Edited By Mehak,Updated: 14 Sep, 2025 01:52 PM

इस साल की सर्दियां सामान्य से ज्यादा ठंडी हो सकती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि 'ला नीना' नामक मौसमी चक्र सितंबर से सक्रिय होने वाला है। अमेरिका की मौसम संस्था एनओएए (NOAA) के अनुसार, इसका असर अगले साल जनवरी तक दिखेगा। ला नीना के असर से उत्तरी...
नेशनल डेस्क : इस साल की सर्दियां सामान्य से ज्यादा ठंडी हो सकती हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि 'ला नीना' नामक मौसमी चक्र सितंबर से सक्रिय होने वाला है। अमेरिका की मौसम संस्था एनओएए (NOAA) के अनुसार, इसका असर अगले साल जनवरी तक दिखेगा। ला नीना के असर से उत्तरी गोलार्ध यानी भारत समेत कई देशों में तापमान तेजी से गिरेगा और सर्दियां ज्यादा कड़ाके की हो सकती हैं। खासकर भारत के पहाड़ी इलाकों में 2000 मीटर तक की ऊंचाई वाले स्थानों पर बर्फबारी की संभावना बनी रहेगी।
क्यों बढ़ेगी बर्फबारी?
विशेषज्ञों के अनुसार, इस बार मानसून ने सामान्य से ज्यादा बारिश दी है। इसकी वजह से हवा में नमी बढ़ गई है। यह नमी सर्दियों में हिमपात और ठंडी बारिश के लिए अनुकूल परिस्थितियां तैयार करेगी। अगर ला नीना सक्रिय रहा और पश्चिमी विक्षोभ भी मजबूत हुआ, तो इस बार पहाड़ों पर अच्छी बर्फबारी देखने को मिलेगी।
नैनीताल और मुक्तेश्वर में उम्मीद
पिछले कुछ वर्षों में जलवायु परिवर्तन के कारण नैनीताल और मुक्तेश्वर जैसे क्षेत्रों में बर्फबारी में कमी आई है। यहां तापमान सामान्य से अधिक बढ़ा है, जिससे बर्फ कम पड़ने लगी थी। लेकिन इस बार 'ला नीना' के कारण इन इलाकों में फिर से बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है।
ला नीना और एल नीनो क्या हैं?
- एल नीनो: जब प्रशांत महासागर का पानी सामान्य से ज्यादा गर्म हो जाता है, जिससे गर्मी बढ़ती है।
- ला नीना: जब समुद्र का पानी सामान्य से ठंडा हो जाता है, जिससे वैश्विक स्तर पर तापमान गिरता है और ठंड बढ़ती है।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इस बार ला नीना का असर साफ दिखेगा और भारत समेत पूरी दुनिया में सर्दियां सामान्य से ज्यादा ठंडी होगी।