Edited By Ashutosh Chaubey,Updated: 22 Jul, 2025 04:11 PM

भारत ने 2025 की पहली छमाही में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। इस छह महीने के दौरान देश ने 22 गीगावाट की नई स्वच्छ ऊर्जा क्षमता जोड़ी जो पिछले साल के मुकाबले 56 प्रतिशत अधिक है। यह तेजी भारत को उसके महत्वाकांक्षी 2030 के स्वच्छ...
नेशनल डेस्क: भारत ने 2025 की पहली छमाही में नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में जबरदस्त वृद्धि दर्ज की है। इस छह महीने के दौरान देश ने 22 गीगावाट की नई स्वच्छ ऊर्जा क्षमता जोड़ी जो पिछले साल के मुकाबले 56 प्रतिशत अधिक है। यह तेजी भारत को उसके महत्वाकांक्षी 2030 के स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्यों के करीब ले जा रही है, जहां अब गैर-जीवाश्म ऊर्जा की क्षमता जीवाश्म ईंधन से भी ज्यादा हो गई है।
नवीकरणीय ऊर्जा में रिकॉर्ड वृद्धि
सरकार के केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, जनवरी से जून 2025 के बीच देश ने 22 गीगावाट की नयी नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता विकसित की। इस वृद्धि से भारत की स्वच्छ ऊर्जा परियोजनाओं को नई गति मिली है। देश में अब बड़ी जलविद्युत और परमाणु ऊर्जा समेत सभी गैर-जीवाश्म ऊर्जा स्रोतों की कुल क्षमता इतनी बढ़ गई है कि वे पारंपरिक कोयला और अन्य जीवाश्म ईंधनों की क्षमता को पीछे छोड़ चुके हैं। यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है क्योंकि इससे भारत के 2030 तक 500 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा स्थापित करने के लक्ष्य को बल मिला है।
2030 का स्वच्छ ऊर्जा लक्ष्य
भारत ने दशक के अंत तक 500 गीगावाट की गैर-जीवाश्म ऊर्जा क्षमता हासिल करने का लक्ष्य रखा है। इस योजना का उद्देश्य देश की ऊर्जा व्यवस्था को स्वच्छ, टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाना है। हालांकि यह लक्ष्य पहले धीमी गति से पूरा हो रहा था, लेकिन हाल की तेजी इस दिशा में बड़ी प्रगति को दर्शाती है।
कोयले पर निर्भरता और चुनौतियाँ
फिर भी, भारत दुनिया के तीसरे सबसे बड़े कार्बन उत्सर्जक देश होने के नाते अभी भी अपनी बिजली उत्पादन में भारी रूप से कोयले पर निर्भर है। कुल बिजली उत्पादन का लगभग 75 प्रतिशत कोयला आधारित है। भविष्य में बढ़ती ऊर्जा मांग को पूरा करने के लिए भारत को अपनी कोयला आधारित ऊर्जा उत्पादन क्षमता को भी बढ़ाना पड़ रहा है। यहाँ एक बड़ी चुनौती यह है कि सौर और पवन ऊर्जा से मिलने वाली बिजली रुक-रुक कर आती है जिससे बिजली की सप्लाई स्थिर बनाए रखना मुश्किल हो जाता है। इसलिए ऊर्जा भंडारण की सुविधा जैसे बड़े पैमाने पर बैटरियों का उपयोग अत्यंत आवश्यक हो जाता है ताकि इन अक्षय स्रोतों से आने वाली बिजली की कमी को पूरा किया जा सके।
ग्रिड उन्नयन और ऊर्जा भंडारण की आवश्यकता
रिस्टैड एनर्जी की नवीकरणीय ऊर्जा विशेषज्ञ सुषमा जगन्नाथ ने बताया कि भारत अभी ऊर्जा परिवर्तन की गहरी प्रक्रिया में नहीं पहुंचा है। उन्होंने कहा कि बिना बिजली ग्रिड के सुधार और ऊर्जा भंडारण के बड़े पैमाने पर विकास के, कोयला आधारित बिजली उत्पादन केंद्रित रहेगा। इससे भारत के शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन (नेट ज़ीरो) के लक्ष्य खतरे में पड़ सकते हैं। इसलिए भारत को बिजली ग्रिड को आधुनिक बनाना होगा, जिससे अक्षय ऊर्जा को बेहतर तरीके से संभाला जा सके और ऊर्जा वितरण में स्थिरता आए।