Waqf Board में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने पर आपत्ति, सांसदों में तीखी बहस... JPC की मीटिंग में क्या-क्या हुआ

Edited By Yaspal,Updated: 30 Aug, 2024 10:44 PM

objection to the inclusion of non muslims in the waqf board

वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में तीखा वाद-विवाद देखने को मिला और कई सदस्यों ने प्रस्तावित कानून के कुछ प्रावधानों का जोरदार विरोध किया

नई दिल्लीः वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति की शुक्रवार को हुई बैठक में तीखा वाद-विवाद देखने को मिला और कई सदस्यों ने प्रस्तावित कानून के कुछ प्रावधानों का जोरदार विरोध किया तथा विपक्षी सदस्यों ने कुछ देर के लिए बैठक से बहिर्गमन भी किया। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली समिति ने करीब आठ घंटे तक चली बैठक में ऑल इंडिया सुन्नी जमीयतुल उलेमा और इंडियन मुस्लिम्स फॉर सिविल राइट्स (आईएमसीआर), उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और राजस्थान मुस्लिम वक्फ बोर्ड के विचारों को सुना। 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ की घोषणा', वक्फ के रूप में संपत्ति के वर्गीकरण का निर्धारण करने में प्राथमिक प्राधिकारी के रूप में जिला कलेक्टर को अधिकार देने और केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य बोर्डों में गैर-मुसलमानों को शामिल करने के प्रावधान को लेकर विवाद देखने को मिला।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा सदस्य दिलीप सैकिया द्वारा आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह के खिलाफ की गई कुछ टिप्पणियों के कारण विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के सदस्यों के बीच तीखी नोकझोंक हुई। बैठक के दौरान हंगामा हुआ क्योंकि इंडियन मुस्लिम फॉर सिविल राइट्स और राजस्थान बोर्ड ऑफ मुस्लिम वक्फ, दोनों के प्रतिनिधि के रूप में एक वकील की उपस्थिति पर आपत्ति जताई गई। वकील की उपस्थिति के मुद्दे पर कांग्रेस सांसदों मोहम्मद जावेद और इमरान मसूद, अरविंद सावंत (शिवसेना-यूबीटी), संजय सिंह (आप), असदुद्दीन ओवैसी (एआईएमआईएम), द्रमुक के ए राजा, समाजवादी पार्टी के मोहिबुल्ला मोहम्मद सहित विपक्षी सदस्यों ने थोड़ी देर के लिए बैठक से वाकआउट किया।

विपक्षी सदस्यों ने वक्फ अधिनियम में उपयोगकर्ता वाला प्रावधान हटाने पर भी चिंता व्यक्त की। विपक्षी सदस्यों ने तर्क दिया कि उत्तर प्रदेश में उपयोगकर्ता प्रावधान द्वारा वक्फ के तहत अधिसूचित एक लाख से अधिक संपत्तियों का स्वामित्व उक्त प्रावधान को हटाने के कारण अधर में लटक जाएगा और अतिक्रमण का रास्ता खुल सकता है। उन्होंने तर्क दिया कि 'उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ' के साक्ष्य नियम को कानूनी रूप से मान्यता देने से, वक्फ के रूप में लगातार उपयोग किए जाने वाले ऐतिहासिक स्थलों को संरक्षित किया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि बैठक में भाजपा सदस्य मेधा कुलकर्णी और ओवैसी के बीच तीखी नोकझोंक भी देखने को मिली।

समिति की अगली बैठकें 5-6 सितंबर के लिए निर्धारित हैं और समझा जाता है कि समिति के अध्यक्ष विभिन्न हितधारकों के बीच विचार-विमर्श के लिए बैठकों का सिलसिला और बढ़ाने के इच्छुक हैं। यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण की प्रक्रिया में सुधार के उद्देश्य से भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार की पहली बड़ी पहल है। विधेयक में कई सुधारों का प्रस्ताव है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम प्रतिनिधियों के प्रतिनिधित्व के साथ राज्य वक्फ बोर्डों समेत एक केंद्रीय वक्फ परिषद की स्थापना शामिल है। विधेयक का एक विवादास्पद प्रावधान, जिलाधिकारी को यह निर्धारित करने के लिए प्राथमिक प्राधिकरण के रूप में नामित करने का प्रस्ताव करता है कि क्या संपत्ति को वक्फ या सरकारी भूमि के रूप में वर्गीकृत किया गया है।

विधेयक को गत आठ अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया था और चर्चा के बाद संसद की एक संयुक्त समिति को भेजा गया था। सरकार ने इस बात पर जोर दिया था कि प्रस्तावित कानून मस्जिदों के कामकाज में हस्तक्षेप करने का इरादा नहीं रखता है जबकि विपक्ष ने इसे मुसलमानों को निशाना बनाने के लिए उठाया गया कदम और संविधान पर हमला बताया था। इस महीने की शुरुआत में समिति की पहली बैठक हुई थी। इसमें कई विपक्षी सांसदों ने इस प्रस्तावित कानून के कई प्रावधानों को लेकर आपत्ति जताई। समिति की इस पहली बैठक के दौरान अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की ओर से एक प्रस्तुति भी दी गई थी।

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