Edited By Mansa Devi,Updated: 29 Sep, 2025 05:17 PM

आम लोगों की लोन EMI और देश की आर्थिक रफ्तार को प्रभावित करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक शुरू हो चुकी है। इस बार सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या RBI ब्याज दरों में कटौती कर एक बार फिर 'सरप्राइज' देगा?
नेशनल डेस्क: आम लोगों की लोन EMI और देश की आर्थिक रफ्तार को प्रभावित करने वाली भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक शुरू हो चुकी है। इस बार सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या RBI ब्याज दरों में कटौती कर एक बार फिर 'सरप्राइज' देगा?
रॉयटर्स पोल में जहां ज़्यादातर जानकारों ने दरों को होल्ड रखने की संभावना जताई है, वहीं SBI, सिटी बैंक, बार्कलेज और कैपिटल इकोनॉमिक्स जैसे बड़े संस्थानों का अनुमान है कि RBI इस बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। अगर ऐसा होता है, तो यह दिवाली से ठीक पहले आम जनता के लिए एक शानदार तोहफा होगा।
क्यों हो सकती है ब्याज दरों में कटौती?
अर्थव्यवस्था की वास्तविक स्थिति: जून तिमाही में भारत की अर्थव्यवस्था 7.8% की दर से बढ़ी, लेकिन कुछ अर्थशास्त्रियों का मानना है कि यह आंकड़ा वास्तविक मज़बूती को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कर सकता है। कैपिटल इकोनॉमिक्स का मानना है कि जीडीपी ग्रोथ पर अमेरिकी टैरिफ का असर और महंगाई का नरम आउटलुक रेट कट का आधार तैयार कर रहा है।
'इंश्योरेंस' रेट कट: सिटी बैंक के अर्थशास्त्रियों का मानना है कि बाहरी झटकों (जैसे अमेरिकी टैरिफ) से बचने के लिए RBI 'इंश्योरेंस' के तौर पर ब्याज दरों में कटौती का विकल्प चुन सकता है।
एसबीआई का मत: एसबीआई के मुख्य अर्थशास्त्री सौम्य कांति घोष का कहना है कि ब्याज दरों में कटौती आरबीआई को एक दूरदर्शी सेंट्रल बैंक के रूप में स्थापित करेगी।
कितनी कम हो सकती है आपकी लोन EMI?
ज़्यादातर बड़े संस्थानों और एजेंसियों, जिनमें एसबीआई भी शामिल है, का मानना है कि आरबीआई MPC ब्याज दरों में 25 बेसिस प्वाइंट (0.25%) की कटौती कर सकता है।
अगर 25 बेसिस प्वाइंट की कटौती होती है:
रेपो रेट घटकर 5.25% हो जाएगा।
यह मौजूदा वर्ष में कुल कटौती को 1.25% तक पहुंचा देगा।
अगर आरबीआई दरों में कटौती करता है, तो बैंकों पर भी होम लोन, कार लोन और पर्सनल लोन की ईएमआई को घटाने का दबाव बनेगा, जिससे आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
RBI पर अगस्त वाला फैसला कायम रखने का दबाव भी
हालांकि, कटौती की संभावना है, लेकिन कुछ ऐसे कारक भी हैं जो RBI को अगस्त में लिए गए ब्याज दरें होल्ड करने के फैसले पर कायम रहने के लिए मजबूर कर सकते हैं:
रुपये की कमजोरी: अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी और H1B वीज़ा शुल्क बढ़ने के कारण रुपया ऑल-टाइम लो पर आ गया है।
वैश्विक व्यापार तनाव: अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापार तनाव और भारतीय निर्यात पर 50% टैरिफ जैसे कारक अर्थव्यवस्था के लिए अनिश्चितता पैदा कर रहे हैं।