Premanand Maharaj: गाड़ी पर मंत्र लिखने से पहले 10 बार सोच लें! प्रेमानंद महाराज ने खोल दिया गाड़ियों पर मंत्र लिखने का चौंकाने वाला राज़

Edited By Updated: 12 Nov, 2025 11:14 AM

premanand maharaj think 10 times before writing mantra on the car

आजकल अपनी गाड़ियों पर 'जय श्री राम', 'ऊं नमः शिवाय' या 'जय माता दी' जैसे धार्मिक मंत्र लिखवाना एक ट्रेंड बन गया है। सड़क पर चलते हुए आपको ऐसी कई गाड़ियाँ दिख जाएंगी जिनके बंपर या नंबर प्लेट पर भगवान का नाम लिखा होता है।

नेशनल डेस्क: आजकल अपनी गाड़ियों पर 'जय श्री राम', 'ऊं नमः शिवाय' या 'जय माता दी' जैसे धार्मिक मंत्र लिखवाना एक ट्रेंड बन गया है। सड़क पर चलते हुए आपको ऐसी कई गाड़ियाँ दिख जाएंगी जिनके बंपर या नंबर प्लेट पर भगवान का नाम लिखा होता है। ये धार्मिकता दिखाने का एक तरीका हो सकता है, लेकिन क्या आध्यात्मिक दृष्टि से यह सही है? इस आम चलन पर वृंदावन के  संत प्रेमानंद महाराज ने एक भक्त के सवाल का जवाब देते हुए स्पष्ट राय दी है, जो कई लोगों के लिए चौंकाने वाली हो सकती है।

गाड़ी पर मंत्र लिखवाना नरक जाने का रास्ता हो सकता है

प्रेमानंद महाराज ने सीधे शब्दों में इस अभ्यास को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि गाड़ियों और घरों के बाहर मंत्र लिखवाना नरक जाने का रास्ता हो सकता है, क्योंकि ऐसा करके लोग मंत्रों का अपमान कर रहे हैं। उनका कहना है कि मंत्र बाहर लिखने की वस्तु नहीं है, बल्कि इसका असली स्थान हृदय और मन है। महाराज जी ने शिवपुराण का हवाला देते हुए बताया कि पंचाक्षरी मंत्र 'ऊं नमः शिवाय' का विधान बहुत गंभीर है। यह कोई सार्वजनिक उच्चारण की वस्तु नहीं है, बल्कि गुरु द्वारा शिष्य को दिए जाने के बाद ही इसका जप शुरू होता है।

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गुरुमुख होकर और पवित्रता से जप करना है सही तरीका

प्रेमानंद महाराज ने जोर देकर कहा कि सच्चा तप वही है जो अंदर से चलता है और जिसे कोई जान नहीं रहा। उन्होंने मंत्रों के सही जप की शास्त्रीय विधि बताई। सबसे पहले गुरु से मंत्र ग्रहण करें। इसके बाद पवित्र स्थान पर, पवित्र आसन पर बैठकर और पवित्र वस्त्र धारण करके मंत्र जप करें। उन्होंने स्पष्ट किया कि मंत्र कीर्तन नहीं होता, मंत्र जप होता है। हाँ, नाम कीर्तन आप खूब कर सकते हैं, इसमें कोई मनाही नहीं।

उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक इन शास्त्रीय विधियों का पालन नहीं होगा, तब तक साधना से कल्याण नहीं होगा और मनमानी आचरणों से केवल विकार बढ़ेंगे। उनका अंतिम संदेश था कि मंत्र जपने से हृदय पवित्र होता है, और यही पवित्रता भगवत-साक्षात्कार की योग्यता लाती है।

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