एकनाथ शिंदे गुट पर संजय राउत का बड़ा हमला, बोले- इतनी सुरक्षा तो कसाब को भी नहीं मिली थी

Edited By Anil dev,Updated: 04 Jul, 2022 11:31 AM

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शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवाअदालत र को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि समूह मूल शिवसेना होने का दावा नहीं कर सकता।

नेशनल डेस्क: शिवसेना सांसद संजय राउत ने सोमवाअदालत र को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले धड़े की वैधता पर सवाल उठाया और कहा कि समूह मूल शिवसेना होने का दावा नहीं कर सकता। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली सरकार के शक्ति परीक्षण से पहले पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को झटका देते हुए महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने अजय चौधरी को हटाकर शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में फिर से नियुक्त किया है।

शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा कि जो लोग छोड़कर गए हैं उनका गांव में घूमना भी मुश्किल है। कसाब को भी इतनी सुरक्षा नहीं दी गई थी जितनी इनको (विधायकों को) दी गई। जब यह लोग मुंबई में उतरे तो लगभग आर्मी को बुला लिया था। गुवाहाटी में भी देखा होगा कि किस तरह से घेराबंदी की थी। आपको किस बात का डर है?

नार्वेकर ने शिवसेना के मुख्य सचेतक के रूप में शिंदे खेमे से भरत गोगावले की नियुक्ति को भी मान्यता दी और ठाकरे गुट के सुनील प्रभु को हटा दिया। राउत ने दिल्ली में पत्रकारों से कहा कि इन विधायकों (शिंदे गुट के) को खुद से कुछ सवाल पूछने चाहिए। उन्होंने चुनाव जीतने के लिए पार्टी के चिन्ह और इसके साथ मिलने वाले सभी लाभों का इस्तेमाल किया और फिर उसी पार्टी को तोड़ दिया। राज्यसभा सदस्य ने कहा, ‘‘हम निश्चित रूप से इसे अदालत में चुनौती देंगे। शिंदे गुट ने शिवसेना छोड़ दी, फिर वे कैसे दावा कर सकते हैं कि उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाला समूह नहीं बल्कि उनका समूह मूल पार्टी है।

ठाकरे नाम शिवसेना का पर्याय है।'' राउत ने कहा कि उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने एक कार्यक्रम में भाग नहीं लेने के पार्टी के आदेश की अवहेलना करने पर जद (यू) नेता शरद यादव को निलंबित कर दिया था। शिवसेना के मुख्य प्रवक्ता ने दावा किया, ‘‘घटनाक्रम संसद में भी नहीं हुआ था, लेकिन फिर भी उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ा।'' उन्होंने पूछा, ‘‘हालांकि, जब हम 39 (शिंदे गुट के) में से 16 विधायकों के खिलाफ इसी तरह की कार्रवाई की उम्मीद करते हैं तो ऐसे नियम हमारे लिए लागू नहीं होते हैं। क्या यह उचित है?'' उन्होंने कहा कि जब कोई फैसला किसी व्यक्ति या पार्टी की सुविधा के अनुसार दिया जाता है तो वह संसदीय लोकतंत्र नहीं होता। 

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