Edited By Anil dev,Updated: 04 Jun, 2021 11:37 AM
दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रक ने उच्च न्यायालय को बताया कि ‘गौतम गंभीर फाउंडेशन'' कोविड-19 मरीजों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा फैबिफ्लू की अनधिकृत तरीके से जमाखोरी करने, खरीदने और उसका वितरण करने का दोषी पाया गया है।
नेशनल डेस्क; दिल्ली सरकार के औषधि नियंत्रक ने उच्च न्यायालय को बताया कि ‘गौतम गंभीर फाउंडेशन' कोविड-19 मरीजों के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा फैबिफ्लू की अनधिकृत तरीके से जमाखोरी करने, खरीदने और उसका वितरण करने का दोषी पाया गया है। अदालत ने कहा कि भाजपा सांसद ने काफी परमार्थ कार्य किया लेकिन दवा की काफी कमी और समाज को असुविधा हुई। जिस तरह से बड़ी मात्रा में दवा की खरीद की गई थी, उच्च न्यायालय ने उसकी निंदा की और कहा कि वास्तविक रोगियों को उस खास समय पर दवा की आवश्यकता थी लेकिन उन्हें नहीं मिल सकी क्योंकि क्रिकेटर से नेता बने गंभीर ने थोक मात्रा में दवाई ले ली थी।
अदालत ने कहा, ‘‘निश्चित रूप से यह तरीका नहीं था। इस महामारी में ऐसा नहीं करना चाहिए.. ऐसा नहीं होना चाहिए कि मैं इसे एक वर्ग या अपने निर्वाचन क्षेत्र के लोगों के लिए करूं और यह लोकप्रियता के लिए नहीं होना चाहिए।'' न्यायमूर्ति विपिन सांघी और न्यायमूर्ति जसमीत सिंह की पीठ ने कहा, ‘‘"सबसे पहले, आप परमार्थ के लिए परमार्थ करें। किसी अन्य कारण से परमार्थ करना परमार्थ नहीं है। हम इस चलन पर रोक लगाना चाहते हैं और इसके लिए हम चाहते हैं कि आप (औषधि नियंत्रक) कार्रवाई करें।'
औषधि नियंत्रक ने कहा कि फाउंडेशन, दवा डीलरों के अलावा संज्ञान में आने वाले ऐसे अन्य मामलों में भी बिना कोई देरी किए कार्रवाई की जाएगी। अदालत को सूचित किया गया कि आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक प्रवीण कुमार को भी ‘ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स' कानून के तहत ऐसे ही अपराधों में दोषी पाया गया है और उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने औषधि नियंत्रक से छह सप्ताह के भीतर इन मामलों की प्रगति पर स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया और इसकी अगली सुनवाई 29 जुलाई निर्धारित की। अदालत एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।