Edited By Radhika,Updated: 07 Oct, 2025 05:36 PM

केंद्रीय मंत्री बी एल वर्मा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि भले ही उनका नाम ममता है, लेकिन उनके मन में लोगों के लिए कोई 'ममता' नहीं है।
नेशनल डेस्क: केंद्रीय मंत्री बी एल वर्मा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए मंगलवार को कहा कि भले ही उनका नाम ममता है, लेकिन उनके मन में लोगों के लिए कोई 'ममता' नहीं है। बी एल वर्मा ने बदायूं में संवाददाताओं से कहा, "पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी सरकार का नेतृत्व कर रही हैं। भले ही उनका नाम ममता है, लेकिन उनके मन में लोगों के लिए कोई 'ममता' नहीं है। पश्चिम बंगाल में हर दिन बहन-बेटियों के साथ बलात्कार और हत्या जैसे जघन्य अपराध होते हैं। माफी मांगने या खेद व्यक्त करने के बजाय, सरकार आरोपियों को बचाने में लगी हुई है।
पश्चिम बंगाल में यह पहला हमला नहीं है; इससे पहले भी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कई कार्यकर्ताओं और नेताओं की हत्या हो चुकी है।" वर्मा की यह टिप्पणी इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह भाजपा नेताओं - सांसद खगेन मुर्मू और विधायक शंकर घोष - पर पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में भीड़ द्वारा किए गए हमले के ठीक एक दिन बाद आई है। मालदा उत्तर से सांसद मुर्मू और सिलीगुड़ी से विधायक घोष पर जलपाईगुड़ी जिले के बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित नागराकाटा इलाके के दौरे के दौरान भीड़ ने हमला कर दिया था। वर्मा केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बी आर गवई पर एक व्यक्ति द्वारा जूता फेंकने की कोशिश की घटना को वर्मा ने निंदनीय बताया है।
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केंद्रीय मंत्री ने ऐसी घटनाओं की निंदा करते हुए कहा कि विरोध व्यक्त करने के और भी कई तरीके हैं। एक अप्रत्याशित घटना में वकील राकेश किशोर (71) ने सोमवार को नयी दिल्ली स्थित उच्चतम न्यायालय के अदालत कक्ष में प्रधान न्यायाधीश गवई की ओर जूता उछालने का प्रयास किया जिसके बाद ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया' ने तत्काल प्रभाव से उनका लाइसेंस निलंबित कर दिया। बरेली में तनाव पर वर्मा ने कहा कि बरेली में माहौल खराब करने वालों को सजा दी जा रही है और उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री का भी प्रभार संभाल रहे वर्मा ने मंगलवार को बदायूं में आत्मनिर्भर भारत अभियान की भी शुरुआत की। यह अभियान तीन महीने तक लगातार चलेगा और स्वदेशी उत्पादों के इस्तेमाल पर जोर दिया जाएगा।