कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में पदक जीतने वाला बॉक्‍सर आज सिक्‍योरिटी गार्ड की नौकरी करने पर मजबूर, बच्‍चों ने भी छोड़ी पढ़ाई

Edited By Updated: 23 Sep, 2021 12:48 PM

medalist boxer birju shah doing security guard job

एशियाई और कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में पदक जीतने वाला बॉक्‍सर आज सिक्‍योरिटी गार्ड की नौकरी करने पर मजबूर है इतना ही नहीं  आर्थिक हालत इतनी खराब है कि उनके बच्‍चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं। एशियन और राष्‍ट्रमंडल खेलों में भारत को रजत ओर कांस्‍य पदक दिलाने वाले...

जमशेदपुर-एशियाई और कॉमनवेल्‍थ गेम्‍स में पदक जीतने वाला बॉक्‍सर आज सिक्‍योरिटी गार्ड की नौकरी करने पर मजबूर है इतना ही नहीं  आर्थिक हालत इतनी खराब है कि उनके बच्‍चे पढ़ाई छोड़ चुके हैं। एशियन और राष्‍ट्रमंडल खेलों में भारत को रजत ओर कांस्‍य पदक दिलाने वाले मुक्‍केबाज बिरजू साह रोटी की जुगाड़ में सिक्‍योरिटी गार्ड की नौकरी करने को मजबूर हैं। आर्थिक कठिनाइयां ऐसी हैं कि उनके बच्‍चों ने पैसों की तंगी के चलते पढ़ाई-लिखाई छोड़ दी है। अब मुक्‍केबाज बिरजू किसी तरह से परिवार के लिए दो वक्‍त के खाने का इंतजाम कर पा रहे हैं।
 

बिरजू साह ने एशियाई गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में जीता था सिल्वर व ब्रॉन्ज़ मेडल
बिरजू साह जमशेदपुर के बॉक्सिंग प्लेयर है उनका नाम कभी वर्ल्ड के टॉप 7 बॉक्सिंग प्लेयर में शुमार हुआ करता था। बिरजू साह ने इंडिया के लिए साल 1994-95 में सिल्वर व ब्रॉन्ज़ मेडल एशियाई गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स (जापान) में जीता था।
 

बिरजू के पिता और पत्नी दोनों पैरालिसिस से ग्रसित हैं
 बिरजू साह ने देश में खेले गए विभिन प्रतियोगिताओं में कई मेडल जीत रखे हैं, लेकिनदुर्भाग्य की बात यह है कि घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने की वजह से बिरजू पिछले 7 साल से सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने पर मजबूर है।  बिरजू के पिता और पत्नी दोनों पैरालिसिस से ग्रसित हैं, उनके 2 बच्चे हैं, जिन्होंने पढ़ाई छोड़ दी है। बिरजू साह का कहना है कि उन्होंने बॉक्सिंग को हमेशा खुद से और परिवार से आगे देखा है, पर कहीं न कहीं सरकार और स्‍पोर्ट्स की राजनीति ने उन्हें और उनके टैलेंट को पीछे छोड़ दिया। 
 

कोई याद रखे या न रखे, लेकिन वह जिंदगी से लड़ते रहेंगे
बिरजू साह ने बताया कि उन्‍हें बॉक्सिंग का जुनून आज भी उतना ही है, जितना पहले था। वहीं अब वह गॉर्ड की नौकरी बाद समय निकाल कर वह बच्‍चों को बॉक्सिंग की ट्रेनिंग देते हैं, वह खुद भी रोज़ प्रैक्टिस करते हैं, ताकि खुद को फिट रख सके। बिरजू ने कहा कि उन्हें कोई याद रखे या न रखे, लेकिन वह जिंदगी से लड़ते रहेंगे।

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