जाएगी। इससे सेना में रिक्तियों की संख्या और बढ़ जाएगी। इस चुनौती को देखते हुए सेना ने भर्ती के पैटर्न में बदलाव लाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है।

हर साल 1 लाख से अधिक अग्निवीर भर्ती की तैयारी
सूत्रों के अनुसार, सेना अब बड़ी संख्या में रिक्तियों को भरने के लिए हर साल 1 लाख से अधिक अग्निवीर भर्ती करने पर विचार कर रही है। वर्तमान में वार्षिक भर्ती लगभग 45–50 हजार के आसपास होती है। इसे बढ़ाने की आवश्यकता इसलिए है क्योंकि 2026 में पहला बैच रिटायर होगा और नियमित सैनिक भी लगातार रिटायर होते रहेंगे। दोनों मिलकर सेना में बड़ी रिक्तियों का कारण बनेंगे। 2025 से भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाएगा ताकि समय रहते कमी पर काबू पाया जा सके।

प्रशिक्षण केंद्रों की क्षमता का मूल्यांकन
सेना इस समय अपने रेजिमेंटल केंद्रों की सामर्थ्य, प्रशिक्षण क्षमता और उपलब्ध स्टाफ का मूल्यांकन कर रही है। बड़ी संख्या में अग्निवीरों की भर्ती तभी लागू की जाएगी जब यह सुनिश्चित हो जाए कि प्रशिक्षण की गुणवत्ता प्रभावित न हो और सभी सुरक्षा मानक बनाए रखें। यानी भर्ती जल्दबाजी में नहीं होगी, बल्कि सेना की वास्तविक क्षमता और संसाधनों के अनुसार आगे बढ़ाई जाएगी।

सेना का आधिकारिक बयान
मीडिया से बातचीत में सेना ने स्पष्ट किया कि अग्निपथ के पहले चरण में 1.75 लाख अग्निवीर शामिल करने की प्रक्रिया जारी है। साथ ही, वर्तमान कमी को देखते हुए अतिरिक्त रिक्तियों को भी भरने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। यह संकेत साफ है कि आने वाले महीनों में बड़ी भर्तियां देखने को मिलेंगी और सेना अपनी जनशक्ति को संतुलित रखने के लिए कदम बढ़ा रही है।

आने वाले 5 वर्षों में सेना की संरचना में बड़ा बदलाव
2026 के बाद पहला अग्निवीर बैच रिटायर होगा और नियमित सैनिकों का रिटायरमेंट भी लगातार जारी रहेगा। दोनों मिलकर खाली पदों की संख्या बढ़ाएंगे। इस अंतर को भरने के लिए सेना हर साल बड़ी भर्ती जारी रखेगी। आने वाले 3–5 वर्षों में अग्निवीरों और नियमित सैनिकों के मिश्रण से भारतीय सेना की जनशक्ति संरचना एक नए स्वरूप में दिखाई देगी। इससे न केवल रिक्तियों को भरा जाएगा, बल्कि सेना की कार्यक्षमता और संतुलन भी सुनिश्चित रहेगा।

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