जानिए, कैसा रहा पूर्व PM अटल बिहारी वाजपेयी का राजनीतिक सफर(Video)

Edited By vasudha,Updated: 17 Aug, 2018 05:05 AM

भारत रत्न से सम्मानित और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार से एम्स (AIIMS) में उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। एम्स ने बुधवार को जारी प्रेस रिलीज में बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पिछले 9...

नेशनल डेस्क (मनीष शर्मा): भारत रत्न से सम्मानित और भारत के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी हमारे बीच नहीं रहे। मंगलवार से एम्स (AIIMS) में उन्हें लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था। एम्स ने बुधवार को जारी प्रेस रिलीज में बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पिछले 9 सप्ताह से AIIMS में भर्ती हैं। पिछले 24 घंटों में दुर्भाग्य से उनकी स्थिति और बिगड़ी है। उनकी हालत नाजुक है और वह लाइफ सपॉर्ट सिस्टम पर हैं। मधुमेह से पीड़ित 93 वर्षीय भाजपा नेता का एक ही गुर्दा काम करता था। बुधवार से ही अटल बिहारी वाजपेयी को देखने जाने वाले नेताओं का सिलसिला जारी है।
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राजनीतिक सफर

  • पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कुल मिलाकर 47 साल तक संसद के सदस्य रहे। 
  • वह 10 बार लोकसभा और दो बार राज्यसभा के लिए चुने गए।           
  • एकमात्र बार वह 1984 में लोकसभा चुनाव हारे थे जब कांग्रेस के माधवराव सिंधिया ने ग्वालियर में उन्हें करीब दो लाख वोटों से शिकस्त दी थी।
  • वाजपेयी ने 10वीं, 11वीं, 12वीं, 13वीं और 14वीं लोकसभा में 1991 से 2009 तक लखनऊ का प्रतिनिधित्व किया।
  • दूसरी और चौथी लोकसभा के दौरान उन्होंने बलरामपुर का नेतृत्व किया, पांचवीं लोकसभा के लिए वह ग्वालियर से चुने गए जबकि छठीं और सातवीं लोकसभा में उन्होंने नयी दिल्ली का प्रतिनिधित्व किया।
  • वाजपेयी 1962 और 1986 में राज्यसभा के लिए निर्वाचित हुए।
  • मुंबई में पार्टी की एक सभा में दिसंबर 2005 में वाजपेयी ने चुनावी राजनीति से अपने को अलग करने की घोषणा की।
  • वह करीब 47 सालों तक सांसद रहे।
  • वाजपेयी 1996 से 2004 के बीच तीन बार प्रधानमंत्री भी रहे। 
  • पहली बार 13 दिन के लिए, फिर 1998 और 1999 के बीच 13 महीनों के लिए और फिर 1999 से 2004 तक। 


डिमेंशिया बिमारी से पीड़ित थे पूर्व पीएम 
सालों से अटल बिहारी वाजपयी जी खामोश थे। वो डिमेंशिया बिमारी से पीड़ित थे।  लगभग 14 सालों से वाजपेयी बीमार चल रहे थे। पब्लिक में आखिरी बार उनकी झलक 2015 में दिखी जब तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुख़र्जी ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया। प्रणब मुख़र्जी प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए खुद उनके घर सम्मान देने के लिए पहुंचे थे।

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हिंदी भाषा में अहम योगदान
अगर हिंदी को अंतररष्ट्रीय स्तर पर प्रचलित और प्रसारित करने में किसी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है तो वह थे अटल बिहारी वाजपेयी। 1977 में जनता सरकार में विदेश मंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का संयुक्त राष्ट्रसंघ में हिंदी में दिया भाषण काफी लोकप्रिय हुआ था। यह पहला मौका था जब संयुक्त राष्ट्र संघ जैसे बड़े अतंराष्ट्रीय मंच पर हिंदी की गूंज सुनने को मिली थी। खुद वाजपेयी जी के अनुसार यह उनके लिए सर्वाधिक प्रसन्नता वाला क्षण था।

परमाणु परीक्षण से कर दिया था दुनिया को हैरान
वाजपेयी का कवी हृदय कोमल नहीं था। भारत को परमाणु राष्ट्र बनाने वाले वाजपेयी ही थे। 11 मई 1998 को राजस्थान के पोखरण में सफल परीक्षण के साथ भारत न्यूक्लियर स्टेट बन गया था। भारत ने शक्ति नामक परमाणु परिक्षण कर पूरी दुनिया को हैरान कर दिया था।

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फिल्मों के शौकीन
वाजपेयी को फिल्मों का भी शौक़ था। उनके प्रिय गायक लता मंगेशकर, मुकेश और मोहम्मद रफ़ी थे।  उनकी पसंदीदा फिल्मे देवदास','बंदिनी' और 'तीसरी कसम' थीं। उनका पसंदीदा गाना एस. डी. बर्मन कृत "ओरे मांझी"...और मुकेश/लता मंगेशकर द्वारा गाया गया गीत "कभी-कभी मेरे दिल में" था। आखिर में जाते जाते भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को समर्पित फिल्म बंदिनी से उनका पसंदीदा गाना  "ओरे मांझी"।

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