गर्मी, बरसात के बाद कड़ाके की ठंड के लिए हो जाएं तैयार! IMD ने जारी की चेतावनी

Edited By Updated: 17 Sep, 2025 08:02 PM

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मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि ला नीना के प्रभाव से भारत में इस साल सर्दियां सामान्य से ज्यादा कड़ाके की हो सकती हैं। अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की संभावना 50% से अधिक है। स्काइमेट और IMD ने हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी...

नेशनल डेस्क : मौसम वैज्ञानिकों ने चेतावनी जारी की है कि इस साल के अंत तक ला नीना के प्रभाव के कारण भारत में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है। अमेरिका की नेशनल वेदर सर्विस के क्लाइमेट प्रेडिक्शन सेंटर ने कहा कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना बनने की प्रबल संभावना है। भारतीय मौसम विभाग (IMD) और अन्य विशेषज्ञों ने भी इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह के तापमान में ठंडक के कारण मौसम का पैटर्न प्रभावित होगा, जिससे भारत में सर्दियां सामान्य से अधिक ठंडी हो सकती हैं।

IMD का बयान: ला नीना की संभावना बढ़ी
IMD ने अपने हालिया बुलेटिन में बताया कि वर्तमान में मौसम की स्थिति सामान्य है, लेकिन मॉनसून के बाद ला नीना की संभावना बढ़ जाएगी। एक वरिष्ठ IMD अधिकारी ने कहा, "हमारे मॉडल अक्टूबर-दिसंबर 2025 में ला नीना विकसित होने की 50% से अधिक संभावना दिखा रहे हैं। ला नीना के दौरान भारत में सर्दियां सामान्य से अधिक ठंडी होती हैं। हालांकि, जलवायु परिवर्तन के कारण कुछ गर्माहट इसका असर कम कर सकती है, लेकिन ठंडी लहरों की तीव्रता और अवधि बढ़ सकती है।"

स्काइमेट की चेतावनी: हिमालय में भारी बर्फबारी का अनुमान
स्काइमेट वेदर के अध्यक्ष जीपी शर्मा ने कहा कि ला नीना की स्थिति को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। उन्होंने बताया, "प्रशांत महासागर का तापमान पहले ही सामान्य से ठंडा हो चुका है। यदि यह तापमान -0.5 डिग्री सेल्सियस से नीचे तीन तिमाहियों तक बना रहता है, तो इसे ला नीना घोषित किया जाएगा। साल 2024 के अंत में भी नवंबर से जनवरी तक अल्पकालिक ला नीना देखा गया था।" शर्मा ने आगे कहा, "इस बार अमेरिका में सूखी सर्दियों का खतरा है, जबकि भारत में कड़ाके की ठंड और हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी की संभावना है।"

वैज्ञानिक अध्ययन: उत्तर भारत में पड़ेगी कड़ाके की ठंड
IISER मोहाली और ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के एक संयुक्त अध्ययन में पाया गया है कि ला नीना के वर्षों में उत्तर भारत में ठंडी लहरें अधिक तीव्र और लंबी अवधि तक चलती हैं। अध्ययन के अनुसार, "ला नीना के दौरान निचले स्तर पर बनने वाली चक्रीय हवाएं उत्तरी अक्षांशों से ठंडी हवाओं को भारत की ओर खींच लाती हैं, जिससे तापमान में भारी गिरावट आती है।"

ला नीना क्या है?
ला नीना प्रशांत महासागर के भूमध्यरेखीय हिस्से में समुद्र की सतह के तापमान के ठंडा होने की स्थिति है, जो वैश्विक मौसम पैटर्न को प्रभावित करती है। यह स्थिति आमतौर पर सर्दियों में भारत में ठंड को बढ़ाती है, खासकर उत्तर और उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में। इसके अलावा, हिमालयी क्षेत्रों में भारी बर्फबारी और ठंडी लहरों की आवृत्ति में वृद्धि देखी जाती है।

तैयार रहें सर्दियों के लिए
मौसम वैज्ञानिकों ने सलाह दी है कि लोग इस बार सर्दियों की तैयारी पहले से करें, क्योंकि ला नीना के प्रभाव से ठंडी लहरें और बर्फबारी सामान्य से अधिक हो सकती हैं। खासकर उत्तर भारत, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर जैसे क्षेत्रों में इसका असर ज्यादा देखा जा सकता है। IMD और अन्य मौसम एजेंसियां स्थिति पर नजर रख रही हैं और समय-समय पर अपडेट जारी करेंगी।

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