जिगिशा मर्डर केस में 7 साल बाद आया कोर्ट का फैसला

Edited By Updated: 22 Aug, 2016 02:53 PM

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साऊथ दिल्ली के बहुचर्चित आइटी एग्जिक्यूटिव जिगिषा घोष (28) हत्याकांड मामले में सात साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है।

नई दिल्ली: साऊथ दिल्ली के बहुचर्चित आइटी एग्जिक्यूटिव जिगिशा घोष (28) हत्याकांड मामले में सात साल बाद कोर्ट का फैसला आ गया है। साकेत अदालत ने जिगिशा घोष हत्याकांड में दो दोषियों रवि कपूर और अमित शुक्ला को फांसी की जबकि एक अन्य दोषी बलजीत मलिक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने आज सुनाए गए अपने फैसले में इस हत्याकांड को ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ करार दिया।

जिगिशा की हत्या 18 मार्च, 2009 को की गई थी। एक निजी कंपनी में मैनेजर के पद पर तैनात जिगिशा उस दिन तड़के सुबह करीब 4 बजे घर लौट रही थी। बसंत विहार स्थित उसके घर के पास ही ऑफिस कैब ने उसे छोड़ा था। एक गाड़ी में आए तीन युवकों ने उसी समय उसे अगवा कर लिया था और बाद में उसकी हत्या कर दी थी। उसका शव एक दिन बाद फरीदाबाद के सूरजकुंड कें जंगलों से मिला था। उसे अगवा कर ले गए युवकों ने उसका डैबिट कार्ड, एटीएम कार्ड, गहने और मोबाइल फोन छीनकर उसकी गला दबा कर हत्या कर दी थी। 

आरोपियों को एक सप्ताह के अंदर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जिगिशा के एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर आरोपी युवकों ने सरोजनी नगर मार्केट में अपने लिए कुछ कीमती सामानों की खरीदारी की थी। एटीएम से मिले ब्यौरे के जरिए पुलिस ने तीनों युवकों रवि कपूर,अमिल शुक्ला और बलजीत को धर दबोचा था। 

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