Edited By Yaspal,Updated: 12 Jun, 2023 10:58 PM
राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इस साल मार्च में लंदन में भारतीय उच्चायोग परिसर में तोड़फोड़ की जांच के संबंध में सोमवार को पांच वीडियो जारी किए
नेशनल डेस्कः राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने इस साल मार्च में लंदन में भारतीय उच्चायोग परिसर में तोड़फोड़ की जांच के संबंध में सोमवार को पांच वीडियो जारी किए और हिंसक प्रदर्शनों में शामिल व्यक्तियों की पहचान करने में आम जनता की मदद मांगी। सीसीटीवी से लगभग दो घंटे के फुटेज को एनआईए ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया और लिंक को अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर साझा किया है, जिसमें लोगों से वीडियो में देखे गए व्यक्तियों के बारे में कोई भी जानकारी एजेंसी को उपलब्ध कराने का आग्रह किया गया है।
एनआईए ने एक बयान में कहा कि इस साल 19 मार्च को लंदन में भारतीय उच्चायोग परिसर में देश विरोधी तत्वों द्वारा किए गए हमले का सीसीटीवी फुटेज अपलोड किया गया है। बयान में कहा गया, ‘‘लोगों से अनुरोध है कि फुटेज में देखे गए व्यक्तियों के बारे में जनहित में कोई भी जानकारी एनआईए को प्रदान करें।'' बयान में कहा गया कि सूचना को गुप्त रखा जाएगा। एजेंसी ने सूचना देने के लिए एक व्हाट्सऐप नंबर भी साझा किया है।
घटनाक्रम की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने कहा कि एनआईए की एक टीम ने मामले की जानकारी हासिल करने के लिए लंदन का दौरा किया था और ‘स्कॉटलैंड यार्ड' (लंदन पुलिस) के अधिकारियों से बातचीत की थी। एजेंसी ने दिल्ली पुलिस के विशेष प्रकोष्ठ से जांच अपने हाथ में ली, जिसने गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया था, क्योंकि इसमें विदेश में भारतीय नागरिकता रखने वाले कुछ लोगों द्वारा की गई अवैध गतिविधियां शामिल हैं।
खालिस्तान समर्थक प्रदर्शनकारियों ने लंदन में 19 मार्च को भारतीय उच्चायोग परिसर में तोड़फोड़ की और तिरंगा उतारने का प्रयास किया। यह प्रदर्शन पंजाब पुलिस द्वारा खालिस्तान समर्थक अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब में कार्रवाई शुरू करने के एक दिन बाद हुआ था। गृह मंत्रालय की आतंकवाद रोधी और कट्टरता रोधी इकाई ने इस मामले को एनआईए को सौंप दिया था।
केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला द्वारा इस साल अप्रैल में ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करने के बाद यह निर्णय लिया गया था। लंदन की घटना में, भारतीय उच्चायोग के ऊपर फहराए गए तिरंगे को प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने हटाने का प्रयास किया था। भारत ने नयी दिल्ली स्थित ब्रिटिश उप उच्चायुक्त को तलब किया था और सुरक्षा व्यवस्था पूरी तरह नदारद रहने पर स्पष्टीकरण मांगा था।