सैलरी आते ही हो जाती है गायब? इन आसान तरीकों से होगी तगड़ी बचत, पड़ोसी भी पूछेंगे राज

Edited By Updated: 26 Jul, 2025 02:08 PM

know how to manage salary for the whole month

हर महीने की पहली तारीख को सैलरी अकाउंट में आते ही खुशी की लहर दौड़ जाती है। लेकिन ये खुशी ज्यादा देर टिक नहीं पाती। 10 तारीख के बाद जैसे ही जेब खाली होती है, तनाव और चिंता सिर उठाने लगते हैं। फिर मन में एक ही सवाल उठता है—"इतना कमाते हैं लेकिन बचता...

नेशनल डेस्क: हर महीने की पहली तारीख को सैलरी अकाउंट में आते ही खुशी की लहर दौड़ जाती है। लेकिन ये खुशी ज्यादा देर टिक नहीं पाती। 10 तारीख के बाद जैसे ही जेब खाली होती है, तनाव और चिंता सिर उठाने लगते हैं। फिर मन में एक ही सवाल उठता है—"इतना कमाते हैं लेकिन बचता कुछ नहीं!" अगर आपके साथ भी ऐसा हो रहा है, तो घबराइए नहीं, क्योंकि इस लेख में हम आपको बताएंगे कुछ आसान और व्यावहारिक उपाय जिनसे आप अपनी सैलरी को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकते हैं और बचत की ओर पहला ठोस कदम बढ़ा सकते हैं।

1. बिना बजट के खर्च: सबसे बड़ी गलती

हम में से अधिकतर लोग अपनी सैलरी मिलते ही बिना किसी योजना के खर्च करना शुरू कर देते हैं, और यह नहीं सोचते कि कितना पैसा कहां और किस उद्देश्य से खर्च करना चाहिए। इसी वजह से आधे महीने में ही उनकी जेब खाली हो जाती है। इस समस्या का समाधान यह है कि हमें अपनी जरूरतों और शौकों में फर्क समझना होगा। जैसे मकान का किराया, राशन, दवाइयां और बच्चों की फीस जैसी चीजें हमारी असली जरूरतें हैं, जबकि महंगे कपड़े, पार्टी या गैजेट्स हमारे शौक माने जाते हैं। इसलिए बजट बनाना बहुत जरूरी है और उसमें खर्च के हिस्से तय करने चाहिए। उदाहरण के लिए, आप अपनी सैलरी का 25% किराए के लिए, 15% राशन और खाने-पीने के सामान के लिए, 10% यात्रा या आने-जाने के खर्च के लिए, 30% बच्चों की फीस, त्योहार और अन्य जरूरी खर्चों के लिए और बाकी 20% बचत के लिए निर्धारित कर सकते हैं। इस तरह, आप बिना फिजूलखर्च के अपनी सैलरी का सही प्रबंधन कर पाएंगे।

2. दिखावे की जिंदगी और लाइफस्टाइल का बोझ

लोग अक्सर दूसरों को देखकर अपना खर्चा बढ़ा लेते हैं, भले ही उनकी सैलरी कम हो। वे महंगे मोबाइल, गाड़ियों या ब्रांडेड कपड़ों का शौक पालने लगते हैं ताकि वह दूसरों की तरह दिख सकें। इससे उनकी जेब पर बोझ बढ़ जाता है और बचत के लिए पैसे नहीं बच पाते। इसका समाधान यह है कि अपनी सैलरी के अनुसार जीवनशैली अपनाई जाए और दूसरों की नकल करना बंद कर दिया जाए। जरूरत से ज्यादा खर्च करना आपको कर्ज में डुबो सकता है, इसलिए अपने हालात के अनुसार ही खर्च करें। अपने पास जो है उसी में खुश रहने की आदत डालें और धीरे-धीरे खुद को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने की दिशा में काम करें।

3. क्रेडिट कार्ड का जाल: नजर नहीं आता पर डस जाता है

क्रेडिट कार्ड एक आसान विकल्प लगता है लेकिन यह धीरे-धीरे आदत बन जाता है। शुरुआत में लोग समय पर भुगतान करते हैं, लेकिन बाद में जरूरत से ज्यादा खर्च करने लगते हैं और लेट फीस की वजह से उनकी माली हालत खराब हो जाती है। इसलिए सबसे अच्छा समाधान यह है कि क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल बिल्कुल न करें, खासकर जब आप अपने खर्चों को कंट्रोल नहीं कर पा रहे हों। जरूरत पड़ने पर आप दोस्तों या सहकर्मियों से मदद ले सकते हैं और उन्हें समय पर पैसा लौटा सकते हैं। हमेशा यह सोचें कि क्या आप इस खर्च को अपनी सैलरी से चुका सकते हैं, अगर इसका जवाब नहीं है तो उस खर्च को करने से बचें।

4. बचत को खर्च के बाद नहीं, पहले रखें

अक्सर लोग कहते हैं कि "बचत करने का समय ही नहीं मिलता क्योंकि खर्च इतने ज्यादा होते हैं," लेकिन असल में हम बचत को हमेशा महीने के अंत में रखते हैं, जबकि बचत को सबसे पहले करना चाहिए। इसके लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि सैलरी आते ही अपनी आमदनी का कम से कम 20% हिस्सा अलग कर लें। इस पैसे को फिक्स्ड डिपॉजिट, पीपीएफ या सेविंग्स अकाउंट में डालें ताकि उसे आसानी से निकाला न जा सके और आपकी बचत सुरक्षित रहे। साथ ही ऑनलाइन खर्चों पर भी ध्यान रखें और अनावश्यक सब्सक्रिप्शन या सदस्यताओं को बंद कर दें, जिससे आपके खर्चों में कमी आए और बचत बढ़ सके।

5. खर्चों पर नजर और आत्मनियंत्रण जरूरी

खर्च की सही निगरानी करने के लिए सबसे पहले हर एक खर्च को लिखना या किसी मोबाइल ऐप में दर्ज करना जरूरी है। इससे आपको अपने खर्चों का पूरा हिसाब-किताब रखने में मदद मिलती है। महीने के अंत में इन रिकॉर्ड्स को देखकर समझें कि कहां-कहां पैसे अनावश्यक रूप से खर्च हुए या बर्बाद हुए हैं। इसके बाद अगली बार अपने खर्चों को नियंत्रित करने के लिए उन्हीं बिंदुओं पर खास ध्यान दें और फिजूलखर्ची से बचें ताकि आपकी बचत बढ़ सके और आर्थिक स्थिति मजबूत बनी रहे।

टिप्स जो बचत को आसान बनाएंगे:

  • कैश में खर्च करें, इससे पैसे जाते हुए महसूस होंगे।

  • एक एमरजेंसी फंड बनाएं, जो मेडिकल या अन्य जरूरी काम में आए।

  • ऑनलाइन डील्स से बचें, क्योंकि जरूरत न होने पर भी चीजें खरीद लेते हैं।

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