नदियों के पानी पर सिर्फ पंजाब का हक

Edited By Updated: 17 Nov, 2025 09:29 PM

only punjab has the right over river water

नदियों के पानी पर सिर्फ पंजाब का हक – मुख्यमंत्री


चंडीगढ़,, 17 नवंबर  (अर्चना सेठी) पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज उत्तरी जोनल काउंसिल की 32वीं बैठक में चंडीगढ़, पंजाब यूनिवर्सिटी और नदियों के पानी पर जोरदार ढंग से दावा पेश किया तथा देश में वास्तविक अर्थों में संघीय ढांचे की वकालत की।ये मुद्दे उठाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारे संविधान ने स्पष्ट रूप से उन क्षेत्रों की सीमाएं निर्धारित की हैं, जिनमें केंद्र और राज्य अपने-अपने अधिकारों का प्रयोग कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि संघवाद हमारे संविधान के मूल सिद्धांतों में से एक है, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले 75 वर्षों में अधिकारों के केंद्रीकरण का रुझान हावी रहा है।

चंडीगढ़ को पंजाब को सौंपने की जोरदार वकालत करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि 1970 में हुए इंदिरा गांधी समझौते में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि “चंडीगढ़ का राजधानी प्रोजेक्ट क्षेत्र पूरी तरह पंजाब को जाएगा।” यह केंद्र सरकार की स्पष्ट प्रतिबद्धता थी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि 24 जुलाई 1985 को तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और संत हरचंद सिंह लोंगोवाल के बीच हुए राजीव-लोंगोवाल समझौते में इसकी स्पष्ट पुष्टि की गई थी कि चंडीगढ़ पंजाब को सौंप दिया जाएगा। भगवंत सिंह मान ने दुख के साथ कहा कि वादे पर वादे करने के बावजूद चंडीगढ़ पंजाब के हवाले नहीं किया गया, जिससे हर पंजाबी का दिल आहत हुआ है।

केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के कामकाज में पंजाब और हरियाणा के सेवा कर्मचारियों की भर्ती में 60:40 अनुपात बनाए रखने की मांग करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह समय की बड़ी जरूरत है। उन्होंने कहा कि यह बहुत दुख की बात है कि आई.ए.एस. और पी.सी.एस. अधिकारियों को प्रशासन में मुख्य पदों से बाहर रखा जा रहा है। आबकारी, शिक्षा, वित्त और स्वास्थ्य जैसे विभागों में ये पद स्टेट यूटी कैडर (डैनिक्स) जैसे कैडरों के लिए खोल दिए जा रहे हैं, जिससे यूटी प्रशासन के प्रभावी कामकाज में पंजाब राज्य की भूमिका पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब कैडर के अधिकारियों को जनरल मैनेजर एफ.सी.आई. (पंजाब) के पद पर तैनात करने का एक और मुद्दा उठाते हुए, केंद्र के अनाज पूल में पंजाब के सबसे अधिक योगदान को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार को पंजाब कैडर के आई.ए.एस. अधिकारी को एफ.सी.आई. के क्षेत्रीय कार्यालय में तैनात करने की स्थापित परंपरा नहीं तोड़नी चाहिए।

पानी संबंधी मुद्दे का जिक्र करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि सिंधु जल संधि रद्द होने के परिप्रेक्ष्य में संबंधित राज्यों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी को देखते हुए यह पानी संबंधी मुद्दों के समाधान के लिए एक शानदार अवसर है। उन्होंने कहा कि चेनाब नदी को रावी और ब्यास नदियों से जोड़ने की संभावना है, जिसके लिए हमारे पास पहले से ही पानी के प्रवाह को नियंत्रित करने वाले बांध मौजूद हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि चेनाब को रावी और ब्यास से जोड़ने पर अतिरिक्त पानी के प्रवाह को निचले राज्यों द्वारा बिजली उत्पादन और सिंचाई दोनों उद्देश्यों के लिए लाभकारी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राजस्थान से बी.बी.एम.बी. में सदस्य नियुक्ति के बारे में पंजाब का पक्ष रखा। उन्होंने कहा कि बी.बी.एम.बी. में राजस्थान से स्थायी सदस्य नियुक्ति के प्रस्ताव पर अपना कड़ा विरोध दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि बी.बी.एम.बी. पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के तहत गठित संस्था है, जो केवल उत्तराधिकारी राज्यों पंजाब और हरियाणा से संबंधित है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब ने पहले ही सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक पैनल प्रस्तुत कर दिया है और भारत सरकार को पंजाब और हरियाणा से एक-एक सदस्य की मूल व्यवस्था को जारी रखना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने पंजाब के भाखड़ा और पौंग बांधों के पूर्ण जल भंडारण स्तर (एफआरएल) को बढ़ाने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध किया। उन्होंने कहा कि 1988 के भयानक बाढ़ के बाद पंजाब में जान-माल की रक्षा के हित में एफआरएल को कम कर दिया गया था, क्योंकि ये बाढ़ का पानी केवल पंजाब को ही प्रभावित करता है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि 2019, 2023 और 2025 के भयानक बाढ़ों ने हमारे इस चिंता की पुष्टि की है कि मौजूदा एफआरएल को ही बनाए रखना सही है।


 

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