निर्भया केस: फांसी के और करीब पहुंचा विनय शर्मा, राष्ट्रपति ने खारिज की दया याचिका

Edited By Anil dev,Updated: 01 Feb, 2020 12:53 PM

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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में मृत्युदंड पाने वाले चार दोषियों में शामिल विनय कुमार शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। शर्मा के वकील ने बताया था कि...

नई दिल्ली: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने निर्भया सामूहिक बलात्कार एवं हत्या मामले में मृत्युदंड पाने वाले चार दोषियों में शामिल विनय कुमार शर्मा की दया याचिका खारिज कर दी है। गृह मंत्रालय के अधिकारियों ने शनिवार को यह जानकारी दी। शर्मा के वकील ने बताया था कि उनके मुवक्किल ने बुधवार को राष्ट्रपति के सामने दया याचिका दायर की थी। अधिकारियों ने बताया कि राष्ट्रपति ने यह दया याचिका खारिज कर दी है। राष्ट्रपति कोविंद ने एक अन्य आरोपी मुकेश सिंह की दया याचिका भी पिछले महीने खारिज कर दी थी। दक्षिण दिल्ली में 16 दिसंबर, 2012 की रात को एक चलती बस में 23 साल की पराचिकित्सक छात्रा के साथ सामूहिक बलात्कार एवं बर्बरता की गयी थी। पीड़िता की इस घटना के एक पखवाड़े के बाद सिंगापुर के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गयी थी। इस घटना की भयावहता ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था और इसके खिलाफ देशव्यापी प्रदर्शनों के बाद बलात्कार संबंधी कानूनों में बदलाव किया गया था।


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इस मामले में मुकेश, विनय, अक्षय कुमार सिंह, पवन गुप्ता, राम सिंह और एक नाबालिोग को आरोपी बनाया गया था। नाबालिग आरोपी को छोड़कर अन्य पांच लोगों के खिलाफ मार्च 2013 में एक विशेष त्वरित अदालत में सुनवाई शुरू हुई थी। मुख्य आरोपी राम सिंह ने सुनवाई शुरू होने के कुछ दिन बाद तिहाड़ जेल में खुद को फांसी से लटकाकर कथित रूप से आत्महत्या कर ली थी। नाबालिग को तीन साल सुधार गृह में रखा गया है। ऐसा बताया जाता है कि हमलावरों में नाबालिग आरोपी सबसे बर्बर था। उसे 2015 में रिहा करने कर दिया गया था और उसके जीवन को खतरा होने की चिंताओं के बीच उसे किसी अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया था। नाबालिग को जब रिहा गया था, उस समय उसकी आयु 20 साल थी। मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को दोषी करार देने के बाद सितंबर 2013 में मौत की सजा सुनाई गई थी।

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दिल्ली की एक अदालत ने सात जनवरी को मृत्यु वारंट जारी करके घोषणा की थी कि उन्हें तिहाड़ जेल में 22 जनवरी को सुबह सात बजे फांसी पर लटकाया जाएगा। हालांकि दिल्ली सरकार ने एक सुनवाई के दौरान उच्च न्यायालय को सूचित किया कि मुकेश ने दया याचिका दायर की है, इसलिए दोषियों को तय तिथि पर सजा नहीं दी जा सकती। मुकेश की याचिका खारिज हो जाने के बाद दिल्ली की अदालत ने चारों दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने के लिए एक फरवरी की तिथि तय करते हुए एक और मृत्यु वारंट जारी किया था। यहां एक स्थानीय अदालत ने शनिवार को मृत्यु वारंट की तामील दूसरी बार टाल दी। इसके बाद निर्भया की मां आशा देवी ने कहा था कि वह अपनी बेटी के सामूहिक बलात्कार और हत्या के दोषियों को फांसी पर लटकाए जाने तक लड़ाई जारी रखेंगी। उन्होंने कहा था कि उनकी उम्मीदें टूट चुकी हैं लेकिन वह लड़ाई जारी रखेंगी। उन्होंने कहा था, ‘‘इन दरिंदों को जीने का कोई अधिकार नहीं है। हम व्यवस्था से निराश होते जा रहे हैं। दोषियों को फांसी दिये जाने तक लड़ाई जारी रखूंगी।'' 

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