गुजरात कांग्रेस में भी अब "ऑल इज नॉट वैल", भाजपा और आप का दामन थाम रहे हैं कांग्रेसी नेता

Edited By Updated: 16 Apr, 2022 11:42 AM

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आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गुजरात कांग्रेस में "ऑल इज नॉट वैल" के हालात पैदा हो गए हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेस के खेमे में सेंधमारी कर रही है और कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता धड़ल्ले से दोनों पार्टियों का दामन थाम रहे हैं।

नेशनल डेस्क: आगामी विधानसभा चुनावों से पहले गुजरात कांग्रेस में "ऑल इज नॉट वैल" के हालात पैदा हो गए हैं। भाजपा और आम आदमी पार्टी लगातार कांग्रेस के खेमे में सेंधमारी कर रही है और कांग्रेस के कार्यकर्ता और नेता धड़ल्ले से दोनों पार्टियों का दामन थाम रहे हैं। ऐसे में चुनाव से पहले पार्टी के भीतर गंभर संकट खड़ा हो गया है। इस बीच पाटीदार नेता और कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल भी अब राज्य नेतृत्व के खिलाफ खुलकर सामने आए हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि पार्टी द्वारा उनका ठीक से उपयोग नहीं किया जा रहा है।

कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए ये नेता
हाल ही में सौराष्ट्र क्षेत्र के दो वरिष्ठ कांग्रेस नेता इंद्रनील राजगुरु और वशराम सगथिया "आप" में शामिल हो गए। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल ने पर्याप्त जिम्मेदारियों के साथ उन पर भरोसा नहीं करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। इसके साथ ही गड्डा से कांग्रेस के पूर्व विधायक प्रवीण मारू भी भाजपा में शामिल हो गए। सबसे धनी विधायकों में से एक राजगुरु ने 2012 में राजकोट पूर्व से गुजरात विधानसभा में जगह बनाई थी और 2017 में राजकोट पश्चिम से पूर्व सीएम विजय रूपानी के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्होंने 2018 में पार्टी से इस्तीफा दे दिया था लेकिन पार्टी ने उन्हें वापस ले लिया था। वह पिछले साल से निष्क्रिय हो गए और आखिरकार अब आप में स्थानांतरित हो गए हैं।

हार्दिक पटेल बोले मेरी जिम्मेदारी स्पष्ट नहीं
जहां कांग्रेस पाटीदार नेता नरेश पटेल को शामिल करने पर अड़ रही है, वहीं सूत्रों का कहना है कि पटेल ने कांग्रेस से मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने की मांग की है, जिससे आलाकमान को काफी परेशानी हुई। मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में हार्दिक पटेल ने राज्य नेतृत्व के साथ अपनी निराशा व्यक्त करने के लिए कुछ भी नहीं कहा। उन्होंने दावा किया कि मुझे महत्वपूर्ण बैठकों में शामिल होने के लिए नहीं बुलाया गया है और न ही किसी निर्णय लेने की प्रक्रिया का हिस्सा नहीं बनाया गया है। हार्दिक ने कहा कि लगभग तीन साल से मैं पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष हूं, मुझे कोई स्पष्ट जिम्मेदारी नहीं दी गई है।

गुजरात कांग्रेस एक विभाजित सदन
हार्दिक ने कहा कि पाटीदार आंदोलन पर ढाई दशक से सवार कांग्रेस की रणनीति अभी भी माधवसिंह सोलंकी के सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूलेशन पर टिकी हुई है जिसमें क्षत्रिय, हरिजन, आदिवासी और मुस्लिम शामिल थे। यहां तक कि मैं अपने हित की कीमत पर भी कह रहा हूं कि नरेश पटेल को लाया जाना चाहिए, लेकिन पार्टी को तेजी से आगे बढ़ने और अपने कार्य को एक साथ लाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं हो रहा है और यह पार्टी के लिए अच्छा नहीं होगा। उन्होंने आरोप लगाया कि गुजरात में कांग्रेस एक विभाजित सदन है और पार्टी दशकों से अंदरूनी कलह के कारण सत्ता हासिल नहीं कर पाई है। हालांकि उन्होंने कहा कि उनकी कांग्रेस छोड़ने की कोई योजना नहीं है।

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